मंत्रिपरिषद् का गठन | मन्त्रिपरिषद् के कार्य | मन्त्रिपरिषद् का महत्त्व
मंत्रिपरिषद् का गठन
इंग्लैण्ड में नाममात्र या ध्वज मात्र की कार्यपालिका सम्राट् या साम्राज्ञी है पर वास्तविक कार्यपालिका मन्त्रिपरिषद् ही है। मन्त्रिपरिषद् का गठन सम्राट् द्वारा किया जाता है किन्तु उसका यह कार्य केवल औपचारिक है। वह संसद के बहुमत दल के नेता को प्रधानमन्त्री नियुक्त करता है और उसके परामर्श से अन्य मन्त्रियों को नियुक्त करता है, यह एक इकाई के रूप में कार्य करते हैं। इनकी संख्या छोटे-बड़े मन्त्री मिलाकर 60-72 तक होती है। इनका संसद का सदस्य होना आवश्यक है। ये कामन्स सभा के प्रति सामूहिक रूप में उत्तरदायी होते हैं।
मन्त्रिपरिषद् के कार्य
मन्त्रिपरिषद् को बहुत व्यापक अधिकार प्राप्त हैं। इसका कार्य-क्षेत्र असीमित है। राजमुकुट के जितने भी अधिकार हैं उनका व्यावहारिक उपयोग मन्त्रिपरिषद् ही करती है। नीचे हम मंत्रि परिषद के कार्यों का वर्णन करेंगे:-
(1) विधायी कार्य- मन्त्रिपरिषद् संसद की बैठक बुलाती है, उसका सत्रावसान करती है तथा उसका विघटन करती है। सिद्धान्त रूप में संसद कानून बनाती है परन्तु व्यावहारिक रूप में मन्त्रिपरिषद् जो विधेयक चाहती है संसद में पारित करवा लेती है। वास्तव में कानूनों की रूपरेखा भी मन्त्रिगण ही तैयार करते हैं और उन्हें संसद में पेश करते हैं। इस प्रकार इसको ‘लघु विधानमण्डल’ कहा जाता है।
(2) कार्यपालिकासम्बन्धी कार्य- सिद्धांत रूप में और कानूनी दृष्टि से समस्त कार्यपालिका शक्ति राजा में निहित रहती है। परन्तु राजा एक व्यावहारिक संज्ञा है और व्यावहारिक रूप में मन्त्रिपरिषद् समस्त कार्यपालिकीय शक्तियों का उपभोग करती है। संसद के समक्ष प्रस्तुत की जाने वाली नीति का निर्णय यही लेती है। संसद द्वारा पारित नीति के कार्य रूप देने का कार्य भी मन्त्रिपरिषद् ही करती है। समस्त कार्यपालिका पर मन्त्रिपरिषद् का पूर्ण नियन्त्रण रहता है। शासन के विभिन्न विभागों में सामन्जस्य स्थापित करने का कार्य भी मन्त्रिपरिषद् का है। यही राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को हल करती है।
(3) न्यायपालिकासम्बन्धी कार्य- अप्रत्यक्ष रूप से मन्त्रिपरिषद् न्यायपालिका का भी कार्य करती है। राजा को किसी भी अपराधी के दण्ड को क्षमा करने या उसे कम करने अधिकार प्राप्त है। परन्तु वह ऐसा मन्त्रिपरिषद् के परामर्श पर ही करता है। लार्ड चान्सलर की सलाह से ही वह उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।
(4) आर्थिक कार्य- राष्ट्रीय वित्त का उत्तरदायित्व मन्त्रिपरिषद् पर है। ये ही बजट तैयार करती और प्रस्तुत करके संसद से पारित कराती है। कौन-कौन से कर लगाये जायेंगे और आय को किस प्रकार से व्यय किया जायगा तथा कौन सा व्यय संचित निधि और कौन-सा आकस्मिक निधि है इसका निर्णय भी मन्त्रिपरिषद् ही करती है।
(5) सम्मान प्रदान करने का कार्य- राजा को प्रतिष्ठा प्रदान करने का अधिकार प्राप्त है। किन्तु इस कार्य को राजा मन्त्रिपरिषद् के परामर्श से ही करता है। मन्त्रिपरिषद् ही निश्चय करती है कि राजा किन-किन व्यक्तियों को सम्मान प्रदान करे।
(6) विदेश नीतिसम्बन्धी कार्य- विदेश नीति का निर्धारण भी मन्त्रिपरिषद् ही करती है। विभिन्न राष्ट्रों से किस प्रकार से सम्बन्ध रखने हैं इसका निर्णय भी मन्त्रिपरिषद् ही करती है। युद्ध, शान्ति अथवा सन्धि की घोषणा सम्राट मन्त्रिपरिषद् के परामर्श से ही करता है।
मन्त्रिपरिषद् का महत्त्व-
मन्त्रिपरिषद् का महत्त्व व्यवस्थापन, कार्यपालन और वित्तीय क्षेत्रों के अधिकार और शक्तियाँ देखते हुये बहुत अधिक है। व्यावहारिक रूप में कामन्स सभा की अपेक्षा मन्त्रिपरिषद् का महत्त्व बहुत अधिक है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि मन्त्रिपरिषद् का महत्त्व राजा और संसद दोनों से ही अधिक है।
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