पृथ्वी के प्रमुख स्थल रूप पाठ योजना | पृथ्वी के प्रमुख स्थल रूप लेसन प्लान
पृथ्वी के प्रमुख स्थल रूप पाठ योजना
विद्यालय का नाम – अ – ब – स विद्यालय
दिनांक – 00/00/0000
कक्षा – 6
विषय – भूगोल
प्रकरण – पृथ्वी के प्रमुख स्थल रूप
अवधि – 30 मिनट
सामान्य उद्देश्य
- छात्रों में भूगोल के प्रति रुचि उत्पन्न करना।
- छात्रों को विश्व के विभिन्न देशों के भौगोलिक एवं सामाजिक पर्यावरण को समझने योग्य बनाना।
- छात्रों में प्राथमिक स्तर पर प्राप्त ज्ञान को सुव्यवस्थित करना।
- छात्रों में भौगोलिक नागरिकता के गुणों का विकास करना।
- छात्रों में भारत की प्राकृतिक परिस्थितियों का ज्ञान कराना।
विशिष्ट उद्देश्य
- छात्र-छात्राएं स्थलरूप को प्रत्यास्मरण कर सकेंगे।
- छात्र-छात्राएं अपरदन का प्रत्त्याभिज्ञान कर सकेंगे।
- छात्र-छात्राएं स्थल रूप के प्रकारों का विश्लेषण कर सकेंगे।
- छात्र-छात्राएं निक्षेपण की व्याख्या कर सकेंगे।
- छात्र-छात्राएं बाह्य तथा आंतरिक प्रक्रिया में अंतर कर सकेंगे।
शिक्षण सामग्री
चार्ट, चाक, डस्टर, संकेतांक एवं अन्य कक्षा उपयोगी सामग्री।
पूर्व ज्ञान
छात्र-छात्राएं पर्वत, पठार, मैदान के विषय में सामान्य जानकारी रखते होंगे।
प्रस्तावना के प्रश्न
छात्र अध्यापिका क्रिया |
विद्यार्थी अनुक्रिया |
1. सौरमंडल के किस ग्रह पर मनुष्य निवास करता है? |
पृथ्वी पर |
2. पृथ्वी की सतह कैसी होती है? |
असमानता |
3. पृथ्वी की सतह की इस असमानता को क्या कहते हैं? |
स्थल रूप |
उद्देश्य कथन
आज हम लोग पृथ्वी के प्रमुख स्थल रूप के विषय में अध्ययन करेंगे।
प्रस्तुतीकरण ( शिक्षण बिंदु, छात्र अध्यापिका क्रिया, विद्यार्थी अनुक्रिया)
स्थल रूप
पृथ्वी की सतह सभी जगह एक समान नहीं है। पृथ्वी पर अनगिनत प्रकार के स्थल रूप है। स्थल मंडल के कुछ भाग ऊंचे-नीचे तथा कुछ समतल होते हैं। स्थल रूप दो प्रक्रिया के परिणाम स्वरुप बनते हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मैदान जिस पर हम हैं वह भी गतिशील है। पृथ्वी के अंदर लगातार गति हो रही है। प्रथम या आंतरिक प्रक्रिया के कारण बहुत से स्थानों पर पृथ्वी की सतह कहीं ऊपर उठ जाती है तो कहीं धंस जाती है। दूसरी या बाह्य प्रक्रिया स्थल के लगातार बनने एवं टूटने की प्रक्रिया है। पृथ्वी की सतह के टूट कर गिर जाने को अपरदन कहते हैं। अपरदन की प्रक्रिया के द्वारा सतह नीचे हो जाती है तथा निक्षेपण की प्रक्रिया के द्वारा इनका फिर से निर्माण होता है। यह दो प्रक्रियाएं बहते हुए जल, वायु तथा बर्फ के द्वारा होती है। हम विभिन्न स्थल रूपों को उनकी ऊंचाई एवं ढाल के आधार पर पर्वतों, पठानों एवं मैदानों में वर्गीकृत कर सकते हैं।
स्थल रूप के प्रकार
- पर्वत– पर्वत पृथ्वी की सतह की प्राकृतिक ऊंचाई है। पर्वत का शिखर छोटा तथा आधार चौड़ा होता है। यह आसपास के क्षेत्र से बहुत ऊंचा होता है। कुछ पहाड़ बादलों से भी ऊंचे होते हैं। जैसे-जैसे आप ऊंचाई पर जाएंगे जलवायु ठंडी होती जाएगी।
- पठार– पठार उठी हुई एवं सपाट भूमि होती है। यह आस-पास के क्षेत्रों से अधिक उठा हुआ होता है तथा इसका ऊपरी भाग मेज समान सपाट होता है। किसी पठार के एक या एक से अधिक किनारे होते हैं जिनके ढाल खड़े होते हैं।
- मैदान- मैदान समतल भूमि के बहुत बड़े भाग होते हैं। वे सामान्यतः माध्य समुद्री तल से 200 मीटर से अधिक ऊंचे नहीं होते हैं। कुछ मैदान काफी समतल होते हैं।
श्यामपट्ट सारांश
- पृथ्वी पर निरंतर दो शक्तियां कार्य करती रहती हैं-
- आंतरिक शक्तियों
- बाह्य शक्तियां
- पृथ्वी की सतह के टूट कर घिस जाने को अपरदन कहते हैं।
- अपरदित पदार्थ के एक जगह जमा होने की क्रिया को निक्षेपण कहते हैं।
- स्थल रूपों को उनकी ऊंचाई एवं ढाला के आधार पर पर्वतों, पठार एवं मैदानों में वर्गीकृत करते हैं
निरीक्षण कार्य
छात्र अध्यापिका छात्रों सेश्यामपट्ट पर लिखी सामग्री को अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखने का निर्देश देगी और निरीक्षण करते हुए उनकी समस्याओं का समाधान करेगी।
मूल्यांकन के प्रश्न
- पृथ्वी की असमान सतह को क्या कहते हैं?
- अपरदन किसे कहते हैं?
- स्थल रूप के प्रकारों के नाम बताइए?
- निक्षेपण किसे कहते है?
- बाह्य तथा आंतरिक शक्तियों (प्रक्रियाओं) मैं अंतर बताएं?
गृह कार्य
प्रमुख स्थल रूप कौन-कौन से हैं लिखिए?
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