प्रबंधन सूचना प्रणाली

कम्प्यूटर | संगणक | कम्प्यूटर सिस्टम की कार्य प्रणाली | कम्प्यूटर सिस्टम की मूल क्रियाएँ | कम्प्यूटर की कार्य इकाइयाँ

कम्प्यूटर | संगणक | कम्प्यूटर सिस्टम की कार्य प्रणाली | कम्प्यूटर सिस्टम की मूल क्रियाएँ | कम्प्यूटर की कार्य इकाइयाँ | Computer in Hindi | computer in Hindi | Working of Computer System in Hindi | Basic Functions of Computer System in Hindi | working units of computer in Hindi

कम्प्यूटर

संगणक या कम्प्यूटर प्रणाली- “कम्प्यूटर” शब्द की उत्पत्ति अंग्रेजी भाषा के “कम्प्यूट” (Compute) शब्द से हुई है जिसका अर्थ है “गणना”। अतः इस आधार पर हम कह सकते हैं कि कम्प्यूटर एक गणना करने वाला यंत्र है। आक्सफोर्ड डिक्शनरी में संगणक को निम्न प्रकार दर्शाया गया है-

“An automatic electronic apparatus for making calculation or controlling operations that are expressible in numerical and logical terms.” इस परिभाषा से स्पष्ट है कि कम्प्यूटर एक विद्युत चालित यंत्र है जिसका मुख्य कार्य गणनायें करना तथा गणनाओं पर नियंत्रण हैं जिनको अंकों या तर्क के आधार पर प्रस्तुत किया जाना है।

कम्प्यूटर का एक मुख्य कार्य इसकी दिये जा रहे निर्देशों का पूर्णरूप से पालन करना है। इन निर्देशों को संगणक की भाषा में प्रोग्राम के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में प्रयोग किये जा रहे कम्प्यूटर जॉन वॉन न्यूमैन द्वारा दिये गये मॉडल पर आधारित हैं।

कम्प्यूटर सिस्टम की कार्य प्रणाली-

प्रत्येक कार्य को मनुष्य तथा मशीनों द्वारा मुख्यतः तीन चरणों में किया जाता है। प्रथम चरण में सूचना को अव्यवस्थित रूप में ग्रहण किया जाता है। द्वितीय चरण में उसको संग्रहित कर गणनायें की जाती हैं तथा अंतिम चरण में गणनाओं के आधार पर किसी निष्कर्ष पर पहुँचना या निर्णय लेना है।

संगणक द्वारा भी इन्हीं चरणों का प्रयोग किया जाता है। प्रथम चरण में सूचना को कम्प्यूटर में डाला जाता है अर्थात् डाटा इनपुट किया जाता है। दूसरे चरण में प्राप्त सूचना का संग्रहण किया जाता है तथा आवश्यक गणनायें की जाती हैं अर्थात् प्रोसेसिंग की जाती है। अन्तिम चरण में कम्प्यूटर द्वारा प्रोसेस्ड जानकारी प्राप्त की जाती है अर्थात् डेटा आउट पुट लिया जाता है।

कम्प्यूटर सिस्टम की मूल क्रियाएँ–

कम्प्यूटर सिस्टम की मूल क्रियाएँ निम्न प्रकार हैं-

(i) आँकड़ों को ग्रहण करना (Data Input)— इन क्रिया में संगणक अपने प्रयोगकर्त्ता से जानकारी एकत्र करता है।

(ii) आँकड़ों का संग्रहण (Data Storage) — इसके अन्तर्गत कम्प्यूटर द्वारा प्राप्त जानकारी को भविष्य के लिये हार्ड डिस्क या मैमोरी में संग्रहीत किया जाता है।

(iii) आँकड़ों का आंकलन (Data Processing) — इसके अन्तर्गत निर्देशों के आधार पर एकत्रित सूचना का आंकलन किया जाता है तथा गणनायें की जाती है।

(iv) डेटा नियंत्रण (Data Controlling)- इसके अन्तर्गत सूचनाओं को लिखने पढ़ने के अतिरिक्त उनकी गणनाओं पर नियंत्रण रखा जाता है ताकि गणना की विश्वसनीयता बनी रहे।

(v) डेटा आउटपुट देना (Data Output)—आंकलन व गणनाओं के पश्चात् प्राप्त सूचनाओं को कागज पर छापना या कम्प्यूटर की स्क्रीन पर देखना डेटा आउटपुट कहलाता है।

कम्प्यूटर की कार्य इकाइयाँ-

मशीन अर्थात् हार्डवेयर को अनेक भागों में विभक्त किया गया है। प्रत्येक भाग का कार्य भिन्न होता है। कार्य विशेष के आधार पर संगणक को निम्न भागों में विभक्त किया गया है-

