शिक्षाशास्त्र

समस्या के समाधान को प्रभावित करने वाले कारक | तर्क य समस्या समाधान का शैक्षिक | समस्या समाधान में शिक्षक का कार्य

समस्या के समाधान को प्रभावित करने वाले कारक | तर्क य समस्या समाधान का शैक्षिक | समस्या समाधान में शिक्षक का कार्य

समस्या के समाधान को प्रभावित करने वाले कारक-

समस्या समाधान की प्रक्रिया एकाएक और अकेले नहीं होती है। इस प्रक्रिया से मानव अभिवृत्ति, उसके पूर्व अनुभव, पर्यावरण और साधनों का सम्बन्ध होता है और ये सभी इस प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। नीचे कुछ कारक दिए जा रहे हैं –

(1) मानव अभिवृत्ति- मनुष्य की परिस्थिति तदनुकूल उसकी अभिवृत्ति का निर्माण करती है और अभिवृत्ति की सहायता से वह समस्या समाधान करता है।

(2) मानव का अतीत कालीन अनुभव- पिछले समय की अनुभूतियों से मदद लेकर मनुष्य नई समस्याओं को समझता है और उन्हें हल भी करता है। जितना अधिक अनुभव होता है उतनी ही सरलता से समस्या का हल हो सकता है।

(3) मनुष्य की भग्नाशा, निराशा, मानसिक तनाव- मानसिक तनाव और भग्नाशा या निराशा जीवन में समस्याएँ उत्पन्न करती हैं और उन पर चिन्तन-मनन करके मनुष्य उन्हें हल करने का प्रयास करता है। तर्क की सहायता लेता है। अतएव ये सभी समस्या समाधान को प्रभावित करते हैं।

(4) मनुष्य की सूझ- मनुष्य यदि सूझ से युक्त होता है तो वह पूर्व अनुभवों व साधनों का संगठन सही ढंग से कर लेता है और समस्या हल करने में समर्थ होता है। अतएव मनुष्य की सूझ का प्रभाव समस्या समाधान पर काफी पड़ता है।

तर्क य समस्या समाधान का शैक्षिक-

तर्क व समस्या समाधान वस्तुतः लक्ष्य प्राप्ति के दौरान उपस्थित होने वाली बाधाओं पर चिन्तन-मनन करना और हल निकालना है। अतएव दोनों एक मानसिक प्रक्रिया के दो पक्ष हैं, एक चिन्तन पक्ष है और दूसरा क्रियात्मक पक्ष है। इस पर शिक्षा का प्रभाव पड़ता है और शिक्षा भी इस प्रक्रिया से प्रभावित होती है।

विज्ञान, व्याकरण और अन्य विषयों के पढ़ाने में तर्क का प्रयोग होता है। विज्ञान में प्रयोगात्मक कार्य समस्या समाधान का एक रूप है। इसलिए विभिन्न तर्क विधियों का प्रयोग कक्षा में होना चाहिए।

शिक्षा की एक प्रमुख विधि है योजना विधि (Project Method) जिसमें जीवन की वास्तविक समस्या को सामने रखकर अध्ययन अध्यापन होता है। ध्यान से देखने पर योजना विधि समस्या समाधान का व्यवहारिक रूप मालूम पड़ती है। इसलिए कक्षा में अध्यापक छात्रों को ऐसे अवसर देता है कि वे अपनी सभी समस्याओं का निराकरण करने में प्रयत्नशील रहें।

यदि कक्षा में छात्रों को प्रश्न करने और विवेचन के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान किए जायँ, तो निश्चय है कि उनकी तर्क व समस्या समाधान को योग्यता का विकास होता है। इससे स्पष्ट है कि शिक्षा तर्क व समस्या समाधान की योग्यता बढ़ाती है।

यदि अध्यापक छात्रों में जीवन के प्रति रुचि उत्पन्न कर दे तो निश्चय ही वे समस्या समाधान के लिए तैयार कर दिए जाएंगे। इसी प्रकार विभिन्न ज्ञान और विधियों को भी अध्यापक बता कर छात्रों को स्वयमेव समाधान के योग्य बना सकता है। इससे तर्क समस्या समाधान का शैक्षिक निहितार्थ हमें मालूम होता है।

समस्या समाधान में शिक्षक का कार्य-

शिक्षक छात्रों में तर्क व समस्या समाधान के विकास के लिए नीचे लिखी बातों का पालन करें-

(1) शिक्षक व्यावहारिक उपयोगिता की समस्या प्रस्तुत करें।

(2) बालकों को उचित प्रशिक्षण अध्यापक दे और तर्क का प्रयोग करावे ।

(3) वैज्ञानिक तार्किक व योजना-क्रिया विधियों का प्रयोग अध्यापक करें।

(4) छात्रों की आयु, मानसिक योग्यता और अनुभव के अनुकूल समस्या दे।

(5) अध्यापक छात्रों को अधिक से अधिक चिन्तन, तर्क, विवेचन आदि के लिए अभिप्रेरित करे।

(6) बालकों में ध्यान की एकाग्रता, क्रिया में संलग्नता और समाधान के अन्वेषण का दृष्टिकोण व रुचि अध्यापक विकसित करे।

(7) छात्र स्वयं अपने समस्या समाधान का मूल्यीकरण करें और निर्णय करें कि उनका उपागम सही है या नहीं।

(8) आगमन तर्क, प्रयोगात्मक कार्य, प्रश्नोत्तर, विश्लेषण-संश्लेषण के तरीकों को अध्यापक स्वयं करे ताकि छात्र भी इससे परिचित हो जावें।

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Pankaja Singh

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