पर्वत पाठ योजना | पर्वत लेसन प्लान | mountain lesson plan in Hindi
पर्वत पाठ योजना
विद्यालय का नाम – अ – ब – स विद्यालय
दिनांक – 00/00/0000
कक्षा – 6
विषय – भूगोल
प्रकरण – पर्वत
अवधि – 30 मिनट
सामान्य उद्देश्य
- छात्रों में भूगोल के प्रति रुचि उत्पन्न करना।
- छात्रों को विश्व के विभिन्न देशों के भौगोलिक एवं सामाजिक पर्यावरण को समझने योग्य बनाना।
- छात्रों में प्राथमिक स्तर पर प्राप्त ज्ञान को सुव्यवस्थित करना।
- छात्रों में भौगोलिक नागरिकता के गुणों का विकास करना।
- छात्रों में भारत की प्राकृतिक परिस्थितियों का ज्ञान कराना।
विशिष्ट उद्देश्य
- छात्र-छात्राएं पर्वत को प्रत्यास्मरण कर सकेंगे।
- छात्र-छात्राएं पर्वत के प्रकारों का प्रत्याभिज्ञान कर सकेंगे।
- छात्र-छात्राएं पर्वतों की विशेषताओं की व्याख्या कर सकेंगे।
- छात्र-छात्राए भ्रंशोत्थ पर्वत का विश्लेषण कर सकेंगे।
- छात्र-छात्राएं वलित पर्वत तथा ज्वालामुखी पर्वत में अंतर कर सकेंगे।
शिक्षण सामग्री
चार्ट, चाक, डस्टर, संकेतांक एवं अन्य कक्षा उपयोगी सामग्री।
पूर्व ज्ञान
विद्यार्थी पर्वत के विषय में सामान्य जानकारी रखते हैं।
प्रस्तावना के प्रश्न
छात्र अध्यापिका क्रिया |
विद्यार्थी अनुक्रिया |
हम किस देश में रहते हैं? |
भारत |
भारत के पड़ोसी देशों के नाम बताएं? |
चीन, पाकिस्तान, नेपाल |
नेपाल में स्थित माउंट एवरेस्ट किसका उदाहरण है? |
पर्वत का |
उद्देश्य कथन
आज हम लोग पर्वत के विषय में अध्ययन करेंगे।
प्रस्तुतीकरण ( शिक्षण बिंदु, छात्र अध्यापिका क्रिया, विद्यार्थी अनुक्रिया)
पर्वत
पर्वत पृथ्वी की सतह की प्राकृतिक ऊंचाई है। पर्वत का शिखर छोटा तथा आधार चौड़ा होता है। कुछ पर्वतों पर हमेशा जमी रहने वाली बर्फ की नदियां होती हैं उन्हें हिमानी कहा जाता है। यहां कुछ ऐसे भी पर्वत हैं, जो समुद्र के भीतर हैं। पर्वत एक रेखा के क्रम में भी व्यवस्थित हो सकते हैं जिसे श्रृंखला कहा जाता है। बहुत से पर्वतीय तंत्र समानान्तर श्रृंखलाओं के क्रम में होते हैं जो सैकड़ों किलोमीटर में फैले होते हैं। हिमालय, आल्पस तथा एंडीज क्रमशः एशिया, यूरोप तथा दक्षिण अमेरिका की पर्वत श्रृंखलाएं हैं।
पर्वतों के प्रकार
पर्वत तीन प्रकार के होते हैं- वलित पर्वत, भ्रंशोत्थ पर्वत तथा ज्वालामुखी पर्वत।
हिमालया, आल्पस वलित पर्वत है जिन की सतह ऊबड़-खाबड तथा शिखर शंक्वाकार है। भारत की अरावली श्रृंखला विश्व की सबसे पुरानी वलित पर्वत श्रृंखला है। जब बहुत बड़ा भाग टूट जाता है तथा उर्ध्वाधर रूप से विस्थापित हो जाता है तब भ्रंशोत्थ पर्वतों का निर्माण होता है। ऊपर उठे हुए खंड को उत्खंड (हार्स्ट) तथा नीचे धंसे हुए खंडों को द्रोणिका भ्रंश (ग्राबेन) कहा जाता है। यूरोप की राइन घाटी तथा वासजेस पर्वत इस तरह के पर्वत तंत्र के उदाहरण है। ज्वालामुखी पर्वत ज्वालामुखी क्रियाओं के कारण बनते हैं। अफ्रीका का माउंट किलिमंजारो तथा जापान का फ्यूजीयामा इस तरह के पर्वतों के उदाहरण हैं।
पर्वतों के लाभ
पर्वत बहुत लाभदायक होते हैं। पर्वत जल के संग्रहागार होते हैं। बहुत सी नदियों का स्त्रोत पर्वतों में स्थित हिमानियों में होता है। पर्वतों के जल का उपयोग सिंचाई तथा पनबिजली के उत्पादन में भी किया जाता है। नदियों की घाटियां तथा वेदिकायें कृषि के लिए उपयुक्त होती हैं। पर्वतों में अलग-अलग प्रकार की वनस्पतियां तथा जीव-जंतु पाए जाते हैं। हमें ईंधन, चारा, आश्रय तथा दूसरे उत्पादन जैसे गोंद, रेजिन इत्यादि प्राप्त होते हैं। पर्वतों को पर्यटन स्थल के रूप में भी मनोरंजन हेतु प्रयोग में लेते हैं।
श्यामपट्ट सारांश
- पर्वत पृथ्वी की सतह की प्राकृतिक ऊंचाई है।
- पर्वत तीन प्रकार के होते हैं-
१.वलित पर्वत
२. भ्रंशोत्थ पर्वत
३. ज्वालामुखी पर्वत
- पर्वत जल के संग्रहागार होते हैं।
- पर्वतों में अलग-अलग प्रकार की वनस्पतियां तथा जीव जंतु पाए जाते हैं।
निरीक्षण कार्य
छात्र अध्यापिका छात्रों सेश्यामपट्ट पर लिखी सामग्री को अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखने का निर्देश देगी और निरीक्षण करते हुए उनकी समस्याओं का समाधान करेगी।
मूल्यांकन के प्रश्न
- पर्वत किसे कहते हैं?
- पर्वतों के प्रकार बताएं?
- पर्वतों के कोई तीन लाभ बताएं?
- भ्रंश पर्वत का निर्माण किस कारक द्वारा होता है?
- वलित पर्वत तथा ज्वालामुखी पर्वत में अंतर बताएं?
गृह कार्य
वलित पर्वत निर्माण की प्रक्रिया लिखें?
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