शैक्षिक तकनीकी

मुक्त शिक्षा के अर्थ | मुक्त विश्वविद्यालय | मुक्त विश्वविद्यालयों की प्रमुख विशेषताएँ | परम्परागत विश्वविद्यालय और मुक्त विश्वविद्यालय में क्या अन्तर | खुले विश्वविद्यालय की आवश्यकता | इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय

मुक्त शिक्षा के अर्थ | मुक्त विश्वविद्यालय | मुक्त विश्वविद्यालयों की प्रमुख विशेषताएँ | परम्परागत विश्वविद्यालय और मुक्त विश्वविद्यालय में क्या अन्तर | खुले विश्वविद्यालय की आवश्यकता | इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय | Meaning of Open Education in Hindi | Open University in Hindi | Salient Features of Open Universities in Hindi | What is the difference between traditional university and open university in Hindi | need for open university in Hindi | Indira Gandhi National University in Hindi

मुक्त शिक्षा के अर्थ

मुक्त शिक्षा दूरस्थ शिक्षा का ही एक रूप है, जो पारम्परिक शिक्षा व्यवस्था से बिल्कुल स्वतंत्र है। मुक्त शिक्षा वह शिक्षा प्रणाली है, जो विद्यालयों और विश्वविद्यालयों के पूर्व निर्धारित पाठ्यक्रम व पाठ्यवस्तु को नहीं मानती, बल्कि पाठ्य सामग्री का इस प्रकार नवीनीकरण करती है जो अधिगमकर्ता की आयु, रुचि और आवश्यकता से ताल-मेल रखती हो।

मुक्त शिक्षा का अन्तर्निहित भाव है, ‘सबके लिए शिक्षा’ तथा ‘जीवन पर्यन्त शिक्षा’ अर्थात् प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है और वह जीवन पर्यन्त शिक्षा प्राप्त कर सकता है। सबके लिए तथा जीवन पर्यन्त शिक्षा की विधि व्यक्ति की रुचि, आवश्यकता, आयु तथा उसके परिवेश के अनुकूल होना चाहिए। शैक्षिक प्रक्रिया बहुत कठोर और अनम्य नहीं होनी चाहिए बल्कि व्यक्ति या अधिगमकर्ता की अधिगम गति (pace of learning) तथा उसकी क्षमताओं के साथ अनुकूलित होनी चाहिए।

मुक्त शिक्षा के दर्शन की पृष्ठभूमि में सभी को शिक्षा के समान अवसर (equality of educational opportunity) का दर्शन छुपा है। मुक्त शिक्षा कम या अधिक विद्यार्थियों की स्वतंत्रता को ही बढ़ावा देती है यह स्वतंत्रता अपने सार्थक रूप में प्रवेश, विषयों के चुनाव, पाठ्यक्रम के साथ अनुकूलन, समय, स्थान और आयु की होती है। विद्यार्थी या अधिगमकर्त्ता को अपनी गति और सुविधानुसार कार्य करने की छूट होती है।

मुक्त शिक्षा का मुक्त शब्द या विशेषण शिक्षा के साथ जुड़कर ऐसी शिक्षा प्रक्रिया को प्रदर्शित करना चाहता है जिसमें अधिगम को किसी प्रकार की बाधा का सामना नहीं करना पड़ता है, अधिगम किसी विशिष्ट समूह तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह सबको प्राप्य और सुलभ होता है। मुक्त शिक्षा एजूकेशन परमानेन्ट (Education Permanent) का ही आदर्श रूप है जिसके द्वारा प्रत्येक स्तर के व्यक्तियों के लिए खुले हैं, जन्म से मृत्यु तक।

मुक्त शिक्षा को परिभाषित कीजिए।

मैकेन्जी पोस्टगेट तथा स्कुफेम द्वारा प्रस्तुत यूनेस्को (UNESCO 1975) के विस्तृत विवरण-पत्र में ‘मुक्त शिक्षा’ को निम्न प्रकार परिभाषित किया गया है-

“इस व्यवस्था की रचना अंशकालिक अध्ययन के अवसर प्रदान करने, दूरस्थ शिक्षा प्रदान करने तथा पाठ्यक्रम के नवाचारों का प्रयोग करने के लिए की जाती है।”

