अनुसंधान क्रियाविधि

सारणी के प्रकार | सारणीयन का महत्व या उसके लाभ | सारणीयन के दोष

सारणी के प्रकार | सारणीयन का महत्व या उसके लाभ | सारणीयन के दोष | Table Types in Hindi | Importance or benefits of tabulation in Hindi | tabulation defects in Hindi

सारणी के प्रकार (Kinds of Table)

(I) उद्देश्य के आधार पर (Basis of Purpose):

उद्देश्य के आधार पर सारणियाँ दो प्रकार की होती हैं-

(1) सामान्य उद्देश्यों वाली सारणी- ऐसी सारणियाँ जिनका कोई विशिष्ट उद्देश्य नहीं होता इसके अन्तर्गत आती हैं। इस प्रकार की सारणियाँ पर्याप्त विस्तृत होती हैं। इन सारणियों का एकमात्र उद्देश्य समंकों को इस प्रकार प्रस्तुत करना होता है कि व्यक्तिगत इकाइयों की खोज सरलता से हो सके।

(2) विशिष्ट उद्देश्य वाली सारणी- इस प्रकार की सारणियाँ किसी विशिष्ट उद्देश्य से बनाई जाती हैं। सारणी अपेक्षाकृत छोटी होती है और सांख्यिकीय विश्लेषण के परिणामों को प्रभावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करने के लिये बनाई जाती है।

(II) मौलिकता के आधार पर (Basis of Originality) :

मौलिकता के आधार पर दो प्रकार की सारणी बनती हैं-

(1) प्राथमिक सारणी- इस प्रकार की सारणी में समंकों को संकलन के समय पाये गये रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इसे मौलिक सारणी भी कहते हैं।

(2) व्युत्पन्न सारणी- इस सारणी में समंकों को उनके मौलिक रूप में नहीं बल्कि समंकों के योग, प्रतिशत, अनुपात, गुणांक व माध्य आदि के रूप में प्रस्तुत किया जाता हैं

(III) रचना के आधार पर (Basis of Construction) :

(1) सरल सारणी- इस सारणी में समंकों को किसी एक गुण या विशेषता के आधार पर प्रस्तुत किया जाता है, जैसे जनसंख्या का आयु या लिंग या राज्यों के अनुसार वितरण।

(2) जटिल सारणी- जब समंकों को एक से अधिक गुणों या विशेषताओं के आधार पर प्रस्तुत किया जाता है तो उसे जटिल सारणी कहते हैं इसके तीन उपभेद किये जा सकते हैं-

(i) द्विगुण सारणी, (ii) त्रिगुणी सारणी, (iii) बहुगुण सारणी।

सारणीयन का महत्व या उसके लाभ (Importance or Advantages of Tabulation)-

सारणीयन के मुख्य लाभ निम्नलिखित है-

(1) समंकों का सरल प्रस्तुतीकरण- सारणीयन द्वारा समंकों को सरल ढंग से प्रस्तुत किया जा सकता है।

(2) प्रभावशाली प्रस्तुतीकरण- सारणीयन के द्वारा समंकों को इतने प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया जाता है कि मानव-मस्तिष्क पर उनकी अमिट छाप पड़ जाती है।

(3) समय व स्थान की बचत- सारणीयन के द्वारा कम स्थान में अधिक सूचना दी जा सकती है इससे स्थान की बचत हो जाती है एवं शीर्षकों को बार-बार न लिखने से समय की बचत होती है।

(4) गणना कार्य आसान- सारणीयन से गणना का कार्य सरल और सुविधाजनक हो जाता है।

(5) अशुद्धियों में कमी- सारणीयन से अशुद्धियों की जाँच सरलता से हो जाती है और उन्हें कम किया जा सकता है।

(6) सन्दर्भ में सहायक- सारणीबद्ध होने के बाद समंक आवश्यक सन्दर्भ में सहायक सिद्ध होते हैं।

(7) अन्य लाभ- तुलनात्मक अध्ययन, वर्गीकरण, निर्वचन व रेखाचित्र प्रदर्शन, विश्लेषण आदि में सारणीयन सहायक होता है।

सारणीयन के दोष (Disadvantages of Tabulation)

(1) शुद्धता में कमी-सारणीयन में समंकों के सीमित स्थान में प्रस्तुत किया जाता है जिससे शुद्धता में कमी आ जाती है।

(2) भ्रामक निष्कर्ष- सारणीयन से निष्कर्ष भ्रामक होने की सम्भावना रहती है।

(3) विशिष्ट ज्ञान आवश्यक-सारणीयन को समझने के लिए विशिष्ट ज्ञान की आवश्यकता होती है।

(4) स्वतन्त्र अस्तित्व का ह्रास- सारणीयन से पदों का स्वतन्त्र अस्तित्व समाप्त हो जाता है।

अनुसंधान क्रियाविधि – महत्वपूर्ण लिंक

Disclaimer: e-gyan-vigyan.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- vigyanegyan@gmail.com

About the author

Pankaja Singh

Leave a Comment

(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
close button
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
error: Content is protected !!