अर्थशास्त्र

सम-उत्पाद रेखाओं का अर्थ | सम-उत्पाद रेखाओं की विशेषताएं बताइए

समउत्पाद रेखाओं का अर्थ | समउत्पाद रेखाओं की विशेषताएं बताइए | Meaning of Iso-Product Lines in Hindi | State the characteristics of isoproduct lines in Hindi

समउत्पाद रेखाओं से आशय (सम-उत्पाद रेखाओं का अर्थ)

की रेस्टेड के अनुसार “सम-उत्पाद रेखा दो साधनों के ऐसे समस्त संभावित संयोगों को दर्शाती है जोकि एक ही समान कुल उपज प्रदान करते हैं।” यह एक तटस्थ रेखा के समान होती है जो दो वस्तुओं के ऐसे विभिन्न संयोगों को दर्शाती है जिनसे उपभोक्ता को समान संतुष्टि प्राप्त होगी।

इसी कारण को ‘उत्पादन तटस्थ रेखा’ या ‘उत्पादन का तटस्थ वक्र विश्लेषण’ भी कहा जाता है। उपभोक्ता के लिए जिस प्रकार तटस्थता मानचित्र होते हैं, उसी प्रकार उत्पादक के लिए ‘समउत्पाद रेखा’ व समउत्पाद मानचित्र’ होते हैं। ‘समउत्पाद रेखा’ एक विशेष उपज प्रदान करने वाले विभिन्न संयोगों को दर्शाती है। किंतु ‘समउत्पाद चित्र’ मैं विभिन्न ‘सम उत्पाद रेखाएं’ (प्रत्येक) विभिन्न अवकाश प्रदान करने वाले संयोंगों की ओर संकेत करती है, जैसे- TP1 500 इकाइयों वाले संयोंगों को और TP 2 100 इकाइयों वाले संयोंगों को दर्शाती है।

समउत्पाद रेखाओं की मान्यताएं

सम-उत्पाद रेखाएं खींचते समय कुछ दशाओं का होना मान लिया जाता है, जैसे-

  • किसी वस्तु के उत्पादन में केवल दो साधनों का प्रयोग होना,
  • तकनीकी उत्पादन-दशाएं ‘दी हुई’ और ‘स्थिर’ मान लेना,
  • उत्पत्ति के साधनों का छोटी इकाइयों में विभाजित होना,
  • दी हुई तकनीकी उत्पादन-दिशाओं के अंतर्गत प्रयुक्त किए जाने वाले साधनों को पूर्ण कुशलता के साथ संयोजित किया जाना।

समउत्पाद रेखाओं के लक्षण अथवा गुण अथवा विशेषता

सम-उत्पाद रेखाओं की निम्नांकित विशेषताएं होती हैं-

  • यह एकदूसरे को कभी काट दिया इस पर नहीं करती हैंयदि वे ऐसा करें तो अर्थ होगा कि कटारिया स्पर्श बिंदु दो समोत्पादरेखाओं पर स्थिर होगा। एक रेखा की दृष्टि से तो वह काम उपज बताएगा और दूसरी रेखा की दृष्टि से ऊंची उपज बताएगा जो स्पष्टता गलत है।

समोत्पाद रेखाओं की वक्रता

  • सम-उत्पाद रेखा बाएं से दाएं को नीचे की ओर गिरती हुई होती हैअन्य शब्दों में कहा जा सकता है कि उसका ढाल ऋणात्मक होता है। ढाल के ऋणात्मक होने के कारण लेफ़्टविच के शब्दों में कहा जा सकता है कि “जब साधन तकनीकी दृष्टि से स्थानापन्न हों तब एक साधन की मात्रा को घटाने पर उसकी क्षतिपूर्ति दूसरे साधन की मात्रा बढ़ाकर की जाएगी अन्यथा कुल उपज सामान नहीं रहेगी।
  • समउत्पाद रेखा मूल बिंदु के प्रति उन्नतोदर होती हैइसका कारण यह है कि उत्पादक एक समोत्पाद रेखा पर बाएं से दाएं नीचे की ओर बढ़ता है (अर्थात उपज की मात्रा वही रहती है) तब Y- अक्ष पर दिखाएं साधन की घटती हुई मात्रा से वह प्रतिस्थापित करता है।
  • समोत्पाद रेखाओं की वक्रता की परस्पर प्रतिस्थापन संबंधी सुगमता को सूचित करती हैउदाहरणार्थ, यदि दो साधन परस्पर पुणे स्थानापन्न हैं, तो समोत्पाद रेखा एक सरल रेखा के रूप में होगी। किंतु जैसे-जैसे उनमें प्रतिस्थापन की कठिनता बढ़ती जाएगी, समोत्पादरेखाएं मूल बिंदु की ओर अधिकाधिक झुकती जाएंगी और जहां उनके प्रति प्रतिस्थापन कठिन हो जाएगा, वहां समोत्पाद रेखाएं समकोण के आकार की होंगी।
  • समोत्पाद रेखाएं अपने पीछे की ओर झुकते हैंअन्य शब्दों में कहा जा सकता है कि उनके ऊपर उठते हुए भाग होते हैं। जिन बिंदुओं पर इन रेखाओं का पीछे की ओर झुकना शुरू हो उन्हें मिलाने से एवं जिन बिंदुओं पर उनका पीछे की ओर झुकना समाप्त हो या ऊपर को उठना शुरू हो उन्हें मिलाने से जो दो रेखाएं प्राप्त होती हैं उन्हें रिज रेखाएं’ कहते हैं। इनका उत्पादन प्रक्रिया की दृष्टि से विशेष महत्व है क्योंकि इनकी परिधि में पढ़ने वाले भाग उत्पादन के लिए अर्थी के उपायुक्त होते हैं।
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Pankaja Singh

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