सीधे व स्पष्ट शब्दों में मुक्त शिक्षा को निम्नलिखित ढंग से परिभाषित किया जा सकता है—

‘मुक्त शिक्षा’ एक अभिन्न शैक्षिक व्यवस्था है, जिसका उद्देश्य समाज की तीव्र गति से बदलती आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करना है और विद्यार्थियों को नई चुनौतियों का सामना करने के लिए सक्षम बनाने हेतु शैक्षिक अवसर प्रदान करना है।

मुक्त शिक्षा की रचना सख्त व अनम्य (Rigid) पारम्परिक शिक्षा व्यवस्था के प्रतिस्थापन (Replacement) के लिए हुई है। इसका उद्देश्य औपचारिक शिक्षा संस्थाओं के बाहर, एक बिल्कुल स्वतंत्र और व्यक्तिकृत अधिगम (Individualised Learning) की व्यवस्था करना है। यह व्यवस्था उन व्यक्तियों को भी शैक्षिक अवसर प्रदान करती है, जिन्हें औपचारिक शिक्षा अप्राप्य रही है। यह एक बहुमुखी (Multi Faced) और विस्तृत (Comprehensive) पाठ्यक्रम प्रदान करती है, जो सामाजिक दृष्टि से उपयोगी और प्रासंगिक तथा आर्थिक दृष्टि से उत्पादक होता है। मुक्त शिक्षा के अन्तर्गत दूरस्थ शिक्षा पद्धतियों (Distance Mode) का प्रयोग होता है जैसे मुद्रित सामग्रियाँ श्रव्य माध्यमों (Audio), दृश्य माध्यमों (Video), श्रव्य-दृश्य माध्यमों (Audio Visual Media) तथा रेडियो, दूरदर्शन आदि तथा बहुसंचार माध्यमों (Multimedia Approach) का प्रयोग होता है। दार्शनिक दृष्टिकोण से मुक्त शिक्षा को प्राथमिक अथवा उच्च या मुक्त विद्यालय तथा मुक्त विश्वविद्यालय की सीमा या शब्दों के दायरे में बांधना व्यर्थ है, फिर भी व्यावहारिक दृष्टि से उन लोगों के लिए जो कि शिक्षा की मुक्त धारा (Main Stream Education) से कहीं-न-कहीं विलग हो गये हैं, शिक्षा से जोड़ने के लिए ऐसी संस्थाओं की आवश्यकता अनिवार्य ही नहीं, अपरिहार्य है।

मुक्त विश्वविद्यालय

उच्च शिक्षा के सार्वभौमीकरण (Universalisation) के लिए मुक्त विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई है। कुछ वर्षो पहले तक किसी व्यक्ति को ‘उच्च शिक्षा’ प्राप्त करने के लिए अथवा किसी विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए औपचारिक शिक्षा के प्राथमिक तथा माध्यमिक स्तर की मुख्य धारा शिक्षा से गुजरना अनिवार्य था। यदि कोई व्यक्ति किन्हीं कारणों से शिक्षा की मुख्य धारा से विचलित या विलग हो जाता तो उच्च शिक्षा उसके लिए अप्राप्य या दुर्लभ हो जाती, या फिर उसे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। आज मुक्त विश्वविद्यालय ऐसे जन-समूहों के लिए वरदान है जो उच्च शिक्षा प्राप्त तो करना चाहते हैं, लेकिन शिक्षा की मुख्य धारा से अलग हो चुके हैं। ऐसे ही विशाल जन समूहों की शैक्षिक आवश्यकता के परिप्रेक्ष्य में तथा उच्च शिक्षा के सार्वभौमीकरण के लिए विश्व में ‘मुक्त-विश्वविद्यालय’ अभिनव और मूल्यवान प्रयोग हैं।

मुक्त विश्वविद्यालयों की स्थापना के पीछे एक और प्रमुख कारण उच्च शिक्षा की औपचारिक संस्थाओं या महाविद्यालयों तथा पारम्परिक विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की बढ़ती हुई जनसंख्या है, जिसे ये विश्वविद्यालय और महाविद्यालय सहन नहीं कर पा रहे हैं और दूसरा कारण उच्च शिक्षा की बढ़ती माँग है।

