करारोपण के उद्देश्य | object of taxation in Hindi
करारोपण के उद्देश्य-
करारोपण का उद्देश्य राज्य के लिये आय प्राप्त करना, कुछ विशिष्ट क्रियाओं का नियमन करना, किसी सामाजिक उद्देश्य की पूर्ति करना अथवा एक ही साथ आय व नियमन दोनों हो सकता है।’ करारोपण के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं–
(1) आय प्राप्त करना-
प्राचीनकाल से ही कर राजकीय आय का प्रमुख साधन रहा है। आधुनिक समय में राज्य के कार्य बढ़ जाने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ गया है। प्रकृतिवादियों के समय केवल भूमिकर’ ही लिया जाता था। परन्तु आजकल विभिन्न प्रकार के प्रत्यक्ष तथा परोक्ष कर लगाये जाते हैं। आय का प्रमुख साधन होने के कारण करों से आय प्राप्त करना सरकार का प्रमुख उद्देश्य होता है।
(2) समाज में धन के वितरण की असमानता को कम करता-
यदि किसी देश में आर्थिक असमानता होती हैतो सरकार ‘कर’ के द्वारा इस असमानता को कम करने का प्रयास करती है। यह धनी वर्ग पर भारी कर लगाती है तथा गरीबों पर व्यय करती है जिससे उनका जीवन- स्तर ऊंचा हो जाता है और धन के वितरण की असमानता कम हो जाती है। धन के वितरण में समानता लाने के लिये सरकार प्रगतिशील कर-प्रणाली का प्रयोग करती है।
(3) कुछ वस्तुओं के उपभोग पर रोक लगाना-
शराब, अफीम, भाँग तथा अन्य मादक वस्तुओं का उपभोग करने से लोगों का नैतिक पतन हो जाता है, उनका स्वास्थ्य गिरने लगता है, उनका जीवन-स्तर गिर जाता है, कार्यक्षमता घट जाती है जिसके फलस्वरूप राष्ट्रीय उत्पादन कम हो जाता है। अतः सरकार इन वस्तुओं के उपभोग पर रोक लगाने के लिये उन वस्तुओं पर भारी कर लगा देती है जिससे इनके मूल्य में वृद्धि हो जाती है। गरीब जनता उनके उपभोग को या तो छोड़ देती है या बहुत कम कर देती है।
(4) राष्ट्रीय आय में वृद्धि करना-
कर का उद्देश्य राष्ट्रीय आय में वृद्धि करना भी है। जब किसी देश की राष्ट्रीय आय कम होती है तो सरकार लोगों पर भारी कर लगाकर आय प्राप्त करती है। वह इस आय को उत्पादन कार्य में लगाकर राष्ट्रीय आय में वृद्धि करती है। दूसरे आर्थिक दृष्टि से पिछड़े देशों में उपभोग को कम करने के लिये कुछ कर लगाती है। इन करों से बचने के लिये जनता वस्तुओं का उपभोग कम कर देती है और जो बचत होती है उसे उत्पादन कार्य में लगा देती है जिससे राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है।
(5) आयात-निर्यात पर नियोजित करना-
स्वदेश में जिस वस्तु के उत्पादन को सरकार प्रोत्साहन देना चाहती है उसके आयात पर भारी कर लगा देती है। फल यह होता है कि विदेशी वस्तु महंगी हो जाती है और स्वदेश में बनी हुई वस्तु सस्ती होने के कारण उसकी माँग बढ़ जाती है जिसके फलस्वरूप उसका उत्पादन बढ़ जाता है। इसके विपरीत, यदि सरकार यह देखती है कि अपने देश में किसी वस्तु की कमी है और वह उसे विदेश को भेज रही है तो उस वस्तु के निर्यात पर भारी कर लगा देती है जिससे वह वस्तु विदेशों में महंगी हो जाने के कारण नहीं बिकत है और उसका निर्यात बन्द हो जाता है और वह वस्तु अपने देशवासियों को उपभोग करने के लिए उपलब्ध हो जाती है। इस प्रकार आयात व निर्यात पर रोक के लिये सरकार कर का सहारा लेती है।
