कैबिनेट की तानाशाही के कारण | व्यावहार में मन्त्रिपरिषद् ही सर्वोच्च होती है, संसद नहीं

कैबिनेट की तानाशाही के कारण | व्यावहार में मन्त्रिपरिषद् ही सर्वोच्च होती है, संसद नहीं

“वर्तमान स्थिति में कॉमन्स सभा कैबिनेट पर नियन्त्रण नहीं रखती वरन् कैबिनेट कॉमन्स सभा पर नियन्त्रण रखती है।”

कैबिनेट की तानाशाही के कारण

संसदीय शासन-प्रणाली में संसद और मन्त्रिपरिषद् का घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। मन्त्रिपरिषद् को व्यावहारिक रूप में अत्यन्त व्यापक विधायकीय, कार्यपालकीय और विधि- सम्बन्धी अधिकार प्राप्त होते हैं। मन्त्रिपरिषद् और संसद दोनों मिलकर कानून बनाने एवं शासन करने का कार्य करती हैं। मन्त्रिपरिषद् के व्यापक अधिकारों और शक्तियों को देखते हुए ही कहा गया है कि इंग्लैण्ड में मन्त्रिपरिषद् की तानाशाही है। इस सम्बन्ध में विभिन्न विद्वानों  के भिन्न-भिन्न मत हैं। डायसी के अनुसार-मन्त्रि परिषद की स्थिति सर्वोच्च सत्तासम्पन्न संसद के आश्रित एक समिति जैसी है। यदि संसद स्वामी है तो मन्त्रिपरिषद् उसकी सेवक है। रेम्जेम्योर और लास्की का मत है कि संसद मन्त्रिपरिषद् का मार्ग निर्देशित नहीं करती बल्कि मन्त्रिपरिषद् संसद का मार्ग निर्देशित करती है। व्यावहार में मन्त्रिपरिषद् ही सर्वोच्च होती है, संसद नहीं |

उपर्युक्त मतों के समर्थन में हम निम्नलिखित कारणों को प्रस्तुत करते हैं:—-

(1) व्यवस्थापन के क्षेत्र में सर्वोच्चता- जो भी कानून संसद में पारित होते हैं उनका प्रारूप मन्त्रिपरिषद् पहले ही तैयार कर लेती है और कामन्स प्रभा में मन्त्रिपरिषद् का दल बहुमत में होने के कारण वे सभी पारित हो जाते हैं। कोई भी गैरसरकारी विधेयक तभी पारित हो सकता है जबकि उससे मन्त्रिपरिषद् सहमत हो। इस प्रकार कहा जा सकता है कि व्यवस्थापन क्षेत्र में व्यावहारिक स्थिति यह है कि कामन्स सभा मन्त्रिपरिषद् का मार्ग निर्देशन नहीं करती बल्कि मन्त्रिपरिषद् कामन्स सभा का मार्ग निर्देशन करती है।

(2) कार्यपालिका के क्षेत्र- इस क्षेत्र में भी वास्तविक स्थिति यही है कि संसद केवल किसी कार्य पर स्वीकृति अवश्य देती है परन्तु उसका सम्पादन मन्त्रिपरिषद् ही करती है। इस प्रकार इस क्षेत्र में भी मन्त्रिपरिषद् सर्वोच्च है।

(3) वित्तीय क्षेत्र में- सिद्धान्त रूप में अवश संसद बजट पारित करती है परन्तु वास्तव में बजट बनाने का कार्य मन्त्रिपरिषद् ही करती है। मन्त्रिपरिषद् स्वतंत्र है कि वह जो धनराशि चाहे व्यय करे।

इस प्रकार देखा जाय तो संसद का मन्त्रिपरिषद् पर कोई नियंत्रण नहीं होता बल्कि मन्त्रिपरिषद् का संसद पर नियंत्रण होता है।

(4) द्विदल प्रणाली- इंग्लैण्ड में दो ही राजनीतिक दल हैं। जो दल बहुमत में होता है वही मन्त्रिपरिषद् बनाता है। उसके सदस्य मन्त्रियों का विरोध नहीं करते और न ही उसके विरुद्ध मत देते हैं। शायद बहुदलीय व्यवस्था होने पर यह इतनी शक्तिशाली न होती।

