
कार्पोरेट गवर्नेन्स का अर्थ | कार्पोरेट गवर्नेन्स की प्रकृति | कार्पोरेट गवर्नेन्स के क्षेत्र | कार्पोरेट गवर्नेन्स का महत्व | Meaning of Corporate Governance in Hindi | Nature of Corporate Governance in Hindi| Areas of Corporate Governance in Hindi | Importance of Corporate Governance in Hindi
कार्पोरेट गवर्नेन्स का अर्थ
(Meaning of Corporate Governance)
कार्पोरेट गवर्नेन्स दीर्घकालीन सामरिक लक्ष्यों को प्राप्त करने की दृष्टि से संरचना, संचालन और कम्पनी के नियन्त्रण की प्रणाली है ताकि शेयरधारकों, लेनदारों, कर्मचारियों, उपभोक्ताओं और आपूर्तिकर्ताओं की सन्तुष्टि और कानूनी तथा नियामक अपेक्षाओं के अनुपालन के अतिरिक्त पर्यावरण तथा स्थानीय सामुदायिक आवश्यकताओं की पूर्ति संभव हो सके।
कार्पोरेट गवर्नेन्स की प्रकृति
(Nature of Corporate Governance)
(1) कार्पोरेट गवर्नेन्स द्वारा स्वयं व्यवहार को मौका मिलता है, जहां नियन्त्रक परिवार उन सहायक कम्पनियों का पक्ष लेती है जिनके लिए उनके पास उच्च नकदी प्रवाह है।
(2) कार्पोरेट गवर्नेन्स आत्म नियमन का एक रूप है। यह क्षेत्र को इसका निर्धारण अनुमत करता है कि कौन से मानव स्वीकार्य या अस्वीकार्य हैं। यह अति उत्साही कानूनों को पहले से ही अधिकृत करता है जो शायद व्यवाहारिक न हो।
(3) कार्पोरेट गवर्नेन्स व्यक्तिगत प्रबन्धक या लेखा परीक्षकों की स्वयं निर्णय को कम करते है।
(4) कार्पोरेट प्रशासन व्यक्तिगत हित का संस्था के लिए योग देना एवं संस्था का हित समाज के लिए बलिदान करना है।
(5) कार्पोरेट प्रशासन बहसें विधायी नीति, धोखाधड़ी की गति विधियों का निवारण और पारदर्शिता नीति पर केन्द्रित होती है।
(6) यह दीर्घकालिन लक्ष्यों को प्राप्त करने, तथा कम्पनी के नियन्त्रण की प्रणाली है।
कार्पोरेट गवर्नेन्स के क्षेत्र
(Scope of Corporate Governance)
(1) निदेशक मण्डल द्वारा पर्यवेक्षणः निदेशक मण्डल अपने अधिकारों के अन्तर्गत उच्च प्रबन्ध को संभालते हैं, विनियोग पूंजी की सुरक्षा करते हैं एवं उसमें वृद्धि का प्रयास करते हैं। समस्याओं का पता लगाकर उनका निदान करते हैं। परिणामस्वरूप कम्पनी के क्रियाकलापों में पर्याप्त वृद्धि होती है।
(2) आन्तरिक नियन्त्रण प्रक्रिया एवं आन्तरिक अंकेक्षकः- आन्तरिक परिवीक्षक कम्पनी की गतिविधियों पर नियन्त्रण करते हैं।
तत्पश्चात् संगठनात्मक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सुधारात्मक कार्यवाही करता है। कार्यपालक निदेशक निर्णय प्रक्रिया की बेहतर जानकारी रखते हैं और इसलिए शीर्ष प्रबन्धन का मूल्यांकन उनके निर्णयों की गुणवत्ता के आधार पर करते हैं जो वित्तीय निष्पादन के परिणामों में प्रतिफलित होता है।
(3) शक्ति में सन्तुलनः कार्पोरेट गवर्नेन्स के द्वारा शक्ति में सन्तुलन स्थापित किया जाता है। उदाहरण के लिए एक समूह कम्पनी को सुझाव देता है, -प्रशासन में परिवर्तन होना चाहिए। दूसरा समूह उसका अवलोकन करता है और तीसरा समूह मिलकर उसको कार्यान्वित करता है।
(4) पारिश्रमिक- निष्पादन आधारित पारिश्रमिक व्यक्तिगत निष्पादन को वेतन के कुछ अनुपात से जोड़ते हुए डिजाइन किया जाता है। यह नकद या गैर नकद भुगतान (शेयर विकल्प) हो सकता है।
कार्पोरेट गवर्नेन्स का महत्व (Importance)
(1) कार्पोरिट गवर्नेन्स के द्वारा अकुशलता को समाप्त किया जाता है।
(2) आन्तरिक एवं बाह्य नियन्त्रण किया जाता है।
(3) अभिप्रेरणा एवं योग्यता में वृद्धि की जा सकती है। इसके परिणाम स्वरूप कम्पनी के विक्रय, लाभदायता में वृद्धि होती है।
(4) बेहतर प्रयास के द्वारा एवं सिद्धान्तों के अनुपालन से अंश मूल्यों में वृद्धि होती है।
(5) कार्पोरेट गवर्नेन्स की सभी पार्टियो प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप में कम्पनी के वित्तीय स्थिति के बारे में रुचि रखती हैं। ये पक्षकार कम्पनी को भौतिक रूप में, व्यक्तिगत रूप में, वित्तीय रूप में कम्पनी की सहायता करते हैं।
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