मुक्त विश्वविद्यालयों की प्रमुख विशेषताएँ

  1. 1. मुक्त विश्वविद्यालय एक स्वतंत्र, स्वत्रशासित दूरस्थ शिक्षा की संस्था है जो विद्यार्थियों को अपनी डिग्रियाँ, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट प्रदान करती है।
  2. मुक्त विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए अर्हता परीक्षा (Qualifying-test) या प्रवेश परीक्षा की आवश्यकता नहीं होती।
  3. प्रवेश के लिए कोई आयु सीमा नहीं है।
  4. मुक्त विश्वविद्यालय में शिक्षण-अधिगम के लिए कोई औपचारिक परिसर (Formal Campus) नहीं होता।
  5. परीक्षाएँ उत्तीर्ण करने के लिए समय सीमा नहीं होती।
  6. मुक्त विश्वविद्यालयों में परम्परागत विश्वविद्यालयों की तरह विविधता पूर्ण पाठ्यक्रम ततथा शिक्ष अधिगम की अनौपचारिक व्यवस्था और परीक्षाएँ भी होती हैं।
  7. शिक्षा प्रदान करने के लिए पत्राचार के साथ-साथ बहुसंचार माध्यमों (Multi media) का संयुक्त रूप से प्रयोग होता है जैसे कि रेडियो (आकाशवाणी), दूरदर्शन, कम्प्यूटर आदि।
  8. मुक्त विश्वविद्यालय पद्धति में जेली फिश बाउल (Jelly-fish-bowl) जैसा खुलापन है। ऐसे विश्वविद्यालय व्यक्ति की दृष्टि से पारम्परिक मानकों की दृष्टि से, स्थान और समय की दृष्टि से, शिक्षण विधियों की दृष्टि से, विचारों की दृष्टि से तथा योग्यता की दृष्टि से खुले हुए हैं।
  9. सूचना तकनीकी (Information Technology) के तीव्र गति से प्रसार के कारण मुक्त विश्वविद्यालयों की दूरस्थ पद्धति पर ऑन लाइन सेवाओं (On Line Services) इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क (Electroni Network), वर्ल्ड वाइड वेब [World Wide Web (www)] तथा इण्टरनेट (Internet) आदि का विशेष प्रभाव पड़ा है।
  10. पूरे विश्व में मुक्त शिक्षा के क्षेत्र में निवेशों (Inputs) का बहुतायत से प्रयोग हो रहा है जैसे कि स्वअधिगम सामग्री (Self Instructional Materials), श्रव्य-दृश्य सामग्री (Audio- video Materials), नियत कार्य (Assignments), शैक्षिक निर्देशन (Academic Counselling), प्रोजेक्ट वर्क (Project Work), वर्क शॉप (Workshop), टेलीकॉन्फ्रेसिंग (Teleconferencing) आदि।
  11. आजकल मुक्त विश्वविद्यालयों में रचनात्मकता वादी अधिगम (Constructivist Learning) पर विशेष बल देने के कारण कम्प्यूटर की मध्यस्थता से अनुदेशन (Computer Mediate a Instruction : CMI) का प्रचलन शुरू हो गया है।

परम्परागत विश्वविद्यालय और मुक्त विश्वविद्यालय में क्या अन्तर

परम्परागत और मुक्त विश्वविद्यालयों में निम्नांकित अन्तर हैं-

  1. परम्परागत विश्वविद्यालयों का अपना सीमित परिक्षेत्र होता है। मुक्त विश्वविद्यालय क्षेत्रीय सीमाओं के बन्धन से मुक्त है।
  2. मुक्त विश्वविद्यालयों में प्रवेश का कोई बन्धन या कठिनाई नहीं है। परम्परागत विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने में छात्रों को कठिनाई होती है। उन्हें परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है।
  3. मुक्त विश्वविद्यालयों में उपस्थिति अनिवार्य नहीं है। परम्परागत विश्वविद्यालयों में नियमित उपस्थिति अनिवार्य होती है।
  4. परम्परागत विश्वविद्यालयों का पाठ्यक्रम पूर्णकालिक होता है। अतः छात्र को प्रतिदिन उपस्थित होकर पूरे समय रह कर पाठ्यक्रम पूरा करना होता है। मुक्त विश्वविद्यालय का पाठ्यक्रम विद्यार्थी पर निर्भर करता है।
  5. मुक्त विश्वविद्यालय में कार्यरत लोग जैसे-व्यवसायी, कर्मचारी व कृषक आदि तथा गृहणियाँ भी शिक्षा प्राप्त कर सकती हैं। उन्हें कहीं आना-जाना नहीं पड़ता। परम्परागत विश्वविद्यालयों में ये सुविधाएँ नहीं हैं।
  6. परम्परागत विद्यालयों में प्रचलित पाठ्यक्रम परम्परागत, अनुपयोगी और जीवन से कटे हैं। मुक्त विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम व्यवसायपरक, व्यावहारिक एवं वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप हैं।