(i) इनपुट यूनिट (Input Unit) — अपने कार्य को सुचारु रूप से करने के लिये संगणक की प्राथमिक आवश्यकता जानकारी प्राप्त करना अर्थात् ‘डेटा इनपुट’ लेनी होती है। इसके लिए विभिन्न प्रकार की इनपुट यूनिट कम्प्यूटर द्वारा प्रयोग में लायी जाती हैं जैसे—माउस, लाइट, पैन, स्कैनर, की-बोर्ड, जॉय स्टिक, वैब कैमरा आदि। की-बोर्ड को स्टैण्डर्ड इनपुट डिवाइस (Standard Input Devices) माना जाता है। इनपुट यूनिट के कार्यों को निम्न तीन भागों में बाँटा गया है-

  1. प्रयोगकर्ता से सूचना एकत्र करना।
  2. सूचना को इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल में परिवर्तित करना।
  3. सूचना को प्रोसेसिंग यूनिट तक पहुँचाना।

(ii) स्टोरेज यूनिट (Storage Unit) — प्राप्त सूचना को आंकलन व गणना के कार्य करने के लिये स्थायी तथा अस्थायी रूप में एकत्र किया जाता है। इस आधार पर स्टोरेज यूनिट को निम्न दो भागों में विभक्त किया गया है-

  1. प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory),
  2. द्वितीयक मेमोरी (Secondary Memory ) 1

प्राथमिक मेमोरी मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है—(a) रैम (RAM), रॉम (ROM)। किन्तु आजकल के कम्प्यूटरों में इनके अतिरिक्त एक अन्य प्रकार की मेमोरी होती है जिसे कैश मेमोरी (Cash Memory) के नाम से जाना जाता है। इनकी भण्डारण क्षमता कम होती है तथा ये कम्प्यूटर की कार्यक्षमता बढ़ाने में सहायक होते हैं, जबकि द्वितीय मेमोरी में विभिन्न प्रकार की डिस्क जैसे-हार्ड डिस्क, फ्लौरी डिस्क, कॉम्पैक्ट डिस्क आदि का प्रयोग किया जाता है। इनका मुख्य कार्य सूचना को अधिक से अधिक मात्रा में एकत्र करना होता है। स्टोरेज यूनिट के कार्यों को निम्न भागों में बाँटा जा सकता है-

(a) इनपुट यूनिट से प्राप्त जानकारी को संग्रहित करना।

(b) प्रोसेसिंग हेतु दिए गये निर्देशों (Programmers) को संग्रहित करना।

(c) प्रोसेसिंग द्वारा प्राप्त जानकारी को संग्रहित करना।

(iii) प्रोसेसिंग यूनिट (Processing Unit)- इस यूनिट को कम्प्यूटर का मष्तिष्क कहा जाता है। कम्प्यूटर की कार्यक्षमता, गति इसी पर निर्भर करती है। इस यूनिट कर मुख्य कार्य इस प्रकार हैं-

(a) कम्प्यूटर के सभी अंगों का संचालन तथा उनका नियंत्रण

(b) कम्प्यूटर में चल रही प्रत्येक गति विधि का संचालन

(c) कम्प्यूटर के विभिन्न भागों में मध्यस्थता।

(d) विभिन्न गणनाओं हेतु स्थान का चयन

(e) कम्प्यूटर में आ रहे डाटा (सूचना) का नियंत्रण

(f) विभिन्न गणनाओं हेतु स्थान का चयन।

उपर्युक्त कार्य के आधार पर कम्प्यूटर को दो विशिष्ट भागों में विभक्त किय है-

  1. अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट (ALU)
  2. कन्ट्रोल यूनिट

अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट का कार्य संख्या को जोड़ना, घटाना, भाग तथा गुणा करना है। जबकि लॉजिक यूनिट का कार्य संख्याओं की तुलना करना है। लॉजिक यूनिट में इस बात का निर्णय लिया जाता है कि संख्या छोटी, बड़ी या बराबर है या नहीं। इसके अतिरिक्त सही (True) तथा गलत (False) का निर्णय भी लॉजिक यूनिट करती है।

जबकि कन्ट्रोल यूनिट का कार्य कम्प्यूटर के अंगों का संचालन व नियंत्रण है। इसका कार्य सूचना का आदान-प्रदान करना तथा उनका संग्रहण करना भी है।

(iv) आउटपुट यूनिट (Output Unit)- इस यूनिट का कार्य की गई गणनाओं का ज्ञान प्रयोगकर्ता को करना है। इस कार्य के लिये कम्प्यूटर में एक से अधिक आउटपुट यूनिट लगाई जा सकती है। मॉनिटर या विजुअल डिस्पले यूनिट को मुख्य आउटपुटयूट (Standard Output Unit) कहा जाता है। इसके अतिरिक्त प्रिंटर, स्पीकर, प्लौटर तथा विभिन्न प्रकार की डिस्क प्रयोग में लायी जाती हैं। आउटपुट यूनिट के मुख्य कार्य के मुख्य कार्य इस प्रकार हैं-

(1) प्रोसेसिंग यूनिट से सूचना का अधिग्रहण करना।

(2) प्राप्त सूचना को मनुष्य द्वारा समझे जाने वाले स्वरूप में परिवर्तित करना तथा

(3) परिवर्तित सूचना का प्रयोगकर्त्ता तक पहुँचाना।

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