भूगोल

जलविद्युत उत्पादन की अनुकूल परिस्थितियाँ | जलविद्युत शक्ति के उत्पादक देश

जलविद्युत उत्पादन की अनुकूल परिस्थितियाँ | जलविद्युत शक्ति के उत्पादक देश

जल भी एक सस्ता खनिज है। धरातल पर इसका अक्षय भंडार है जो सनातन स्थाई है। इससे जल शक्ति प्राप्त होती है। जल शक्ति का स्रोत असीम है। इसमें कम व्यय, कोमल  बहुमूल्य मशीनों का संचालन, उच्च वोल्टता की शक्ति, कोयला एवं खनिज तेल की बचत, दूरगमता, स्वच्छता, उद्योगों के विकेन्द्रीकरण में सहायता आदि सुविधाएं हैं। कोयला एवं खनिज तेल के भण्डार समाप्त हो जायेंगे। इससे भविष्य में एक भारी ऊर्जा संकट की गंभीरता का अनुमान लगाया जा सकता है। इससे बचाव के लिए जलविद्युत शक्ति का विकास अत्यनत आवश्यक है।

जलविद्युत उत्पादन की अनुकूल परिस्थितियाँ

  1. ढालू भूमि का होना- भूमि ऊँची-नीची तथा ढालू होनी चाहिए जिसमें प्राकृतिक जल-प्रपात बन सकें। जहाँ इस प्रकार की सुविधा नहीं होती है वहाँ कृत्रिम जल प्रपातों का निर्माण होता है। ऊंचा बड़ा जल-प्रपात अधिक मात्रा में बिजली पैदा करता है।
  2. नदियों में सदैव जलप्रवाह का होना- वर्ष पर्यन्त समान रूप से जल-प्रवाह होना चाहिए। इसके लिए साल भर वर्षा या विशाल जलाशय या हिमाच्छादित प्रदेश उपयुक्त होते हैं।
  3. स्वच्छ जल- जल प्रवाह में रेत के कण नहीं होना चाहिए क्योंकि रेत से मशीनों को क्षति पहुंचाती है।
  4. जल का सिंचाई के लिए प्रयोग- जलशक्ति की उत्पत्ति में प्रयुक्त होने वाला जल सिंचाई में उपयोग होना चाहिए।
  5. अन्य शक्ति के साधनों का अभाव- कोयला एवं खनिज तेल की कमी होनी चाहिए।
  6. यातायात का विकास- परिवहन की सुविधा होनी चाहिए, जिससे मशीनें तथा अन्य आवश्यक सामग्रियाँ आवश्यकतानुसार पहुंचायी जा सकें।
  7. जल विद्युत के मेगा क्षेत्रों की निकटता- विद्युत के उपभोग करने वाले क्षेत्र निकट होने चाहिए, अन्यथा सुदूर ले जाने, तार एवं खम्भों के लगाने में अधिक व्यय पड़ता है। और विद्युत शक्ति का भी ह्रास होता है।

जलविद्युत शक्ति के उत्पादक देश

विश्व में 34 करोड़ किलोवट विजली तैयार की जा सकती है। इसमें केवल 15 प्रतिशत विकसित हैं विश्व की जलविद्युत शक्ति की क्षमता अफ्रीका में 40 प्रतिशत, एशिया में 23 प्रतिशत, उत्तर अमरीका में 13 प्रतिशत, यूरोप में 10 प्रतिशत, दक्षिण अमरीका में 10 प्रतिशत तथा आस्ट्रेलिया में 3 प्रतिशत है। जलविद्युत का सबसे अधिक विकास उत्तरी अमेरिका तथा यूरोप महाद्वीपों में हुआ है। दक्षिण अमरीका का स्थान तृतीय है। जलविद्युत शक्ति के भण्डार की दृष्टि से अफ्रीका महाद्वीप का प्रथम स्थान है, किन्तु विकास की दृष्टि से यह महाद्वीप सबसे पीछे हैं। विकसित देशों की कुल क्षमता 618 करोड़ किलोवट है जिसमें 26% जलशक्ति हैं। कम विकसित देशों में कुल 6.7 करोड़ किलोवाट है जिसमें 52% जलशक्ति है।

संयुक्त राज्य अमेरिका-

उत्तर अमेरिका में विद्युत उत्पादन की कुल क्षमता 27.3 करोड़ किलोवाट है जिसमें जल शक्ति की क्षमता 22 प्रतिशत है। यहां विकसित जलशक्ति 3.4 करोड़ किलोवाट है, जो कुलं उपयोग का 4 प्रतिशत है। जलविद्युत के उत्पादन में संसार में इसका प्रीम स्थान है। इस देश के निम्न प्रदेशों में जलविद्युत का अधिक विकास किया गया है।