खुले विश्वविद्यालय की आवश्यकता

खुले विश्वविद्यालय शिक्षा के सम्बन्ध में नई शिक्षा नीति 1986 में कहा गया है, “उच्च शिक्षा के अवसरों में वृद्धि और शिक्षा का लोकतंत्रीकरण करने के लिए खुले विश्वविद्यालय की व्यवस्था को लागू किया गया है।”

खुले विश्वविद्यालय शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता सांस्कृतिक विरासत को आत्मसात् करना है। बिना किसी रोक-टोक के लोकसंचार साधनों के प्रयोग के द्वारा सांस्कृतिक विरासत को सामान्य जनता तक पहुँचाया जाता है। परम्परागत विश्वविद्यालय शिक्षा प्रणाली के दोषों को भी इस व्यवस्था से दूर कर दिया जाता है। औद्योगिक कर्मचारियों, घर में काम करने वाली महिलाएँ और अन्य प्रकार के लोग जो स्कूल नहीं जा सकते या अपने समय के अनुसार शिक्षा पाना चाहते हैं खुला विश्वविद्यालय उन लोगों की शिक्षा के लिए एक बहुत बड़ा वरदान है।

दृश्यात्मक प्रस्तुतीकरण शिक्षा प्रक्रिया को अधिक प्रभावशाली बना देता है। फिल्म, दूरदर्शन, वीडियो, टेपरिकॉर्डर और अन्य वैज्ञानिक उपकरण द्वारा पाठ्यवस्तु का दृश्यात्मक प्रस्तुतीकरण पहले कभी नहीं किया गया।

शिक्षाप्रद वैज्ञानिक प्रयोग, भौगोलिक भिन्नताएँ, सांस्कृतिक और जीवन के अनेक क्षेत्र निरीक्षक द्वारा शीघ्र, कम कीमत पर और अच्छे ढंग से समझे जाते हैं। ज्ञान और शिक्षा के प्रसार में भी खुला विश्वविद्यालय अधिक उपयुक्त लगता है।

इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय IGNOU-

इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय हमारे देश की मुक्त और दूरस्थ शिक्षा का राष्ट्रीय संस्थान है। इसकी स्थापना नई दिल्ली 20 सितम्बर, 1985 को संसद द्वारा पारित एक अधिनियम के तहत हुई। अब तक इस विश्वविद्यालय ने अपने कार्यकाल के 15 वर्ष से अधिक अवधि पूर्ण कर ली है। इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने अपनी अहम भूमिका से भारत को मुक्त शिक्षा और नवाचार के क्षेत्र में संसार के प्रमुख देशों में स्थान प्रदान किया है। यह विश्व के दस प्रसिद्ध मुक्त विश्वविद्यालयों में से एक है। मुक्त और दूरस्य शिक्षा के क्षेत्र में इसने अपना विशिष्ट स्थान बना दिया है। इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना उन लोगों को उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिये की गई है जो भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक या अन्य किसी कारण से पहले उच्च शिक्षा से वंचित रहे हैं या परम्परागत विश्वविद्यालय में प्रवेश नहीं ले सकते। सन् 2000 में विभिन्न पाठ्यक्रमों में 1.96 लाख से अधिक छात्रों को पंजीकृत किया गया। IGNOU में इस समय लगभग 2.41 लाख शिक्षार्थी नामांकित हैं और प्रति वर्ष लगभग 1,25,000 से ऊपर शिक्षार्थी इसमें नामांकन कराते हैं। यह विश्वविद्यालय नवीन दूरसंचार तकनीकी से सम्बद्ध है।

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Pankaja Singh

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