एशिया महाद्वीप में जनसंख्या वितरण एवं घनत्व | एशिया में जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करने वाले भौगोलिक कारक
एशिया महाद्वीप में जनसंख्या वितरण एवं घनत्व
एशिया महाद्वीप मानव एवं उसकी सभ्यता का पालना है। संसार का सबसे बड़ा महाद्वीप होने के साथ-साथ यह सबसे अधिक जनसंख्या वाला महाद्वीप भी है। ईस्ट तथा स्पेट के शब्दों में, “एशिया विश्व के कुल स्थलीय क्षेत्रफल का एक-तिहाई भाग रखता है, लेकिन यहाँ विश्व की आधे से अधिक जनसंख्या निवास करती है।”
एशिया महाद्वीप में जनसंख्या के वितरण में बहुत विषमताएँ हैं। ईस्ट तथा स्पेट के ही शब्दों में, “एशिया के जनसंख्या वितरण में कोई भी विशेषता इतनी अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं है। जितनी जनसंख्या घनत्व की अत्यधिक विषमता।”
क्रेसी ने भी लिखा है, “एशिया में ऐसे क्षेत्र बहुत अधिक हैं, जहाँ जनसंख्या कम है और ऐसे क्षेत्र कम हैं जहाँ जनसंख्या बहुत अधिक है।”
सन् 1991 में पूर्व सोवियत संघ से अलग हुए 8 एशियाई स्वतन्त्र राष्ट्रों (उजबेकिस्तान, ताजिकिस्तान, किरगिजिस्तान, जार्जिया, अजरबेजान तथा तुर्कमेनिस्तान) को सम्मिलित करते हुए एशिया की कुल जनसंख्या लगभग 25 करोड़ थी जो विश्व की कुल जनसंख्या (538.6 करोड़) का लगभग 60 प्रतिशत थी।
एशिया के विभिन्न देशों में जनसंख्या के घनत्व में विभिन्नता मिलती है। एशिया में जनसंख्या का औसत घनत्व 112 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। मंगोलिया, सऊदी, यमन, ओमान, कतार तथा लाओस ऐसे देश हैं जहाँ जनसंख्या का घनत्व 25 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. से कम है, जबकि दूसरी ओर बांग्लादेश, सिंगापुर, ईरान, जापान तथा दक्षिणी कोरिया ऐसे देश हैं जहाँ जनसंख्या का घनत्व 300 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. से भी अधिक है। यही नहीं, मंगोलिया, साइवेरिया, सऊदी, अरव, चीन और ईरान का बहुत बड़ा भाग ऐसा है जहाँ मानव के दर्शन दुर्लभ हैं, जबकि चीन, भारत, बांग्लादेश आदि मानसूनी एशिया के मैदानों में जनसंख्या मधुमक्खी के छत्ते की भाँति संकेन्द्रित है।
जनसंख्या घनत्व की विभिन्नता के आधार पर एशियाई देशों को निम्नांकित तीन वर्गों में रखा जा सकता है-
(1) अत्यधिक जनसंख्या घनत्व वाले देश; (2) मध्यम जनसंख्या घनत्व वाले देश, (3) विरल जनसंख्या घनत्व वाले देश
(1) अत्यधिक जनसंख्या घनत्व वाले देश-
इस वर्ग में सम्मिलित एशिया के राष्ट्रों में जनसंख्या घनत्व 100 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. से अधिक मिलता है। इन देशों में चीन, भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, जापान, विश्तनाम, इजरायल, फिलीपाइन्स, उत्तरी कोरिया, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैण्ड, लेवनान आदि सम्मिलित हैं। यहाँ एशिया महाद्वीप की लगभग 82 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है, जबकि इन देशों में एशिया महाद्वीप का लगभग 56 प्रतिशत क्षेत्रफल स्थित है। इस वर्ग में सम्मिलित अधिकांश देशों के निवासी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर रहते हैं। यही कारण है इस वर्ग के अधिकांश देशों में खाद्यात्र (विशेष रूप से चावल) का उत्पादन अधिक होता है। भारत, चीन तथा कोरिया के कुछ क्षेत्रों में जनसंख्या के अधिक जमाव का कारण औद्योगिकीकरण भी है। एशिया के इन सघन जनसंख्या वाले देशों में जनसंख्या का जमघट उन नदी घाटियों में अधिक मिलता है जहाँ चावल की कृषि प्रमुखता से की जाती है। चावल अन्य खाद्याननों की तुलना में अधिक जनसंख्या के भरण-पोषण की क्षमता रखता है।
(2) मध्यम जनसंख्या घनत्व वाले देश-
