एक वैवाहिक विडम्बना एकाकी की व्याख्या | भुवनेश्वर- श्यामा की एकाकी एक वैवाहिक विडम्बना
एक वैवाहिक विडम्बना एकाकी की व्याख्या
(1) शम्मी मेरा जीवन तुम्हारे हाथ है। मेरे पास शब्द नहीं हैं, मेरे पास उनकी आत्मा है। मेर पास कविता नहीं, पर मेरे प्रेम में उसकी सजीवता है। तुम आज मेरे प्रेम की उपेक्षा कर सकती हो पर एक दिन अवश्य तुम्हें उसकी आवश्यकता होगी।
सन्दर्भ- प्रस्तुत पंक्तियां मुक्तेश्वर रचित एकांकी ‘श्यामा- एक वैवाहिक विडम्बना’ से अवतरित है।
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियों में मिस्टर अमरनाथ पुरी अपनी पत्नी मिसेज श्यामा पुरी को समझाने का प्रयास किया है।
व्याख्या- मिस्टरी पुरी मिसेज पुरी से भावुक प्रेमपूर्ण मुद्रा में कहते हैं कि शम्मी (श्यामा) मेरी जीवन नौका की पतवार तुम्हारे हाथ में है चाहे उसे पार करो या फिर डुबो दो। मैं तुमसे कितना प्रेम करता हूँ यह बताने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं अगर कुछ भी है तो सिर्फ अपनी भावनाओं के शब्दों की आत्मा। मेरे पास तुम्हारे प्रति प्रेम को प्रदर्शित करने लिए कोई कविता नहीं है, फिर भी उस कविता की सजीवता जरूर है। अर्थात् मेरे पास प्रेमभरी कोई कविता तो नहीं है किन्तु उस कविता की अनुभूति जरूर है। आज तुम मेरे प्रेम का तिरस्कार कर सकती हो पर एक-न-एक दिन तुम्हें मेरे प्रेम की आवश्यकता जरूर महसूस होगी।
(2) तुम मुझसे प्रेम भी करते हो और उस पुरुष से ईर्ष्यालु भी नहीं हो, जिसको प्रेम करना किसी भी स्त्री के लिए इतना सरल और नैसर्गिक है जैसे बसन्त का आगमन या प्रातः समीर में कलिका का खिलना! क्या तुम्हारे हृदय की भावनाएँ और वासनाएँ शरीर से विलग है?
सन्दर्भ- प्रस्तुत पंक्तियाँ मुक्तेश्वर रचित एकांकी ‘श्यामा- एक वैवाहिक विडम्बना’ से अवतरित है।
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियों में मिसेज पुरी अपने पति मिस्टर पुरी से अपने प्रेमी मनोज के प्रति उनका दृष्टिकोण जानने के बाद अपने प्रति मिस्टर पुरी के प्रेम पर शंका प्रकट करती हुई कह रही हैं कि-
व्याख्या- आप मुझसे प्रेम भी करते हो और मेरे प्रेमी मनोज के प्रति ईर्ष्या की भावना भी नहीं रखते हो, यह बात समझ से परे हैं क्योंकि आप की बातों में विरोधाभास है। एक पुरुष यह कभी नहीं चाहेगा कि उसकी पत्नी दूसरे से प्रेम करे अगर वह ऐसा कह रहा है तो सफेद झूठ बोल रहा है। कोई पुरुष इस प्रकार की स्त्री से वास्तविक और नैसर्गिक प्रेम नहीं कर सकता। यह उसी प्रकार लगता है जैसे बसन्त के आगमन के प्रातः कालीन हवा में किसी कोपल या कली का प्रस्फुटित होना। आप की बातों से तो यही उद्भाषित होता है कि जैसे भावनाएं और वासनाएँ आपके शरीर से अलग हैं।
हिन्दी – महत्वपूर्ण लिंक
- एक वैवाहिक विडम्बना एकांकी की समीक्षा | भुवनेश्वर-श्यामा की एकांकी एक वैवाहिक विडम्बना | एकांकी तत्वों के आधार पर ‘श्यामा – एक वैवाहिक विडम्बना’ एकांकी की समीक्षा
- लक्ष्मीनारायण लाल की एकाकी व्यक्तिगत | डॉ. लक्ष्मीनाराण लाल की एकाकी कला की विशेषता
- ‘व्यक्तिगत’ एकांकी की समीक्षा | एकांकी कला के तत्वों के आधार पर ‘व्यक्तिगत’ एकांकी की समीक्षा | एकांकी कला की दृष्टि से डॉ. राम कुमार वर्मा कृत उत्सर्ग का मूल्यांकन
- तातोराम का चरित्र-चित्रण | प्रेमचन्द का उपन्यास निर्मला के तातोराम का चरित्र-चित्रण
- रेणु के रचनाकार की विशेषता | ‘तीसरी कसम’ कहानी के वातावरण के निर्माण में रेणु जी की सफलता | कहानीकार प्रसाद जी की कहानी कला
- यशपाल की कहानी की विशेषताएँ | भीष्म साहनी की कहानी-कला | एकांकीकार भुवनेश्वर
- जिस लाहौर देखा ओ जम्याई नई’ का कहानी चित्रण
- उत्सर्ग एकाकी की व्याख्या | रामकुमार वर्मा की एकाकी उत्सर्ग
Disclaimer: e-gyan-vigyan.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- vigyanegyan@gmail.com