शैक्षिक तकनीकी

कक्षा-कक्ष प्रबन्ध कौशल | कक्षा-कक्ष प्रबन्धन कौशल के घटक | शिक्षण कौशलों का एकीकरण | पाठ समापन कौशल | पाठ समापन कौशल के घटक

कक्षा-कक्ष प्रबन्ध कौशल | कक्षा-कक्ष प्रबन्धन कौशल के घटक | शिक्षण कौशलों का एकीकरण | पाठ समापन कौशल | पाठ समापन कौशल के घटक | Classroom Management Skills in Hindi | Components of classroom management skills in Hindi | Integration of Teaching Skills in Hindi | Lesson Completion Skills in Hindi | Components of Lesson Completion Skills in Hindi

कक्षा-कक्ष प्रबन्ध कौशल (Class Room Management Skill) :

शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के सफल संचालन के लिए कक्षा-कक्ष में उचित परिवेश का निर्माण, विद्यार्थियों का नियंत्रण, उनके व्यवहारों को उचित दिशा-निर्देश देना अत्यन्त आवश्यक होता है। कक्षा-कक्ष में पढ़ाने वाला शिक्षक कक्षा-कक्ष को जितना अधिक सुव्यवस्थित, अनुशासित अधिगमोन्मुख तथा विद्यार्थियों पर नियंत्रण बनाने में समर्थ होता है उतनी ही अधिक मात्रा में अधिगम उद्देश्यों की पूर्ति में आसानी होती है। इसलिए आधुनिक समय में प्रत्येक छात्राध्यापक में कक्षा-कक्ष प्रबन्ध कौशल में निपुण होने की आशा की जाती है।

“कक्षा-कक्ष प्रबन्धन कौशल से अभिप्राय शिक्षक द्वारा शिक्षण के दौरान कक्षा-कक्ष की पूरी व्यवस्था, कक्षागत वातावरण अनुशासनबद्धता से सम्पृक्त उन सभी कार्यकलापों से लगाया जाता है जिनसे प्रभावी ढंग से अधिगम लक्ष्यों की सम्पूर्ति एवं कार्य संचालन में सुगमता होती है।“

कक्षा-कक्ष प्रबन्धन कौशल के घटक

(i) आकर्षक अधिगम स्वरूप का सृजन

(ii) उद्देश्य अनुरूप अधिगम

(iii) उद्देश्य प्राप्ति हेतु छात्र अभिप्रेरणा

(iv) शिक्षक शिक्षार्थी अन्तःक्रिया को प्रोत्साहन

(v) छात्र-निर्देश में स्पष्टता

(vi) अनुशासन-नियंत्रण

(vii) उपयुक्त व्यवहार प्रदर्शन पर पुनर्बलन का प्रयोग

कौशल के घटक

आकर्षक अधिगम स्वरूप का सृजन किया गया।

उद्देश्य के अनुरूप अधिगम किया गया

उद्देश्य प्राप्ति हेतु छात्र अभिप्रेरणा का प्रयोग किया गया।

विद्यार्थी को अन्तःक्रिया के लिए प्रोत्साहन दिया गया।

छात्रों को दिये गये निर्देश स्पष्ट थे

शिक्षक छात्रों के अनुशासन पर नियंत्रण रखने में समर्थ था

उपायुक्त व्यवहार प्रदर्शन पर छात्रों को पुनर्बलन दिया गया।

शिक्षण कौशलों का एकीकरण

शिक्षण कौशल शिक्षण देने से सम्बन्धित वह कार्य का तौर-तरीका है जिसका अनुप्रयोग करके शिक्षक अपने शिक्षण को व्यवस्थित एवं प्रभावोत्पादक स्वरूप देने में समर्थ होता है। कम श्रम में अधिक लाभ प्रदायी परिणाम की प्राप्ति सम्भव होती है। किन्तु शिक्षण-कौशलों की अत्यधिक संख्या होने के कारण किन शिक्षण-कौशलों को अपनाया जाय और कौन सा शिक्षण कौशल त्याज्य है? इसका निर्धारण करना अत्यन्त कठिन एवं दुरूह है। कतिपय शिक्षाविद् यह मानते हैं कि शिक्षण-कौशलों से सम्पृक्त सामान्य कक्षा में पाठ-योजना के अनुरूप शिक्षण दिया ही नहीं जा सकता है। इसलिए सभी शिक्षण कौशलों का एकीकरण करके एक सर्वमान्य शिक्षण-कौशल रूपरेखा का निर्माण करना आवश्यक है। शिक्षण-कौशलों की एक एकीकृत रूपरेखा बनाने में डॉ. एन.के. जंगीरा ने सराहनीय कार्य किया है। इस सम्बन्ध में उन्होंने “इन्ट्रीनेशन आफ टीचिंग स्किल्स” (Integration of Teaching Skills) नामक पुस्तक का प्रणयन भी किया है।

सेन्टर फॉर स्टडीज इन एजूकेशन [Centre for advanced Studies in Education (CASE) M.S. University Baroda] बड़ौदा ने सभी शिक्षण कौशलों के मापन हेतु एक व्यापक अनुसूची भी बनाया है जिससे सभी शिक्षण कौशलों का समेकित मापन किया जा सकता है।

पाठ समापन कौशल (Lesson Clouse Skill):

शिक्षण प्रक्रिया का जिस प्रकार आदि प्रभावशाली होना चाहिए उसी प्रकार उसका अन्त भी प्रभाववर्धक होना चाहिए। इसके लिए प्रत्येक छात्राध्यापक को पाठ-समापन कौशल में दक्ष होना चाहिए। प्रायः शिक्षण समाप्त करने  से पहले प्रकरण से संबंधित विविध तथ्यों को विद्यार्थी आसानी से समझ जाए, क्रमिक रूप से विविध तथ्यों को संश्लेषित करके नवीन ज्ञान का पूर्व ज्ञान से समायोजन कर सके तथा प्राप्त ज्ञान का विभिन्न परिवेश में यथोचित अनुप्रयोग कर सके। इसके लिए पाठ समापन कौशल का ज्ञान छात्रा अध्यापकों को कराया जाता है।

पाठ समापन कौशल के घटक (Components of Lesson Closure Skill)

(i) मूल पाठ से संबंधित प्रश्न का प्रयोग।

(ii) मूल पाठ से सम्बन्धित कथन का प्रयोग।

(iii) शिक्षार्थी सहयोग से श्यामपट्ट सारांश का लेखन।

(iv) पूर्व ज्ञान से नवीन ज्ञान को जोड़ने का अवसर छात्रों को देना।

(v) प्राप्त ज्ञान का विविध परिवेश में प्रयोग में लाना।

कौशल के घटक

मूल पाठ से सम्बन्धित प्रश्न किये गये

मूल पाठ से सम्बन्धित कथनों का प्रयोग किया गया

शिक्षार्थी के सहयोग से श्यामपट्ट पर सारांश लिखा गया

पूर्व ज्ञान से नवीन ज्ञान को जोड़ने का अवसर छात्रों को दिया गया

प्राप्त ज्ञान का विविध परिवेश में छात्रो से प्रयोग कराया गया

पर्यवेक्षक की टिप्पणी

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Pankaja Singh

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