इस श्रेणी में वे देश सम्मिलित हैं जहाँ जनसंख्या का प्रति वर्ग किमी. घनत्व 50 से 100 व्यक्ति के मध्य मिलता है। इण्डोनेशिया, तुर्की, वर्मा, मलेशिया व सीरिया मध्यम जनसंख्या घनत्व वाले एशियाई देश हैं। कई भागों में तो जनसंख्या घनत्व 1600 व्यक्ति है।
इन देशों में एशिया की लगभग 10.2 प्रतिशत जनसंख्या रहती है, जबकि इन देशों में एशिया का 14 प्रतिशत क्षेत्रफल स्थित है। कृषि योग्य भूमि की अपेक्षाकृत कमी होने के कारण यहाँ जनसंख्या घनत्व मध्यम मिलता है, जबकि जलवायु दशाएँ मानवीय निवास के लिए अनुकूल हैं। कृषि, पशुपालन, खनन तथा उद्योग यहाँ के निवासियों के प्रमुख व्यवसाय हैं।
(3) विरल जनसंख्या घनत्व वाले देश-
इस श्रेणी में एशिया महाद्वीप के वे देश सम्मिलित हैं जिनमें घनत्व 50 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. से कम मिलता है। ईरान, अफगानिस्तान, इराक, सऊदी अग्व, यमन, कम्बोडिया, लाओस, जोर्डन, मंगोलिया, संयुक्त अरब अमीरात आदि एशिया महाद्वीप में विरल जनसंख्या घनत्व वाले देश हैं। सन् 1991 में इन देशों में एशिया महाद्वीप की केवल 4.5 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती थी, जबकि इन देशों में एशिया महाद्वीप का 28.4 प्रतिशत क्षेत्रफल पाया जाता है। इन देशों में जलवायु तथा धरातल की कठोर दशाएं जनसंख्या के क्रम धनत्व के लिए विशेष रूप से उत्तरदायी हैं। कुछ क्षेत्रों में तो जलवायु की इतनी कठोर दशाएं हैं कि वहाँ पर जनसंख्या धनत्व शून्य मिलता है। इस समूह में विश्व की लगभग 25 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।
एशिया में जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करने वाले भौगोलिक कारक
(Geographical Factors Affecting the People Density in Asia)
एशिया में जनसंख्या के घनत्व को प्रभावित करने वाले भौगोलिक कारक अग्रलिखित हैं-
(1) जलवायु- एशिया में जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करने वाले भौगोलिक कारकों में जलवायु सर्वप्रथम है। दक्षिणी-पूर्वी एशिया के मानसूनी जलवायु वाले प्रदेशों में एशिया तथा साइबेरिया के अधिकांश भागों में जलवायु की कठोरता के कारण जनसंख्या घनत्व बहुत कम मिलता है। जलवायु की कठोरता कृषि कार्यों के विकास में भी बाधक है। स्टाम्प के अनुसार, “इसमें कोई सन्देह नहीं है कि एशिया के वर्तमान जनसंख्या वितरण में सबसे अधिक प्रभाव जलवायु दशाओं का पड़ा है।”
(2) प्राकृतिक धरातल- एशिया के पर्वतीय एवं पठारी भागों में कम जनसंख्या निवास करती है, जबकि घाटियों तथा समतल मैदानों में, जहाँ अनुकूल है, जनसंख्या का घनत्व अधिक मिलता है। पर्वतीय तथा पठारी भागों में कृषि योग्य भूमि का अभाव होता है जिससे यहाँ कृषि की सम्भावनाएँ सीमित होती हैं।
(3) कृषि योग्य भूमि- जिन समतल मैदानों में जलवायु की अनुकूलता के साथ-साथ उपजाऊ मिट्टी भी मिलती है, उन भागों में जनसंख्या का घनत्व अत्यधिक मिलता है। गंगा, सिन्धु, दजला-फरात, यांगटिसीक्यांग, हांगहो, इरावदी, मीकांग आदि नदियों के डेल्टाई तथा घाटी क्षेत्रों में सघन जनसंख्या मिलती है।
(4) औद्योगिक विकास- चीन तथा भारत के जिन क्षेत्रों में औद्योगिक विकास अधिक हुआ है, वहाँ जनसंख्या अधिक मिलती है, क्योंकि ऐसे क्षेत्रों में मानव को रोजगार के अपेक्षाकृत अधिक अवसर मिलते हैं।
(5) खनिज पदार्थ- दक्षिण-पश्चिमी एशिया के कुछ भागों की प्राकृतिक दशाएँ मानवीय निवास के लिए प्रतिकूल हैं, लेकिन इन क्षेत्रों में पेट्रोलियम खनन के कारण कुछ जनसंख्या अस्थायी रूप से निवास करती है। खनिज पदार्थों द्वारा जनसंख्या का आकर्षण खनिज पदार्थों की उपलब्धि तक ही रहता है।
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