
पर्यावरणीय शिक्षा की समस्याएँ | पर्यावरणीय शिक्षा की समस्याओं के समाधान
भारत में पर्यावरणीय शिक्षा की समस्याएँ एवं उनके समाधान
पर्यावरण की समस्या विश्व की समस्या है। भारत के लिए यह समस्या और भी अधिक भयंकर है क्योंकि यहाँ की जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। इस समस्या के समाधान के लिए ही पर्यावरणीय शिक्षा का विधान किया गया है। वैसे हमारे देश में इसे प्राथमिक शिक्षा में अनिवार्य विषय के रूप में किया जा चुका है, परन्तु अभी भी विद्वान इस विषय में एकमत नहीं हैं कि इस शिक्षा की विषय-सामग्री क्या हो, इसे कब शुरु किया जाए और यह शिक्षा कैसे दी जाए। भारत में पर्यावरणीय शिक्षा की ये ही मूलभूत समस्याएँ हैं।
(I) पर्यावरणीय शिक्षा की विषय-सामग्री की समस्या
प्रथमतः तो विद्वान इसी विषय में एकमत नहीं हैं कि इसे स्कूली पाठ्यचर्या का एक अलग विषय बनाया जाए अथवा इसे अन्य विषयों-भाषा, सामाजिक विज्ञान एवं विज्ञान के साथ जोड़कर पढ़ाया जाए। दूसरे हमारे देश में एन. सी. ई. आर. टी. ने पर्यावरणीय शिक्षा का जो पाठ्यक्रम बनाया है, वह अति विस्तृत है, उससे अधिकतर शिक्षाविद् असहमत हैं।
समस्या के कारण-
इस समस्या के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
(1) एन. सी. ई. आर. टी. ने जो पर्यावरणीय शिक्षा का पाठ्यक्रम बनाया है, वह अति विस्तृत है।
(2) वैसे ही स्कूली शिक्षा का वर्तमान पाठ्यक्रम अति विस्तृत है।
(3) एन. सी. ई. आर. टी. का कार्य तो सरकार की नीतियों के अनुपालन में लम्बे-चौड़े कार्यक्रम बनाना है, वहाँ बैठे विद्वान बच्चों के मानसिक स्तर को सामने रखने के स्थान पर सरकार के निर्णयों को सामने रखते हैं।
(4) प्राथमिक स्तर के लिए जो पाठ्यक्रम बनाया गया है उसे इस स्तर के बच्चे समझने में असमर्थ हैं।
समस्या का समाधान-
हमारे देश की स्थिति बड़ी अजीबोगरीब है, यहाँ के विद्वान बौद्धिक स्तर पर अधिक सोचते हैं, वास्तविकता के धरातल पर कम । इस समस्या के समाधान के लिए निम्नलिखित उपाय किये जाने चाहिये-
(1) पर्यावरणीय शिक्षा को स्कूली शिक्षा का अलग से विषय न बनाया जाए, इसे भाषा, सामाजिक विज्ञान और विज्ञान विषयों के साथ जोड़ा जाए।
(2) उच्च शिक्षा स्तर पर इसे एक विशिष्ट पर ऐच्छिक विषय के रूप में पढ़ाया जाए और इसका विस्तृत पाठ्यक्रम तैयार किया जाए जिसमें प्रदूषण कम करने की वैज्ञानिक विधियाँ भी शामिल हों।
(3) किसी भी विषय के साथ पर्यावरण से सम्बन्धित विषय-सामग्री को इस प्रकार जोड़ा जाए कि उस विषय का मूल रूप प्रभावित न हो।
(4) प्रौढ़ शिक्षा में पर्यावरण सम्बन्धी सामान्य ज्ञान ही कराया जाए, पर उन्हें पर्यावरण प्रदूषण के प्रति सचेत अवश्य किया जाए।
(II) पर्यावरणीय शिक्षा कब शुरू करने की समस्या
कुछ विद्वान इसे प्राथमिक स्तर से शुरू करना चाहते हैं, कुछ माध्यमिक स्तर से और कुछ का मत है कि इसे स्कूली शिक्षा का अंग बनाने की कोई आवश्यकता नहीं, इसे जन चेतना के रूप में जागृत करना चाहिए।
समस्या के कारण-
इस समस्या के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
(1) मनोवैज्ञानिकों का मत है कि किसी भी प्रकार के ज्ञान और अभिवृत्ति के विकास के लिए बाल्यकाल सबसे अधिक उपयुक्त काल है।
(2) इसे स्कूली पाठ्यक्रम में स्थान न देने वालों का तर्क है कि स्कूली शिक्षा का पाठ्यक्रम वैसे ही बहुत विस्तृत है।
(3) दूसरी तरफ विद्वानों का तर्क है कि प्राथमिक स्तर के बच्चे इसकी विषय-सामग्री को समझने योग्य नहीं होते, अतः इसकी शिक्षा की शुरूआत माध्यमिक स्तर पर की जाए।
(4) कुछ लोगों का यह भी तर्क है कि इसके ज्ञान की आवश्यकता नहीं, इसकी रोकथाम की आवश्यकता है जो सरकारी नियम एवं कानून द्वारा ही सम्भव है।
समस्या का समाधान-
इस समस्या के समाधान के लिए निम्नलिखित उपाय किये जाने चाहियें-