(1) उत्तरी पूरबी राज्य- इस राज्य में अनेक नदियों उवं झीलों के साथ घनी जनसंख्या तथा प्रचुर वर्षा उपलब्ध हैं। बफैलो से नियाग्रा प्रपात तक तथा हडसन नदी के ऊपरी भाग में कई  जलविद्युत केन्द्र स्थापित हैं। इन पर नियाग्रा लावेल, फालरिवर तथा लारेन प्रमुख है।

(2) ऐटलांधिक तट के राज्य- पैन्सिवेनिया से अलवामा एक प्रपात रेखा पर हिलावर, सरहना, पोटोमैक तथा जैमस नदियों पर जलविद्युत केन्द्र हैं जिनके निकट ट्रेण्टन, वाशिंगटन, बालेमोर रेन्टी रिचमांड, कोलम्बिया, फिलाडेलफिया, पेटरसन तथा चारलोट्ट प्रमुख नगर स्थित हैं। सबसे बड़ा जलविद्युत गृह चारलोटूट नगर के समीप है।

(3) टेन्नेसी घाटी के राज्य- टेब्रेसी तथा इसकी सहायक नदियों पर 30 बाँध बनाकर 37 प्रतिशत गृहों से 65 लाख किलोवाट बिजली पैदा की जाती है। प्रसिद्ध बाँध नोरिस, बाट्सबर, कोल्टरशील, चिकमंगा, हीलर विल्सन आदि हैं।

(4) मिसूरी घाटी के राज्य- मिसूरी नदी की योजना में फोर्ट पेक, गैरिजन, ओह, बिगवेयर, फोर्ट रेण्डल तथा गैविन्स प्वाइन्ट पर बाँध निर्मित हैं जिनके जलाशयों से 25 लाख किलोवट प्रतिष्ठापित क्षमता की विद्युत पैदा की जाती है। यह भी बहुउद्देशीय योजना है।

(5) प्रशान्त तटीय राज्य- कोलम्बिया नदी पर गेण्डकुली, बोनेबिल, चीफनोजेफ, मेकनरी, डलेस तथा जोहन डे बाँध परियोजनाओं और कोलरेडो एवं इसकी सहायक नदियों पर हूबर, डेविस, जवेल्ट बाँध परियोजनाएँ जलविद्युत उत्पादन के मुख्य साधन हैं। सेक्रामेण्टो नदी पर शास्ता बाँध तथा सेन जोआक्विन नदी पर इसी नाम का बाँध है जहाँ जलविद्युत पैदा की जाती हैं कोयले की कमी, पर्याप्त ढालू भूमि, सिंचाई की अधिक आवश्यकता, शीत ऋतु में वर्षा का जल तथा ग्रीष्म में वर्षा का जल तथा नगरों में बिजली की मांग इसकी सुविधाएँ हैं।

सोवियत संघ-

यह देश यूरोप के अन्य देशों से अधिक बिजली पैदा करता है। देश में शक्य जलशक्ति संयुक्त राज्य संयुक्त अमरीका से तिगुनी है। इस समय इसकी एक करोड़ किलोवाट से अधिक प्रतिष्ठापित क्षमता है। जलशक्ति के उत्पादन में विश्व में इसका दूसरा स्थान है। इसका प्रथम जलशक्ति केन्द्र बोल्खीव में स्थापित हुआ था।

यूरोप की सबसे बड़ी नदी वोल्गा पर वोल्गोग्राड, कुइवीरोव तथा गोर्की तीन बाँध निर्मित किये गये हैं जिसमें प्रथम दो की सम्मिलित क्षमता 38 लाख किलोवाट है। मोलाटोव एवं सारातोव अन्य छोटे बाँध है। नीपर नदी पर कारगेव विद्युत केन्द्र हैं। नीपर परियोजनाओं की क्षमता 5.7 लाख किलोवाट है।

काकेशश क्षेत्र में शक्य जलशक्ति प्रचुर है। नेनिनग्राद क्षेत्र में बोरखोव सीवर तथा नीवी नदियों के शक्ति केन्द्र उल्लेखनीय हैं। यनीसी नदी पर क्रास्नोयार्स्क तथा अंगारा नदी पर ब्राटस्क   केन्द्र है जो विश्व में क्रमश: प्रथम तथा द्वितीय स्थान पर है। इनकी प्रतिष्ठापित क्षमता क्रमशः 45 लाख तथा 12 लाख किलोवाट है।

