शैक्षिक तकनीकी

रेडियो | शिक्षा के क्षेत्र में रेडियों तथा टेपरिकॉर्डर की भूमिका | टेप रिकॉर्डर | टेप रिकॉर्डर के गुण-दोषों

रेडियो | शिक्षा के क्षेत्र में रेडियों तथा टेपरिकॉर्डर की भूमिका | टेप रिकॉर्डर | टेप रिकॉर्डर के गुण-दोषों | radio in Hindi | Role of radio and tape recorder in the field of education in Hindi | Tape recorder in Hindi | Advantages and disadvantages of tape recorder in Hindi

रेडियो (Radio)

रेडियों शिक्षण का एक उपयोगी साधन है, जिसके माध्यम से दूर स्थानों में रहने वाले छात्रों/ अधिगमकर्ताओं को देश-विदेश के घटनाक्रम, समाचार और नवीन सूचनाओं को ज्ञान कराया जा सकता है। इसके द्वारा थोड़े ही समय में वयपक जन सम्पर्क हो जाता है। रेडियो के द्वारा छात्रों को शिक्षाशास्त्रियों के द्वारा व्यक्त किये गये विचारों का ज्ञान प्राप्त होता है। रेडियो के माध्यम से उन्हें स्वयं में अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना देशप्रेम और प्रजातान्त्रिक प्रणाली के प्रति विश्वास बढ़ता है। रेडियो उनको नई बातों को सीखने के लिए जिज्ञासु बनाता है। रेडियो पर प्रसारित कार्यक्रम उसके सामान्य ज्ञान में पर्याप्त वृद्धि करते हैं। स्पष्ट है कि रेडियो एक महत्वपूर्ण श्रव्य साधन है।

शिक्षक से रेडियो पर  छात्रोपयोगी कार्यक्रमों से सम्बन्धित कार्यक्रमों की पूर्ण जानकारी रखनी चाहिए। पर पाठ-प्रसारण होने के पूर्व ही शिक्षक को अपने छात्रों के मस्तिष्क को उसके श्रवण हेतु तैयार कर देना चाहिए। यदि रेडियोपाठ के साथ ही कोई अन्य सहायक सामग्री का प्रयोग करना हो, तो उसे तैयार कर लेनी चाहिए। अध्यापक को कार्यक्रम प्रसारित होने के पहले ही कक्षा का वातावरण और व्यवस्था इस प्रकार से कर देनी चाहिए कि उसका श्रवण शांतिपूर्वक और उचित समय पर किया जा सके। छात्रों को रेडियों पाठ के श्रवण हेतु सम्बन्धित विषय के ही छात्र कक्षा में एकत्रित करना चाहिए। भूगोल या विज्ञान कक्षा में इतिहास का श्रवण उचित न होगा। रेडियो पाठ के श्रवण के दौरान शिक्षक को निम्नांकिन बातों पर पर्याप्त ध्यान देना चाहिए।1. छात्रों को रेडियो के समीप शांतिपूर्वक सीधे बैठकर श्रवण करना चाहिए, 2. छात्रों को रेडियों की ओर देखते हुए ध्यान केन्द्रित करना चाहिए, 3. छात्रों शंका और जिज्ञासा उत्पन्न करने वाले प्रश्नों को अपनी नोट बुक में लिखना चाहिए, 4. छात्रों को विभिन्न स्थानों पहाड़ों, नदियों, मरूस्थलों व महत्वपूर्ण घटनाओं से सम्बन्धित नामों को अपनी नोट बुक में लिखते रहना चाहिए, 5. जब तक प्रसारण होता रहे, तब तक शिक्षक को चाहिए कि वह छात्रों को न तो कोई प्रश्न पूछने दे और न बातचीत करने की अनुमति ही दे। रेडियों पाठ के समाप्त होने के बाद अध्यापक की चाहिए कि वह उस पाठ से सम्बन्धित प्रश्न छात्रों से पूछे और उन्हें स्पष्ट भी करे। प्रश्नों को स्पष्ट करते समय शिक्षक को सम्बन्धित चित्र, रेखाचित्र, मानचित्र आदि का प्रयोग भी करना चाहिए इससे प्राप्त होने वाला ज्ञान स्थायी और प्रबल होता है, इससे वे छात्र भी लाभान्वित होते हैं, जो जाठ के समुचित के अभावश इसके लाभों से वंचित रहे हों।

