शिक्षाशास्त्र

कम्प्यूटर का शिक्षा में उपयोग | शिक्षण-अधिगम की प्रक्रिया में सीधी शिक्षण सहायता के रूप में कम्प्यूटर का उपयोग | प्रशासनिक या व्यवस्थापकीय सहायक के रूप में कम्प्यूटर का उपयोग | कम्प्यूटर शिक्षा की आलोचना

कम्प्यूटर का शिक्षा में उपयोग | शिक्षण-अधिगम की प्रक्रिया में सीधी शिक्षण सहायता के रूप में कम्प्यूटर का उपयोग | प्रशासनिक या व्यवस्थापकीय सहायक के रूप में कम्प्यूटर का उपयोग | कम्प्यूटर शिक्षा की आलोचना | Use of computer in education in Hindi | Use of computer as a direct teaching aid in the process of teaching-learning in Hindi | Use of computer as an administrative or administrative assistant in Hindi | Criticism of computer education in Hindi

कम्प्यूटर का शिक्षा में उपयोग

पिछले दशक से कम्प्यूटर का विभिन्न कार्यों एवं क्षेत्रों में तीव्रगति से विस्तार हुआ है। आरम्भ में कम्प्यूटर का प्रयोग अधिकतर एक महासंगणक के रूप में था, जिसकी कि सहायता से बड़े-बड़े आँकड़ों को आसानी से अल्प समय में सरलतम रूप में प्रस्तुत किया जा सकता था लेकिन आज इसका प्रयोग अनेक शैक्षिक गतिविधियों में होने लगा है। उनमें कुछ महत्वपूर्ण उपयोग निम्न है-

महासंगणक के रूप में (Super Calculator)- कम्प्यूटर का शिक्षा के क्षेत्र में यह पहला एवं कुछ समय तक एकमात्र उपयोग था। इसमें कम्प्यूटर को अनुसंधान के क्षेत्र में आने वाली कठिनतम एवं अधिक समय लेने वाली गणनाओं का हल प्राप्त करने के लिए उपयोग में लाया जाता था। जैसे-जैसे कम्प्यूटर प्रणाली में सुधार होते गये वैसे-वैसे इस क्षेत्र में इसका उपयोग बढ़ता ही गया और आज कम्प्यूटर विभिन्न विषयों के अनुसंधानों के लिए एक अनिवार्य अनुसंधान साधन हो गया है।

आज कम्प्यूटर का उपयोग केवल वैज्ञानिकों एवं अनुसंधानकर्त्ताओं तक ही सीमित नहीं रह गया है, बल्कि आज यह छात्र एवं अध्यापक के दैनिक जीवन का आवश्यक अंग बन गया है। दैनिक जीवन में छात्र आज कम्प्यूटर का उपयोग ग्राफ के ढलाव की गणना करने, आँकड़ों की सांख्यिकीय गणना करने, प्रयोगों के परिणाम ज्ञात करने जैसे कार्यों के लिए भी करते हैं।

शिक्षण-अधिगम की प्रक्रिया में सीधी शिक्षण सहायता के रूप में कम्प्यूटर का उपयोग

(Use of Computers as Direct Teaching Aids to the Teaching-Learning Process)

आजकल कम्प्यूटर का उपयोग शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में काफी हद तक हो रहा है। कम्प्यूटर के शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में इस प्रकार के उपयोग को ‘कम्प्यूटर की सहायता से अधिगम’ (Computer Assisted Learning) के नाम से जाना जाता है।

कम्प्यूटर को शिक्षण-अधिगम की प्रक्रिया में साधारणतया दो प्रकार की परिस्थितियों में उपयोग किया जाता है-

(अ) शिक्षक के प्रतिस्थापक के रूप में (The Substitute Mode)

(ब) अनुकरणीय प्रयोगशाला के रूप में (The Simulated Laboratory Mode)