(1). माध्यमिक शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को जीवन के लिए तैयार करना होता है, उनका भविष्य कैसे सुरक्षित रह सकता है, इसका ज्ञान उन्हें कराना ही चाहिए, उन्हें प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और उनके विवेकपूर्ण उपयोग का ज्ञान दिया ही जाना चाहिए।
(2) पर्यावरण का सम्बन्ध मनुष्य के जीवन से होता है, पैदा होते ही वह पर्यावरण के सम्पर्क में आता है, अतः उसे इसका प्रारम्भ से ही स्पष्ट ज्ञान होना चाहिए और इस दृष्टि से इसकी शिक्षा प्राथमिक स्तर से ही शुरू की जाए, पर इस सावधानी के साथ कि बच्चों पर कोई अतिरिक्त बोझ न पड़े और न उनमें भविष्य के प्रति कोई चिन्ता उत्पन्न हो।
(3) प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम में पर्यावरण सम्बन्धी सामान्य जानकारी अवश्य दी जाए, उन्हें पर्यावरण प्रदूषण के दुष्परिणामों से सचेत किया जाए, पर्यावरण सुरक्षा की ओर अग्रसर किया जाए।
(4) यह विषय परिपक्व नागरिकों का है, अत: उन्हें इस सम्बन्ध में सदैव सचेत किया जाए।
(III) पर्यावरणीय शिक्षा कैसे दी जाये
कुछ विद्वान इसे अन्य स्कूली विषयों की तरह पढ़ाने के पक्ष में हैं और कुछ विद्वान इसे जन चेतना के रूप में जागृत करने के पक्ष में हैं । एन० सी० ई. आर. टी. ने तो पर्यावरणीय शिक्षा की विषय-सामग्री और उसके शिक्षण की विधियों का अलग से विकास किया है।
समस्या के कारण-
इस समस्या के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
(1) कुछ लोग हर समस्या का समाधान शिक्षा द्वारा चाहते हैं, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और प्रदूषण की समस्या का भी।
(2) कुछ विद्वानों ने पर्यावरणीय शिक्षा की अलग से शिक्षण विधियाँ भी तैयार कर दी हैं।
समस्या का समाधान-
इस समस्या के समाधान के लिए निम्नलिखित उपाय किये जाने चाहिये-
(1) पर्यावरणीय शिक्षा सम्बन्धी भिन्न-भिन्न प्रकरणों को जिन विषयों के साथ जोड़कर पढ़ाया जाए उन्हें उन्हीं की शिक्षण विधियों से पढ़ाया जाए।
(2) आज सभी साक्षर एवं निरक्षर टेलीविजन देखते हैं, अतः टेलीविजन द्वारा इसकी शिक्षा दी जाए। साक्षर लोग तो समाचार पत्र-पत्रिकाएँ भी पढ़ते हैं, अतः इस माध्यम का भी प्रयोग किया जाए।
(3) प्रौढ़ शिक्षा के लिए अनेक उत्तम शिक्षण विधियों का विकास हो चुका है, प्रौढ़ों को उन्हीं विधियों से पर्यावरणीय शिक्षा सम्बन्धी सामान्य जानकारी दी जाए।
(4) इस समय देश में शिक्षा के क्षेत्र में अनेक नारे बुलन्द हैं-मूल्य शिक्षा का, जनसंख्या शिक्षा का, राष्ट्रीय एकता की शिक्षा का और पर्यावरणीय आदि शिक्षा का। इन सबको जीवन के अभिन्न रूप में लेना चाहिए और इन्हें जीवन से जोड़कर विकसित करना चाहिये।
शिक्षाशास्त्र – महत्वपूर्ण लिंक
- उच्च शिक्षा में अन्तर विद्या अभिगमन की धारणा | भारतीय शिक्षा पद्धति की असमर्थता | शैक्षिक असमर्थता को दूर करना | अन्तर विद्या अभिगमन का सम्प्रत्य | अन्तर विद्या अभिगमन कार्यक्रम
- पर्यावरण शिक्षा के सार्वभौमिक उद्देश्य | भारत में पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता
- पर्यावरण शिक्षा पाठ्यक्रम के आधारभूत बिन्दु | पर्यावरण शिक्षा : पाठ्यक्रम के सैद्धान्तिक आधार
- पर्यावरण शिक्षा पाठ्यक्रम की विषय वस्तु | subject matter of environment education curriculum in Hindi
- प्रदूषण का अर्थ एव परिभाषा | पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार
- जनसंख्या शिक्षा का अर्थ | जनसंख्या शिक्षा के उद्देश्य | जनसंख्या शिक्षा की आवश्यकता | जनसंख्या शिक्षा का महत्व
- जनसंख्या शिक्षा की विषय-वस्तु | Content of Population Education in Hindi
- भारत में जनसंख्या शिक्षा का विकास | development of Population Education in India in Hindi
Disclaimer: e-gyan-vigyan.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- vigyanegyan@gmail.com