अर्थशास्त्र

एकाधिकार का आशय | एकाधिकार उत्पन्न होने के कारण | एकाधिकार के परिणाम

एकाधिकार का आशय | एकाधिकार उत्पन्न होने के कारण | एकाधिकार के परिणाम

एकाधिकार का आशय Mono Poly-

(एकाधिकार) शब्द यूनानी भाषा के Monopolain शब्द से बना है जिसका अभिप्राय है एकाकी विक्रेता। इस प्रकार, एकाधिकार बाजार की उस दशा को सूचित करता है, जिसमें एक वस्तु का केवल एक विक्रेता होता है और यह विक्रेता उस वस्तु की पूर्ति पर पूरा अधिकार रखता है अर्थात वह उसमें कमी या वृद्धि कर सकता है, अन्य कोई नहीं।

प्रमुख परिभाषाएँ-

एकाधिकार को विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने अपने-अपने दृष्टिकोण से परिभाषित किया है। कुछ परिभाषाएँ निम्नांकित हैं-

(1) प्रो. टामस के अनुसार, “विस्तृत रूप एकाधिकार शब्द का प्रयोग पूर्ति या माँग दोनों में से किसी एक पहलू से किसी सेवा या वस्तु के प्रभावी मूल्य नियन्त्रण के लिए किया जाता है, किन्तु संकुचित रूप में इसका आशय व्यापारियों व निर्माताओं के ऐसे संघ से है जो कि वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को नियन्त्रित करता है।”

(2) ट्रिफिन के अनुसार, “एकाधिकार उस स्थिति का नाम है, जिसमें कोई फर्म अन्य फर्मों के मूल्य की अवहेलना करके अपनी इच्छानुसार मूल्य निर्धारित कर सकती है।”

(3) चेम्बरलिन के अनुसार, “एकाधिकार का तात्पर्य पूर्ति पर नियन्त्रण होने से है।”

एकाधिकार उत्पन्न होने के कारण-

ये कारण अथवा प्रकार निम्नांकित हैं-

(1) सार्वजनिक उपयोग की सेवाएँ- कुछ सेवाएँ (जैसे डाकतार, विद्युत, रेलवे) सम्पूर्ण समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण अथवा उपयोगी होती है। यदि इनकी पूर्ति कई संस्थाएँ करें तो बहुत अपव्यय होगा। अतः मितव्ययिता एवं कुशलता की दृष्टि से इनका स्वामित्व और संचालन सरकार अपने हाथ में ले लेती है अथवा किसी एक संस्था के सुपुर्द कर देती है। इस प्रकार उस सेवा में एकाधिकार उत्पन्न हो जाता है। इसे सामाजिक एकाधिकार कहते हैं।

(2) प्राकृतिक कारण- किसी वस्तु के उत्पादन के लिए आवश्यक एवं कच्चे माल की पूर्ति पर किसी फर्म विशेष का नियन्त्रण हो जाने पर अन्य फर्मों के लिए उस वस्तु का उत्पादन करना सम्भव नहीं रहता। फलस्वरूप उस उद्योग में एकाधिकार स्थापित हो जाता है। ऐसे एकाधिकार को प्राकृतिक एकाधिकार कहते हैं।

(3) वैधानिक कारण- यदि किसी फर्म ने एक विशेष वस्तु विधि या युक्ति के सम्बन्ध में सरकार से पेटेण्ट, ट्रेडमार्क या कापीराइट कानून के अनुसार, पंजीकृत करा लिया है, तो अन्य उत्पादक फिर उसका उत्पादन या प्रयोग नहीं कर सकते। ऐसी दशा में जो एकाधिकार उत्पन्न होता है उसे संवैधानिक एकाधिकार कहा जाता है।

(4) राजनैतिक एवं सुरक्षा सम्बन्धी कारण- देश की राजनैतिक एवं सामाजिक सुरक्षा की दृष्टि से सरकार अस्त्र-शस्त्रों के उत्पादन, अणु शक्ति उत्पादन, नोट निर्गमन आदि कार्यों पर अपना एकाधिकार रखती है। ऐसे एकाधिकार को सार्वजनिक एकाधिकार कहा जाता है।

 (5) संयुक्तीकरण- गलाकाट प्रतिस्पर्धा से बचने के लिए किसी वस्तु के विभिन्न उत्पादक परस्पर संघबद्ध हो जाते हैं और एक समझौते के आधार पर वस्तु के उत्पादन या मूल्य को नियन्त्रित करते हैं। ऐसे संघों को विभिन्न नामों से पुकारा जाता है-काट्रेल, ट्रस्टी आदि। इस प्रकार के एकाधिकार को संयुक्तीकरण द्वारा एकाधिकार कहते हैं।

(6) आर्थिक कारण- बड़े पैमाने के उत्पादन की मितव्ययिताएँ (आन्तरिक एवं बाह्य) प्राप्त करने हेतु फर्म स्तर पर व्यवसाय शुरू कर सकती है। विभिन्न मितव्ययिताओं के कारण वह अपनी स्थिति इतना मजबूत बना लेती है कि अन्य फर्मे उसकी प्रतियोगिता में टिक नहीं पाती। इस तरह से उत्पन्न होने वाले एकाधिकार को आर्थिक एकाधिकार कहते हैं।

(7) एक विशेष उत्पत्ति साधन का गुण- कभी-कभी एकाधिकार किसी उत्पत्ति साधन के विशेष गुण के कारण भी उत्पन्न हो जाते हैं, जैसे-विशेष प्रकार के श्रमिकों की उपलब्धता।

एकाधिकार के परिणाम-

(1) एकाधिकार अधिकतम लाभ कमाने हेतु वस्तु का मूल्य कम नहीं करता चाहे अधिक मात्रा में उत्पादन करने उत्पादन व्यय कितने भी कम हो गये हैं। ऐसी दशा में उपभोक्ता वस्तु का उपभोग कम कर देते हैं, जिससे उत्पादक के पास बिना बिके माल स्टॉक बढ़ने लगता है, वह उत्पादन घटाता है, श्रमिक निकाले जाते हैं और इस प्रकार आर्थिक अस्थिरता उत्पन्न हो जाती है।

(2) एकाधिकार अपनी विशेष स्थिति का अनुचित लाभ उठाते हुए अन्य उत्पत्ति साधनों को उनका उचित पुरस्कार नहीं देता और सम्पूर्ण लाभ को अकेला ही हड़पने का यत्न करता है। इससे आय व सम्पत्ति के विवरण में असमानता और वर्ग संघर्ष को बढ़ावा मिलता है।

(3) उपभोक्ता की स्थिति एकाधिकारी उत्पादन की दशा में बहुत दुर्बल होती है। उस वही देना पड़ता है जो कि एकाधिकारी अपने अधिकतम लाभ की दृष्टि से निर्धारित कर देता है। विशेषत: माँग की दशा में उपभोक्ताओं का बहुत शोषण होता है।

अर्थशास्त्र महत्वपूर्ण लिंक

Disclaimer: e-gyan-vigyan.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- vigyanegyan@gmail.com

About the author

Pankaja Singh

Leave a Comment

(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
close button
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
error: Content is protected !!