(6) मूल्य में स्थिरता लाना-
जब कभी देश में मुद्रा-प्रसार होता है तो वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य बढ़ जाते हैं। फलतः निश्चित आय वाले निर्धन वर्ग को बहुत कष्ट सहन करना पड़ता है। इस स्थिति में सरकार कर लगाकर चलन में से द्रव्य को खींच लेती है। चलन में मुद्रा की मात्रा कम हो जाने से मुद्रा-प्रसार के दोष कम या दूर हो जाते हैं अर्थात् वस्तुओं और सेवाओ के मूल्य कम हो जाते हैं।
इस प्रकार मन्दीकाल में सरकार करों में छूट दे देती है जिससे जनता की क्रय शक्ति बढ़ जाती है। अतः वस्तुओं की माँग बढ़ जाती है, देश में उत्पादन को प्रोत्साहन मिलता है, रोजगार बढ़ जाता है। अतः कर नीति द्वारा देश में मूल्यों में स्थिरता पाई जा सकती है।
(7) बचत गतिशीलता एवं पूँजी निर्माण को प्रोत्साहन-
अल्पविकसित देशों में बचत की दर निम्न होती है। करारोपण बचतों को गतिशील करके, उन्हें उत्पादक कार्यों में लगाकर पूँजी निर्माण को प्रोत्साहित करता है जिससे आर्थिक विकास को बल मिलता है।
अर्थशास्त्र – महत्वपूर्ण लिंक
- सार्वजनिक व्यय में वृद्धि के कारण | भारत में सार्वजनिक व्यय में वृद्धि के कारण
- शून्य आधारित बजट प्रक्रिया | zero based budgeting process in Hindi
- सार्वजनिक आगम का अर्थ | सार्वजनिक आगम की परिभाषा | सार्वजनिक आगम के विभिन्न स्रोत
- सार्वजनिक आगम का वर्गीकरण | Classification of Public Proceeds in Hindi
- करभार का अर्थ | कराघात एवं करापात से आशय | कर भार या कर विवर्तन का विश्लेषण | कर भार अथवा कर विवर्तन के सिद्धान्त
- कर का अर्थ एवं परिभाषा | कर की प्रमुख विशेषतायें | meaning and definition of tax in Hindi | salient features of tax in Hindi
- कर/ करारोपण का अर्थ एवं परिभाषायें | करारोपण के प्रमुख सिद्धान्त
- करारोपण के आधुनिक सिद्धान्त | modern theories of taxation in Hindi
- प्रत्यक्ष कर से आशय | विशेषताएं | प्रत्यक्ष करों के गुण | प्रत्यक्ष करों के दोष
- उत्पत्ति हास्य परिवर्तनशील अनुपात नियम | परिवर्तनशील अनुपात नियम की व्याख्या
- कीमत लोच के प्रकार । कीमत लोच को प्रभावित करने वाले तत्व
- मांग की कीमत लोच क्या है? | मांग की लोच की श्रेणियां | मांग की लोच को मापने के ढंग
- मांग का अर्थ | मांग की परिभाषा | मांग को प्रभावित करने वाले तत्व
- मांग की आय लोच | आय प्रभाव ऋणात्मक भी हो सकता है
- मांग की कीमत लोच | आय लोच एवं आड़ी लोच | मांग के तीनों प्रकार
- उदासीनता वक्र की विशेषताएं | तटस्थता वक्र की विवेचना
- उपभोक्ता का संतुलन | उपभोक्ता के संतुलन को तटस्थता वक्र
- मांग के नियम | मांग के नियम के आधार | मांग का रेखा चित्र द्वारा स्पष्टीकरण
- मूल्य प्रभाव, आय प्रभाव व प्रतिस्थापन प्रभाव के बीच संबंधों की विवेचना
Disclaimer: e-gyan-vigyan.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- vigyanegyan@gmail.com