प्रबंधन सूचना प्रणाली

निर्णय समर्थन प्रणाली से आशय | निर्णय समर्थन प्रणाली के उद्देश्य, प्रयोग एवं विशेषताएँ | निर्णय समर्थन प्रणाली के घटक | निर्णयन समर्थन प्रणाली के उपकरण

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निर्णय समर्थन प्रणाली से आशय-

निर्णय समर्थन प्रणाली (DSS) एक ऐसी प्रणाली है जो प्रबंधकों को अपनी समस्या अपने ढंग से सुलझाने के लिए उपकरण (Tools) उपलब्ध करवाती है। प्रबंधक इन उपकरणों की मदद से अपनी अर्द्धसंरचित (Semi-struct- turned) या असंरचित (unstructured) समस्या को आसानी से सुलझा सकते हैं।

DSS स्वयं कोई निर्णय नहीं लेती बल्कि प्रबंधकों को निर्णय लेने में मदद करती है। उदाहरण के लिए स्टैंड शीट (spread sheet) पर प्रबंधक विश्लेषण कर सकता है तथा निर्णय आसानी से ले सकता है। अतः DSS प्रबंधकों की निर्णय लेने में मदद करता है।

निर्णय समर्थन प्रणाली के उद्देश्य, प्रयोग एवं विशेषताएँ

(DSS Goals and Applications and Characteristics)

  1. DSS प्रबंधकों को एक ऐसी प्रणाली उपलब्ध करवाता है जिसकी मदद से वे अपनी अर्द्धासंरचित व असंरचित निर्णयों को आसानी से ले सकते हैं।

अर्द्धसंरचित व असंरचित निर्णय वे होते हैं जिनमें उपलब्ध सूचनाएँ निर्णय लेने के लिए आवश्यक सूचनाओं का सिर्फ एक हिस्सा होते हैं लेकिन DSS की मदद से प्रबंधक इन पर विश्लेषण कार्य करके अधिक-से-अधिक सूचना प्राप्त कर सकता है।

  1. DSS की मदद से प्रबंधक उपलब्ध सूचनाओं में अपनी आवश्यकतानुसार फेरबदल कर सकते हैं। अगर निर्णय लेने में आवश्यक किसी सूचना में बदलाव आता है तो प्रबंधक DSS की मदद से आसानी से निर्णय पर पड़ने वाले प्रभाव को जान सकते हैं।
  2. DSS को समझना व प्रयोग में लाना बहुत ही आसान होता है। DSS के लिए किसी व्यक्ति को कम्प्यूटर का बहुत अधिक ज्ञान आवश्यक नहीं होता क्योंकि ये प्रायः प्रयोग में लाने के (ready to use) लिए तैयार पैकेज के रूप में होते हैं। इनमें प्रायः एक Help menu होता है जिनकी मदद से किसी समस्या का हल आसानी से देखा जा सकता है। इनमें ग्राफिक्स सुपर इन्टरफ़ैस जैसी सुविधा भी उपलब्ध होती है। ये प्रायः 4GL पर आधारित होते हैं जिससे इन्हें operate करना बहुत ही आसान होता है।

निर्णय समर्थन प्रणाली के घटक

(Parts of Decision Support System)

इसके मुख्यतः चार घटक होते हैं, जो निम्नलिखित हैं-

  1. प्रयोक्ता (The User),
  2. आँकड़ा संचय (Data Base),
  3. आयोजन भाषाएं (Planning Languages),
  4. प्रतिकृति आधार (Model Base)।
  5. प्रयोक्ता (The User) — इनके प्रयोक्ता प्रायः प्रबंधक होते हैं। ये किसी भी स्तर के हो सकते हैं। इन प्रबंधकों के पास कोई भी अर्द्धसंरचित या असंरचित समस्या मौजूद होती है जिनके लिए उन्हें निर्णय की आवश्यकता होती है। यहाँ यह ध्यान रखने योग्य है कि इन प्रयोक्ता को कम्प्यूटर का बहुत अधिक ज्ञान होना आवश्यक नहीं होता है।
  6. आँकड़ा संचय (Data Base) – DSS एक या अधिक डाटाबेस शामिल करता है अर्थात् DSS में एक या अधिक डाटाबेस (Container of data) होना चाहिए। इन डाटाबेस में नित्यप्रति (Routine) व गैर नित्यप्रति (Non-routine) संबंधी डाटा होने चाहिए जिन्हें आंतरिक या बाहरी दोनों स्त्रोतों से प्राप्त किया गया हो। उदाहरण के लिए प्रबंधकीय व वित्त लेखांकन प्रणाली से प्राप्त आंकड़े (जो routine data हैं), प्रतिस्पिर्धात्मक डाटा (non-routine data), माँग, उत्पादन क्षमता आदि डाटा के बारे में इनमें सूचना होनी चाहिए।
  7. आयोजन भाषाएँ (Planning Languages) — ये वे भाषाएं होती हैं जिनकी वजह से प्रबंधक अपना कार्य कर सकने में सक्षम होते हैं ये दो प्रकार की होती हैं- 1. सामान्य उद्देश्य के लिए भाषाएँ तथा, 2. विशेष कार्य या उद्देश्य हेतु।