एशिया

अफ्रीका के पश्चात् शक्य जलशक्ति की वृद्धि से एशिया का दूसरा स्थान है। यहाँ की विश्व जलशक्ति 6.100 हजार किलोवाट है। विकसित जलशक्ति के विचार से इस महाद्वीप में जापान और भारत मुख्य है।

जापान- एशिया महाद्वीप में जलशक्ति की सम्भावित क्षमता 7.6 करोड़ किलोवाट है। जिसमें पूरी क्षमता का 10% ही विकसित है। जापान विश्व का तृतीय बृहत्तम जलविद्युत उत्पादक देश है। यहां 1500 जलविद्युत केन्द्र हैं और विकसित जलशक्ति 5.6 लाख किलोबट है एशिया का सबसे प्राचीन जलविद्युत केन्द्र इसी देश में हैं। भौतिक तथा आर्थिक परिस्थितियों के कारण इस देश में जलशक्ति का विकास हुआ है। हाँशू में टोहक तथा चिबू बृहत्तम जलविद्युत केन्द्र है।

भारत- एशिया महाद्वीप में जलविद्युत की दृष्टि से भारत का दूसरा स्थान है। यहाँ 3 लाख किलोवाट जलशक्ति पैदा की जा रही है। अनेक परियोजनाएँ निर्माणावस्था में है। विश्व में इसका स्थान सांतवी है।

यूरोप

इस महाद्वीप का स्थान संसार में तृतीय है। यहां जलविद्युत की शक्य शक्ति 3.7 करोड़ किलोवाट है जिसमें 30 प्रतिशत विकसित जल शक्ति है। इटली, फ्रांस, स्विटजरलैण्ड, जर्मनी तथा स्कैण्डिनेविया के देश दो-तिहाई जलशक्ति पैदा करते हैं।

इटली- इस देश में उत्तरी पहाड़ी भाग के पिडमाण्ट क्षेत्र, लोम्बार्डी तथा बेनीशिया प्रान्त बिजली के विकास में अग्रणी हैं। मध्य इटली के आम्बिया, इमीलिया तथा टस्कनी प्रान्त भी जलविद्युत उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं। इस देश में जलविद्युत विकास के मुख्य कारण कोयला खनिज एवं तेल का अभाव, उत्तर में आल्प्स पर्वत से निकलने वाली सदानीरी नदियाँ, पर्वतीय क्षेत्र के प्रपात तथा हिमानी झीलें हैं। इस देश में प्रति हजार व्यक्तियों पर प्रतिष्ठापित जल शक्ति 130 किलोवाट है। विश्व में इसका छठा स्थान है।

नार्वे स्वीडन- इन दोनों देशों में यूरोप महाद्वीप की शक्य जलशक्ति का एक-तिहाई भाग उपलब्ध है। यूरोप की एक चौथाई जलशक्ति इनमें पैदा की जाती है। नार्वे में शक्य जलशक्ति 37 लाख किलोवाट तथा स्वीडन में 31 लाख किलोवाट है। नार्वे में प्रति हजार जनसंख्या पर प्रतिष्ठापित जलशक्ति 975 किलोवाट तथा स्वीडन में 5500 किलोवाट है। नार्वे के दक्षिणी माग और स्वीडन के नारलैण्ड क्षेत्र तथा उत्तरी भाग में जलविद्युत का अधिक विकास हुआ है। विकसित जलशक्ति की दृष्टि से स्वीडन का स्थान यूरोपीय देशों में तीसरा है। प्रति व्यक्ति विकसित जल शक्ति की दृष्टि से यूरोपीय देशों में नार्वे का स्थान प्रथम है।

विश्व में जलविद्युत का उत्पादन

जल विद्युत का उत्पादन देश

(करोड़ किलोवाट घंटा में)

संयुक्त राज्य अमेरिका

28,588 

जापान

8,837

इटली

4,752

सोवियत रूस

13,574

फ्रांस

4,820

भारत

4,600

फ्रांस- कोयला एवं खनिज तेल के अभाव में जलविद्युत का विकास इस देश में अधिक हुआ है। इस देश में फ्रेन्च आल्प्स, पीरेनीज तथा केन्द्रीय पठार पर आधी शक्य जलशक्ति उपलब्ध है। इस देश में विकसित जलशक्ति 7 लाख किलोवाट है। विकसित जलशक्ति की दृष्टि से यूरोपीय राष्ट्रों में इसका द्वितीय स्थान है। यहाँ प्रति एक हजार जनसंख्या पर प्रतिष्ठापित जलविद्युत शक्ति 125 किलोवाट है।

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Pankaja Singh

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