निगमीय प्रबंधन

पेशेवर प्रबन्ध के लक्षण अथवा विशेषताएँ | पेशेवर प्रबन्धकीय भावीं चुनौतियाँ एवं परिवर्तन

पेशेवर प्रबन्ध के लक्षण अथवा विशेषताएँ | पेशेवर प्रबन्धकीय भावीं चुनौतियाँ एवं परिवर्तन | Characteristics or features of professional management in Hindi |  Professional Management Future Challenges and Changes in Hindi

पेशेवर प्रबन्ध के लक्षण अथवा विशेषताएँ

(Characteristics or Features of Professional Management)

पेशेवर प्रबन्ध की निम्न प्रमुख विशेषताएँ हैं-

(1) पेशेवर प्रबन्ध एक प्रक्रिया है (Professional Management is a Process) —

पेशेवर प्रबन्ध एक प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया सतत् चलती रहती है। जो लोग इस प्रक्रिया को चलाते हैं, वे अधिशासी अथवा प्रबन्धक कहलाते हैं। उनका मुख्य कार्य किसी संस्था के सीमित साधनों का मानव समाज के लिए अधिकतम उपयोग करना है। प्रक्रिया के रूप में प्रबन्ध में उन तकनीकों को सम्मिलित किया जाता है जिनके द्वारा प्रबन्धक अन्य लोगों की क्रियाओं में समन्वय स्थापित करते हैं। जॉर्ज आर. टैरी ने भी पेशेवर प्रबन्ध को एक प्रक्रिया ही बताया है।

(2) पेशेवर प्रबन्ध एक सामाजिक प्रक्रिया है (Management is a Social Process)—

पेशेवर प्रबन्ध एक सामाजिक प्रक्रिया है क्योंकि प्रबन्ध के कार्य मौलिक रूप से मानवीय क्रियाओं से सम्बंधित हैं। पेशेवर प्रबन्ध द्वारा ही मानवीय क्रियाओं को नियोजित, संगठित, निर्देशित, समन्वित, अभिप्रेरित एवं नियंत्रित किया जाता है। ई. एफ. एल. ब्रेच के शब्दों में, “मानवीय तत्व की विद्यमानता ही प्रबन्ध को सामाजिक प्रक्रिया का विशेष लक्षण प्रदान करती है।”

(3) पूर्व निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति (Achievement of Pre-determined Objectives)—

पेशेवर प्रवन्ध के अन्तर्गत समूह के प्रयासों को संख्या द्वारा पूर्व निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए निर्देशित किया जाता है। प्रबन्ध की सफलता इन उद्देश्यों अथवा लक्ष्यों की प्राप्ति पर निर्भर करती है। थियो हैमन, जॉर्ज आर. टैरी एवं हेन्स तथा मेसी आदि सभी प्रबन्ध विशेषज्ञों ने प्रबन्ध द्वारा उद्देश्यों की प्राप्ति पर बल दिया है। यदि उद्देश्य ही नहीं है तो फिर प्रबन्ध कैसा ?

(4) सामूहिक प्रयास (Group Efforts)-

पेशेवर प्रबन्ध सदैव सामूहिक प्रयासों की ओर ही इंगित करता है, न कि किसी व्यक्ति-विशेष के प्रयासों की ओर। टीम भावना की स्थापना ही प्रबन्धकीय सफलता की कुंजी है। इसलिए कूण्ट्ज एवं ओ’ डोनैल ने ‘औपचारिक संगठित समूहों (Formally Organised Groups), लारेंस एप्पले ने ‘दूसरे व्यक्तियों के प्रयास’ (Efforts of other People), हेन्स एवं मेसी ने ‘सहकारी समूह’ (Co-Operative Group), रेनोल्ड ने ‘समुदाय की एजेन्सी’ (Agency of Community) आदि शब्दों का प्रयोग प्रबन्ध की अपनी परिभाषाओं में किया है।

(5) पेशेवर प्रबन का एक पृथक् अस्तित्व है (Professional Management has a Distinct Entity)-

पेशेवर प्रबन्ध का एक पृथक् एवं भिन्न अस्तित्व है। प्रबन्ध अन्य लोगों के द्वारा तथा उनके साथ मिलकर कार्य करने की कला है। दूसरों से किस प्रकार कार्य करवाया जाये या लिया जाये, ताकि पूर्व निर्धारित उद्देश्यों की पूर्ति हो जाये, इसी का नाम ही तो पेशेवर प्रबन्ध है। यह एक साधारण कला नहीं है। इसके लिए अनुभव, ज्ञान एवं चातुर्य की आवश्यकता होती है।