रेडियो पाठ का मूल्यांकन-

शिक्षण के क्षेत्र में रेडियो पाठ का उपयोग शिक्षण सम्बन्धी प्रभावोत्पादकता को बढ़ाने के उद्देश्य से किया जाता है। अतः रेडियों पाठ के समाप्त होने पर यह बात करना आवश्यक है कि छात्रों ने रेडियो पाठ के उद्देश्यों को किसी सीमा तक प्राप्त किया है। मूल्यांकन के पश्चात् यदि शिक्षक को अनुभव हो कि पाठ में कोई त्रुटि/कमी थी, तो उसे दूर करने का प्रयास करना चाहिए। यदि स्वयं पाठ में कोई कमी हो, तो आकाशवाणी के अधिकारियों को इसकी लिखित सूचना देनी चाहिए और यदि कक्षा में कोई कमी रह गयी हो, तो भविष्य में उसमें भी सुधार करना अपेक्षित होगा।

टेप रिकॉर्डर (Tape Recorder)

श्रव्य साधनों के अन्तर्गत यह भी शिक्षण का एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जिसमें व्याख्यान को टेप करके छात्रों को उसका श्रवए कराया जाता है यह बैटरी और विद्युत दोनों से संचालित होता है। इसमें रेडियो कार्यक्रम को भी रिकार्ड किया जा सकता है, साथ ही साथ चर्चा, वार्तालाप, अनुभवों आदि को भी इसके द्वारा छात्र और शिक्षकों को अपने बोलने की गति, स्वर सम्बन्धी प्रभाव और उच्चारण की त्रुटियाँ सुधारने में पर्याप्त सहायता प्राप्त होती है। इसमें रिकॉर्ड की गयी सामग्री को कई बार प्रयोग जा सकता है।

सर्वप्रथम डेनमार्क निवासी पालेसन (1900 ई.) द्वारा एक तार रिकॉर्डर को आविष्कृत किया गया। कालान्तर में अमेरिका में इस यंत्र में कुछ सुधार किये गये। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान टेप रिकॉर्डर का वर्तमान स्वरूप जर्मनी में स्पष्ट हुआ। इस यंत्र में प्लास्टिक या धातु का एक फीता लगा होता है, जिसमें ग्रामोफोन के रिकॉर्ड के समान आवाज को भरा जाता है। टेप दो प्रकार के होते हैं-

  1. स्कूल टेप जो बड़े बाकार के होते हैं और मात्र विद्युत् से ही चलते हैं इनकी आसानी से इधर-उधर ले जाया जा सकता है, 2. कैसेट टेप जो घेरेलू और शैक्षिक उपयोग हेतु बनते हैं। यह आसानी से वहनीय और सुविधापूर्ण होते हैं और इन्हें विद्युत एवं ड्राई-बैटरी किसी से भी चलाया जा सकता है।

गुण (Merits)

  1. यह शिक्षण का एक श्रेष्ठ साधन है, क्योंकि इसमें किसी भी बात को लब्मे समय तक के लिए रिकॉर्ड करके सुरक्षित किया जा सकता है।
  2. इसके माध्यम से योग्य शिक्षकों, शिक्षाविदों के अनुभवों, वार्तालापों और व्याख्यानों आदि को सुरक्षित करके रखा जा सकता है,
  3. यदि काई छात्र निर्धारित शिक्षण के दौरान अनुपस्थित रहा हो, तो वह बाद में रिकॉर्डेड विवरण सुन सकता है,
  4. टेप रिकॉर्डर को शिक्षण हेतु बार-बार प्रयुक्त किया जा सकता है,
  5. इसके द्वारा रेडियो और टैलविजन प्रसारण की महत्वपूर्ण बातों को रिकॉर्ड करके छात्रों को सुनाया जा सकता है।

सीमायें (Limitation)

  1. चूँकि यह एक व्यवसाध्य/महँगा उपकरण है, अतः सभी विद्यालय इसका उपयोग नहीं कर सकते हैं। 2. प्रत्येक शिक्षक इकके संचालन में दक्ष नहीं होता, क्योंकि इसके लिए विशेष प्रशिक्षण और जानकारी अपेक्षित है, 3. इसके प्रयोग हेतु विद्युत् या बैटरी की आवश्यकता होती है। इसके अभाव में यह पूर्णतः निरर्थक सिद्ध होता है।
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Pankaja Singh

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