इतिहास

साम्राज्यवाद का प्रसार | साम्राज्यवाद का महत्त्व | साम्राज्यवाद का प्रसार एवं उसके महत्त्व

साम्राज्यवाद का प्रसार | साम्राज्यवाद का महत्त्व | साम्राज्यवाद का प्रसार एवं उसके महत्त्व

साम्राज्यवाद का प्रसार

विश्व के अविकसित क्षेत्रों के लोग इन यूरोपवासियों की गोलियों और बमों से अपनी रक्षा नहीं कर सके। परिणामस्वरूप उन्हें उनका आधिपत्य स्वीकार करना पड़ा। यूरोप के साम्राज्यवादी देशों ने कई अन्य उपायों से भी उन पर नियन्त्रण स्थापित करने का प्रयत्न किया। कुछ साम्राज्यवादियों ने उपनिवेशों की जनता को शराब, अफीम या कोकीन देकर नशेबाज तक बना दिया। कभी-कभी तो नासमझी से सरदारों ने कुछ रंग-बिरंगी मालाओं या छोटे-मोटे उपहारों के बदले में विशाल प्रदेश तक दे डाले। साम्राज्यवादियों ने कभी-कभी विभिन्न जातियों या विभिन्न राजनीतिक विचारों के समूहों को एक-दूसरे की प्रतिद्वन्द्विता करने के लिए प्रोत्साहित किया। ‘फूट डालो और शासन करो’ की नीति भी साम्राज्यवादियों की पुरानी नीति थी।

कभी-कभी साम्राज्यवादी राष्ट्रों ने एक-दूसरे से इसलिए भी गठबन्धन किया कि वे अन्य दूसरे साम्राज्यवादी राष्ट्रों के उपनिवेशों को छीनकर अपने अधीन कर लें। अविकसित क्षेत्रों पर अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए शक्तिशाली राष्ट्रों ने महत्त्वपूर्ण जल-मार्गों को अपने कब्जे में रखने की कोशिश भी की। ब्रिटेन द्वारा स्वेज नहर पर नियंत्रण से न केवल भारत के लिए मार्ग कि सुरक्षा हो गई अपितु इससे पूर्वी भूमध्यसागर पर भी उसका प्रभाव बढ़ गया। लगभग इन्हीं जैसे कारणों से रूसी साम्राज्यवादी सदियों से डार्डेनल्स पर अधिकार करने और परिणामस्वरूप भूमध्यसागर में प्रवेश पाने की कोशिश करते रहे थे। पनाना नहर पर अमेरिका के स्वामित्व से व्यवहारतः कैरेबियन सागर को एक अमेरिकी झील बना देने में सहायता मिली। उदारवादी नीति के परिणामस्वरूप भी प्रायः साम्राज्य दृढ़ हुए हैं। उदाहरणार्थ, जब ब्रिटेन ने कनाडा को स्वशासन का अधिकार दे दिया, तब उस देश की ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति भक्ति और बढ़ गई। साम्राज्यवादी लोग अपने अधीन देशों पर अपना अधिकार करने के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के तर्क प्रस्तुत करते रहे हैं जैसे, वे उन लोगों को दण्ड भर दे रहे हैं, जिन्होंने उनके ध्वज का अनादर किया है। वे केवल धर्म प्रचारकों या उनके देश के अन्य लोगों के हत्यारों को दण्ड दे रहे हैं। वे आलसी देशी लोगों को ‘श्रम की गरिमा’ या आकर्षक पोशाक के द्वारा यूरोपीय शालीनता का लाभ पहुंचा रहे हैं। पिछड़े क्षेत्रों के लोगों को शिक्षा, स्वच्छता और वस्त्रों की सुविधाएँ देकर अपनी ओर मिला लिया जाता था। उनके हृदय में गोरी जातियों के प्रति अन्ध-भक्ति पैदा की गई। उनके दिल और दिमाग में यह बात बिठा दी गई कि यूरोपीय जातियाँ तो उन्हें ‘सभ्य’ बना रही हैं और उनका उद्धार कर रही हैं।

साम्राज्यवाद का महत्त्व

यद्यपि साम्राज्यवाद के द्वारा विश्व के अविकसित क्षेत्रों का आर्थिक और राजनैतिक शोषण किया गया। तथापि इस साम्राज्यवाद के कारण अविकसित क्षेत्रों में क्रान्तिकारी परिवर्तन भी प्रकट हुए। साम्राज्यवादियों ने इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य, रक्षा, शिक्षा, उन्नत परिवहन और संचार व्यवस्था तथा कृषि और उद्योगों के क्षेत्रों में वैज्ञानिक पद्धतियों का प्रयोग आरम्भ किया। साम्राज्यवाद के अन्तर्गत अनेक शासित देशों के लोगों को न केवल पश्चिमी वस्तुओं का उपयोग करना सिखाया गया अपितु धर्म, शासन और मनोरंजन के बारे में कुछ प्रगतिशील पश्चिमी विचारों से भी अवगत कराया गया। कुछ साम्राज्यवादी शक्तियों ने सती-प्रथा, नर-मांस भक्षण और दास-प्रथा जैसी बुराइयों के विरुद्ध भी लड़ाई लड़ी। इसके विपरीत अविकसित क्षेत्रों का भी पश्चिम पर प्रभाव पड़ा। रबड़, तेल, रेशम, सूखे मेवे तथा देशी हस्तशिल्पों की कृतियाँ पहले से अधिक मात्रा में पश्चिमी देशों में पहुँचने लगीं। अनेक पश्चिमी कलाकारों ने अपने साहित्य, चित्रकला या संगीत के लिए इन क्षेत्रों से प्रेरणा ग्रहण की। इन क्षेत्रों का जिन पश्चिमी वैज्ञानिकों अध्ययन किया है, उन्होंने भूगोल, भू-विज्ञान, प्राणिशास्त्र तथा चिकित्सा विज्ञान का बहुत कुछ ज्ञान प्राप्त किया। साम्राज्यवाद ने राष्ट्रीयता की प्रबल भावना को जगाया और औपनिवेशिक राष्ट्रों में अनेक क्रान्तियाँ करवायीं।

इस प्रकार उन्नीसवीं और बीसवीं शताब्दी में अफ्रीका एवं एशिया में यूरोपीय शक्तियों ने अपनी सामाज्यवादी भूख को बहुत हद तक शान्ति कर लिया था किन्तु उनकी यह विजय स्थायी नहीं थी। इन साम्राज्यवादियों के कारण ही कुछ वर्षों पश्चात् विश्व के देशों को एक महायुद्ध में सम्मिलित होना पड़ा।

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Pankaja Singh

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