(6) पेशेवर प्रबन्ध विश्वव्यापी (Professional Management is Universal) –

प्रबन्धकीय प्रक्रिया केवल किसी विशिष्ट कार्य, संस्था अथवा देश तक सीमित न रहकर सभी कार्यों, संस्थाओं अथवा देशों में व्याप्त है, जैसे-एक वैज्ञानिक किसी देश या सम्प्रदाय विशेष का नहीं होता, वह तो राष्ट्रों एवं सम्प्रदायों के मध्य पुल का कार्य करता है एवं सभी का होता है। उसी प्रकार प्रबन्ध के कार्य एवं सिद्धांत सभी जगह लागू होते हैं। कूण्ट्ज एवं ओ’ डोनैल के अनुसार, “प्रबन्ध के कार्य सभी संगठनों में लागू होते हैं, चाहे वे किसी भी प्रकृति के हों। प्रबन्ध के कार्य संगठन के सभी स्तरों पर लागू होते हैं। प्रबन्धक, संचालक, विभागाध्यक्ष, फोरमैन आदि सभी प्रबन्धकीय प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं।”

(7) पेशेवर प्रबन्ध एक कला एवं विज्ञान दोनों ही है (Professional Management is an Art as well as Science) –

पेशेवर प्रबन्ध एक कला एवं विज्ञान दोनों ही है। प्रबन्ध को कला इस कारण कहा जाता है क्योंकि प्रवन्धकीय कला एक व्यक्तिगत कला है जो अन्तर्ज्ञान से प्राप्त की जाती है। दूसरी ओर, प्रबन्ध को विज्ञान भी कहा जाता है। इसका स्थानान्तरण करना सम्भव नहीं है क्योंकि इसके भी कुछ सामान्य सिद्धांत एवं नियम है जिनका पालन करने से कुशलता प्राप्त की जा सकती है एवं निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति की जा सकती है। इन्हें सभी जगह लगभग समान रूप से लागू किया जा सकता है।

पेशेवर प्रबन्धकीय भावी चुनौतियाँ एवं परिवर्तन?

(What are the Professional Management challenges and changes in future)-

आज प्रत्येक प्रबन्धक की जुबान पर एक ही बात गूंज रही है कि हमें 22वीं शताब्दी में होने वाली चुनौतियों एवं परिवर्तनों का सामना करने के लिए अभी से तैयारी करनी होगी। एक पेशेवर प्रबन्धक भला कैसे और कब तक व्यवसाय के क्षेत्र में होने वाली तकनीकी, आर्थिक, राजनीतिक एवं सामाजिक परिवर्तनों के प्रति अपनी आँख बन्द करे रह सकता है? अन्ततः उसे ही भावी परिवर्तन एवं भावी चुनौतियों का सामना करना होगा किन्तु इन भावी परिवर्तनों एवं चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रबन्धकीय व्यूहरचना करने से पूर्व यह जानना आवश्यक है कि आखिर यह भावी प्रबन्धकीय चुनौतियाँ एवं परिवर्तन हैं क्या-क्या? इस सम्बन्ध में हरमन काहन (Herman Kaha) ने संगठनों एवं उनके पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों की निम्न सूची प्रस्तुत की है-

(1) विश्वव्यापी औद्योगीकरण एवं आधुनिकीकरण ।

(2) निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या जो विस्फोटक रूप धारण करती जा रही है।

(3) निरंतर बढ़ती हुई व्यापक विनाशक क्षमता जो किसी भी क्षण बटन दबाते ही सारे विश्व को नष्ट कर सकती है।

(4) नगरीयकरण तथा उप-नगरीयकरण।

(5) बढ़ती साक्षरता एवं शिक्षा तथा बौद्धिकों की बढ़ती हुई संख्या एवं उनका योगदान।

(6) बढ़ता हुआ औद्योगीकरण एवं उस पर बल

(7) भविष्य के लिए चिन्तन, बहस, नियोजन तथा विधियों एवं उपकरणों में सुधार।

(8) वर्तमान एवं बढ़ती हुई समष्टि परिवर्तन सम्बन्धी समस्याएँ।

(9) तकनीकी परिवर्तनों विशेषतः अनुसंधान, विकास, नवाचार तथा विसरण का संस्थावाद ।

(10) विश्व के सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक क्षेत्र में तेजी से लागू होने वाला नवाचार एवं विवेक तथा उसके द्वारा विश्व के भौतिक साधनों का अपने पक्ष में शोषण करने की मनोवृत्ति।

(11) मानवीय, प्रजातांत्रिक, पवित्र, सांस्कृतिक, फलमूलक विचारों का तेजी से होने वाला हनन।

(12) बहुआयामी प्रवृत्ति की बढ़ती हुई सर्वव्यापकता।

(13) बुर्जुआ, नौकरशाही तथा योग्यतावादी विचारधारा में उभरता हुआ मतभेद एवं इनके बीच पनपता संघर्ष।

(14) 22वीं सदी में प्रवेश की चुनौती।

निगमीय प्रबंधन – महत्वपूर्ण लिंक

 Disclaimer: e-gyan-vigyan.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- vigyanegyan@gmail.com

About the author

Pankaja Singh

Leave a Comment

(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
close button
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
error: Content is protected !!