(5) शासन की समस्याओं की अज्ञानता- प्रत्येक शासन-व्यवस्था में अनेक पेंचीदगियाँ आती रहती हैं और यह सम्भव नहीं है कि संसद सदस्य उनकी पूरी जानकारी रख सकें या उनको हल कर सकें। उनको इस सम्बन्ध में मन्त्रिपरिषद् पर निर्भर रहना पड़ता है जिससे इसकी शक्ति बढ़ जाती है।

(6) कार्य की अधिकता- आधुनिक युग में कार्य-भार अधिक बढ़ जाने के कारण यह सम्भव नहीं होता कि संसद सभी विषयों पर पूर्ण रूप से विचार कर सके। अधिकतर मन्त्रिपरिषद् ही विचार-विमर्श करके उन पर निर्णय ले लेती है। इससे भी यही सिद्ध होता है कि मन्त्रिपरिषद् संसद से अधिक अधिकार रखती है।

(7) कामन्स सभा के विघटन का अधिकार- प्रधानमन्त्री के इस अधिकार के भय से कि वह जब चाहे कामन्स सभा का विघटन करा सकता है, सदस्यगण मन्त्रिपरिषद्, की हाँ में हाँ, मिलाते हैं।

(8) पद तथा उपाधियों का वितरण- संसद के सदस्य पद तथा उपाधियों के प्रलोभनों के कारण भी मन्त्रिपरिषद् का विरोध नहीं करते।

(9) संसद के अधिवेशन सदैव नहीं होते- अतः मन्त्रिपरिषद् के कार्यपालिका का पूरा पता नहीं लग पाता और वह मनमानी कर लेती है।

(10) लार्ड् सभा के अधिकारों में कटौती- लार्ड् सभा के अधिकारों में कटौती ने भी मन्त्रिपरिषद् को और भी अधिक शक्तिशाली बनाया है। लार्ड् सभा की किसी विधेयक पर अस्वीकृति के समय वह कामन्स सभा में उसे पास करा सकती है। क्योंकि वहाँ उसके दल का बहुमत होता है। वैसे भी मन्त्रिपरिषद् केवल कामन्स सभा के प्रति उत्तरदायी होती है।

(11) प्रशासकीय न्याय- ब्रिटेन में विभिन्न मन्त्रालयों को उनके विभागों से सम्बन्धित अभियोगों का निर्णय करने के अधिकार प्राप्त हो गये हैं। इससे मन्त्रिपरिषद् की शक्ति और भी बढ़ी है।

उपर्युक्त कारणों को देखते हुए कहा जा सकता है कि ब्रिटेन की मन्त्रिपरिषद् तानाशाह है। इसके विरुद्ध प्रो० लास्की ने ब्रिटेन की मन्त्रिपरिषद् के तानाशाह न होने के निम्नलिखित कारण बतलाये हैं:-

(1) मन्त्रिपरिषद् को अपनी नीति की स्वीकृति संसद से लेनी होती है।

(2) प्रदत्त कानूनों पर कामन्स सभा का नियन्त्रण रहता है।

(3) स्थायी प्रशासनिक अधिकारी भी मन्त्रियों एवं उनके दल की नीतियों के विरुद्ध अपनी स्वतन्त्र इच्छा से कोई कार्य नहीं कर सकते।

(4) धन अथवा बजट पर कामन्स सभा का नियन्त्रण रहता है.।

(5) कामन्स सभा में पराजय के पश्चात् मन्त्रिपरिषद् अपने पद पर नहीं रह सकती।

(6) संसद के सदस्य मन्त्रिपरिषद् के विरुद्ध निन्दा एवं काम रोको प्रस्ताव रखकर मन्त्रिपरिषद् को नियन्त्रित करते हैं।

(7) मन्त्रीगण अपने सार्वजनिक कार्यों के लिए कामन्स सभा के प्रति व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से उत्तरदायी होते हैं।

उपरोक्त बातों के अतिरिक्त भी अनेक उदाहरण हैं जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि मन्त्रिपरिषद् तानाशाही नहीं है। अनेक अवसरों पर संसद की इच्छा के आगे प्रधानमन्त्रियों और मन्त्रियों को त्यागपत्र देने को विवश होना पड़ा है।

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