सामान्य उद्देश्य वाली भाषाएँ प्रबंधकों को नित्य प्रति (routine) के कार्य में मदद करती हैं जैसे spread sheet, MS Access आदि। विशेष उद्देश्य भाषा किसी विशेष कार्य के लिए ही बनाई जाती है जैसे-SAS, SPSS आदि ।

  1. प्रतिकृति आधार (Model Base)- भाषा की मदद से प्रयोक्ता model base से संप्रेषण कर सकता है। मॉडल बेस DSS का दिमाग होता है क्योंकि इसी के द्वारा डाटा पर संगणनाएं (calculation) की जाती है। मॉडल बेस अनेक प्रकार के होते हैं जिनकी मदद से गणितीय संगणनाएं जैसे समाश्रयण विश्लेषण (regression analysis), समय श्रृंखला विश्लेषण (Time series analysis), रैखिक प्रोग्रामिंग (Linear Programming) व वित्त कार्य आदि का निष्पादन संभव है। मॉडल बेस प्रयोक्ता द्वारा दिए गए डाटा व डाटाबेस से निर्देशों के अनुसार लिए गए डाटा पर प्रोसेसिंग करता है।

निर्णयन समर्थन प्रणाली के उपकरण

(Tools for Decision Support System)

वे सॉफ्टवेयर जो DSS के कार्य करने में मदद करते हैं इसके उपकरण कहलाते हैं। इनको मुख्यतः चार भागों में बाँटा जा सकता है-

  1. आँकड़ा संचय भाषाएँ (Database Languages)- इस प्रकार के सॉफ्टवेयर डाटाबेस तैयार करने तथा उनमें रखे गए डाटा पर अपनी प्रक्रिया करके महत्वपूर्ण सूचना उपलब्ध करवाते हैं। इनका कार्य प्रायः छंटनी करना होता है। उदाहरण के लिए विभिन्न सूचना में से प्रयोक्ता द्वारा लगाई गई शर्त या शर्तों के अनुसार सूचना को अलग निकालना अर्थात ये query language की मदद तथा डाटाबेस की मदद से सूचना प्रदान करते हैं जैसे D base IV, SQL, FOCUS आदि।
  2. प्रतिकृति आधारित निर्णय समर्थन सॉफ्टवेयर (Model Based Decision Support Software)- इस प्रकार के सॉफ्टवेयर प्रायः वित्त विश्लेषण (Financial Analysis) में काम आते है। इसमें प्रयोक्ता अपनी इच्छानुसार रिजल्ट प्राप्त कर सकता है। प्रयोक्ता इसमें अपने व्यावसायिक पूर्वानुमानों व नियमों आदि के साथ-साथ रखकर डाटा पर काम करके महत्वपूर्ण सूचना प्राप्त कर सकता है। इसमें मुख्यतः “अगर ऐसा है तो.. ” वाली शर्त के साथ कार्य किया जाता है। इनके उदाहरण Lotus 123, Spread Sheet, MS Excel आदि हैं।
  3. सांख्यिकीय तथा डाटा परिचालन हेतु उपकरण (Tools for Statistics and Data Manipulation)– सांख्यिकीय विश्लेषण करने वाले सॉफ्टवेयर को इसमें शामिल किया जाता है ये सॉफ्टवेयर आँकड़ों को विभिन्न रूपों में बदलकर विश्लेषण संभव बनाते हैं जो मुख्यतः अनुसंधानकर्त्ता आदि के काम आते हैं। इस प्रकार के सॉफ्टवेयर मुख्यतः मेनफ्रेम कम्प्यूटर पर काम करते हैं लेकिन माइक्रो कम्प्यूटर के लिए भी कुछ सॉफ्टवेयर उपलब्ध है।
  4. डिस्प्ले आधारित निर्णय समर्थन सॉफ्टवेयर (Display Based Software) — इन सॉफ्टवेयर की मदद से सूचना का ग्राफिक प्रदर्शन संभव है। ये विभिन्न रूपों में सूचना का प्रदर्शन संभव बनाते हैं। उदाहरण के लिए MS Excel.

उपरोक्त सभी सॉफ्टवेयर प्रायः अलग-अलग होते हैं अर्थात् एक ही सॉफ्टवेयर में ये सारे गुण नहीं होते लेकिन आजकल Integrated सॉफ्टवेयर की मदद से यह संभव हो गया है। उदाहरण के लिए MS Excel में query language, model base तथा display base आदि सारे गुण उपलब्ध है।

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Pankaja Singh

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