कभी-कभी उपरोक्त दोनों उपयोग एक साथ भी किये जाते हैं।

(अ) शिक्षक के प्रतिस्थापक के रूप में- इस रूप में कम्प्यूटर शिक्षक के स्थानापन्न का कार्य करता है। इस रूप में छात्र सीधे कम्प्यूटर से व्यवहार करता है। कम्प्यूटर को पहिले से ही छात्रों के प्रश्नों के उचित उत्तर देने के लिए नियोजित (प्रोमाम्ड) कर दिया जाता है। कम्प्यूटर के माध्यम से छात्रों को अधिगम ज्ञान (learning information) या विषय-वस्तु क्रमवार प्रस्तुत की जाती है तथा उस लघु विषय-वस्तु की जानकारी देने के पश्चात् उस पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं। यदि छात्र प्रश्न का सही उत्तर दे देता है, तो उसे अगलो विषय-वस्तु प्रस्तुत की जाती है, और यदि वह प्रश्न का उत्तर गलत देता है तो उसकी गलती पर ध्यान दिलाने के लिए तथा उसे सुधारने के लिए अतिरिबन, डानत एवं आवश्यक विषय-वस्तु फिर प्रस्तुत की जाती है। जब तक छात्र अपनी गलती सुधार नहीं लेता तब तक उसे अतिरिक्त विषय-वस्तु प्रस्तुत की जाती है।

जब कम्प्यूटर का उपयोग इस प्रकार के स्व-अध्ययन में किया जाता है तो छात्रों के उत्तरों का प्रकार कम्प्यूटर एवं कम्प्यूटर प्रोग्राम पर अधिक निर्भर करता है। एक सामान्य कम्प्यूटर प्रोग्राम छात्र को दिये प्रश्न का उत्तर देने के लिए बहुविकल्प के रूप में दिये उत्तरों में से एक उत्तर चुनने के लिए बाध्य कर सकता है। जबकि एक अन्य प्रकार का कम्प्यूटर प्रोग्राम छात्रों को अपने स्वयं के शब्दों में उत्तर देने (free response) के लिए बाध्य कर सकता है। ऐसी स्थितियों में कम्प्यूटर को मुख्य शब्द (Key Words, या अंक ज्ञात करने के लिए प्रोग्राम कर दिया जाता है।

(ब) अनुकरणीय प्रयोगशाला के रूप में- इस में कम्प्यूटर के उपयोग में कम्प्यूटर का सीधे शिक्षण-साधन के रूप में अधिक उपयोग न करके अधिगम साधन के रूप में अधिक उपयोग करते हैं। इस उपयोग के लिए कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग के द्वारा ‘Practical Situations को कम्प्यूटर में feed कर दिया जाता है तथा छात्रों को इन ‘Practical Situations’ पर अधिगन सहायता, सामग्री के रूप में प्रदान की जाती है। अनुकरणीय प्रयोगशाला के रूप में कम्प्यूटर का उपयोग उस समय अधिक उपयुक्त हो जाता है जहाँ-

(1) रूढ़िवादी व्यावहारिक प्रदर्शन या तो बहुत अधिक कठिन है या असम्भव है।

(2) आवश्यक उपकरण या मशीन शीघ्र उपलब्ध नहीं है, या सामान्य कक्षा के लिए बहुत कीमती है।

(3) वास्तविक परिस्थिति की जाँच करने में अनावश्यत अधिक समय लगता है।

अनुकरणीय प्रयोगशाला के रूप में कम्प्यूटर के उपयोग से वे अधिगम अनुभव भी प्राप्त किये जा सकते हैं, जो कि शायद वास्तविक परिस्थितियों में प्राप्त करना असम्भव है। उदाहरण के लिए इसका उपयोग छात्र मानव जेनिटिक्स, सूक्ष्म अर्थशास्त्र तथा समाजशास्त्र के क्षेत्र में अनुकरणीय प्रयोग कर सकता है, जोकि जातीय, अर्थशास्त्रीय या अन्य कारणों से असम्भव है।

प्रशासनिक या व्यवस्थापकीय सहायक के रूप में कम्प्यूटर का उपयोग

(Use of Computers in an Administrative or Managerial Role)

आजकल कम्प्यूटर का प्रयोग प्रशासनिक एवं व्यवस्थापकीय सहायक के रूप में काफी प्रचलित है। उदाहरण के लिए शिक्षकों एवं अन्य कर्मचारियों के वेतन भुगतान में, समय-सारणी बनाने में आदि। इस प्रकार के कम्प्यूटर उपयोग को कम्प्यूटर व्यवस्थापित अधिगम (Computer Managed Learning) के नाम से जाना जाता है।

इस उपयोग कम्प्यूटर का शिक्षण-अधिगम की प्रक्रिया में सौधा उपयोग न करके, इसका उपयोग शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में एक सहायक के रूप में किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि शिक्षक को उनके कथा व्यवस्थापन या विद्यालय व्यवस्थापन या अन्य प्रशासनिक क्रिया-कलापों में लगने वाला समय से मुक्त कर दें तथा यह कार्य कम्प्यूटर की सहायता से कर लें तो शिक्षक अपना यह मुक्त हुआ समय कक्षा में शिक्षण-अधिगम की प्रक्रिया को और अधिक शक्तिशाली बनाने में लगा सकता है ।

इस प्रकार के कम्प्यूटर उपयोग का कार्य मुख्य रूप से लिपिकीय है। साधारणतया कम्प्यूटर के प्रशासनिक एवं व्यवस्थापकीय उपयोग निम्न प्रकार के हैं-

  1. यह प्रश्न-पत्र बना सकता है, उसकी जांच कर सकता है तथा प्रश्न-पत्र के अंकों को सुधारात्मक या मूल्यांकन के उद्देश्य से विश्लेषित तथा वर्णित कर सकता है।
  2. यह परीक्षा मूल्यांकन के आंकड़ों को इकट्ठा तथा समय-समय पर व्यवस्थित कर सकता है।
  3. यह समय सारणी बनाने में शिक्षकों की सहायता कर सकता है।
  4. यह शिक्षकों के वेतन बनाने, उनके उपस्थिति रजिस्टर को पूर्ण करने, उनकी समय सारणी का निर्माण करने आदि अनेक लिपिकीय स्तर के कार्यों में सहायता प्रदान कर सकता है।

उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट है कि कम्प्यूटर आज हमारी दिनचर्या का एक अभिन्न अंग बन गया है। कम्प्यूटर की जानकारी (Computer Literacy) आज एक महत्वपूर्ण आवश्यकता बन गई है। कम्प्यूटर के महत्व को देखते हुए आवश्यक हो गया है, कि कम्प्यूटर की शिक्षा को धीरे-धीरे सेकेण्डरी स्तर के पाठ्यक्रम में शामिल कर दिया जाय इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए वर्ष 1984-85 में चुने हुए 248 स्कूलों में छात्रों में कम्प्यूटर ज्ञान देने के उद्देश्य से स्कूलों में कम्प्यूटर जानकारी एवं अध्ययन (Computer Literacy and Studies im Schools, CLASS) के नाम एक परियोजना आरम्भ की गई। इसके कुछ समय पश्चात् इसके लाभ को अन्य स्कूलों में भी बढ़ाने के उद्देश्य से इस परियोजना के अन्तर्गत 2,572 स्कूलों को और शामिल किया गया। इस परियोजना के तहत प्रत्येक स्कूल को पाँच बी० बी० सी० ए० सी० ओ० आर० एन० (BBCACORN) माइक्रो कम्प्यूटर प्रणालियाँ उनके अन्य साधनों के साथ प्रदान की गई। इस परियोजना के मुख्य उद्देश्य हैं-

  1. छात्रों को कम्प्यूटर के बारे में विस्तृत जानकारी देना।
  2. छात्रों को स्वयं प्रयोग करके जानकारी/ज्ञान देना।
  3. मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं में कम्प्यूटर के विभिन्न उपयोगों के बारे में अनुभव देना !
  4. कम्प्यूटर के सम्बन्ध में फैले विभिन्न भ्रमों को दूर करना।
  5. अपने वातावरण के अनुसार कम्प्यूटर के उपयोग के सम्बन्ध में ज्ञान देना।

कम्प्यूटर शिक्षा की आलोचना

(1) इससे बेराजगारी की भयंकर समस्या दिनों दिन चहतो जा रही है।

(2) बहुत सारे उद्यमों में से (रेलवे, डाक तार विभाग, बड़े-बड़े उद्योगो) भारी संख्या में कर्मचारियों को छटनी शुरू हो गयी है जो एक दुःखद भविष्य का संकेत है।

(3) यह एक प्रकार से बालक के बुद्धि को विकसित होने में रुकावट खड़ा करता है।

(4) यह एक यन्त्र है जो मानव द्वारा निर्देशित होता है। इसमें स्वयं के सोचने तथा निर्णय लेने की क्षमता नहीं होती।

(5) इससे सामाजिक मूल्यों का विकास सम्भव नहीं है।

(6) इससे बालक में चारीत्रिक एवं नैतिक मूल्यों का विकास नहीं हो सकता।

(7) इसमें मानवीय गुणों का अभाव होता है जो किसी भी समाज के विकास में सहायक होता है

(8) इससे बालक में सृजनात्मक क्षमता का विकास सम्भव नहीं है।

(9) इसमें वैयक्तिक भिन्नता का अभाव है।

(10) कम्प्यूटर द्वारा सभी छात्रों को एक ही दिशा में शिक्षित किया जाता है।

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Pankaja Singh

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