चन्द्रगुप्त का सेल्यूकस के साथ संघर्ष | चन्द्रगुप्त का सेल्यूकस के साथ हुए संघर्ष की विवेचना

चन्द्रगुप्त का सेल्यूकस के साथ संघर्ष | चन्द्रगुप्त का सेल्यूकस के साथ हुए संघर्ष की विवेचना

चन्द्रगुप्त का सेल्यूकस के साथ संघर्ष

चन्द्रगुप्त के जीवन की और एक महत्वपूर्ण घटना थी सीरिया के नेरश सेल्यूकस से सिन्धु नदी के तट पर हुई मुठभेड़ जिसका उल्लेख एणियन ने किया है। एणियन के अनुसार इस युद्ध के पहले सिन्धु नदी ही दोनों राज्यों की सीमा बताती थी। सेल्यूकस सिकन्दर के उन सेनापतियों में था जिन्होंने उसकी मृत्यु के बाद उसके साम्राज्य को आपस में बांट लिया था। अपनी स्थिति सुदृढ़ करने के पश्चात् वह सिकन्दर का अनुकरण करते हुए ३०४.३०५ ई० पू० में भारत पर आक्रमण कर दिया। इस आक्रमण का उद्देश्य शायद सिकन्दर द्वारा जीते गये उन भारतीय प्रदेशों को जो उस समय चन्द्रगुप्त के अधिकार में थे, उन पर अधिकार करना था। परन्तु इन भारतीय प्रदेशों पर पुनः कब्जा करना उतना आसान नहीं था। सिकन्दरकालीन भारत तथा चन्द्रगुप्तकालीन भारत में बड़ा अन्तर था।

एणियन या अप्पियानूस के अनुसार सेल्यूकस सिन्धु नदी पारकर भारतीयों के राजा ऐडीकोरस (चन्द्रगुप्त) पर चढ़ाई की जो उसका सामना करने के लिए पहले से ही तैयार बैठा था। आश्चर्य है कि यूनानी लेखकों ने सिकन्दर के भारतीय अभियानों के विषय में पर्याप्त विस्तार से वर्णन किया है पर एणियन द्वारा उल्लिखित इस प्रसिद्ध युद्ध के ब्यौरों के बारे में सर्वथा चुप हैं। एणियन के अनुसार वह लड़ाई तब तके चलती रही जब तक कि उनमें परस्पर मेल तथा विवाह-सम्बन्ध स्थापित नहीं हो गया। भारतीय स्रोतों से भी इस महत्वपूर्ण संघर्ष पर कोई प्रकाश नहीं पड़ता ।  चन्द्रगुप्त तथा सेल्यूकस के बीच होने वाली संधि पर अधिकतर ग्रीक-रोमन लेखक प्रकाश डालते हैं। इस युद्ध की तिथि तथा अवधि के विषय में निश्चियपूर्वक कुछ पता नहीं है। सन्धि की शर्तों को देखते हुए यह निष्कर्ष निकालना गलत नहीं होगा कि इस युद्ध में सेल्यूकस की हार हुई थी।

सन्धि के अनुसार सेल्यूकस ने चन्द्रगुप्त को चार प्रान्त पेरिया, आराकोशिया, जेड्रोसिया तथा परोपनिसदई जिनकी राजधानियां क्रमशः हेरात, कन्हहार, मकरान तथा काबुल थीं-दिया था। इस प्रकार चन्द्रगुप्त का साम्राज्य हिन्दुकुश तक फैल गया। टार्न तथा कतिपय अन्य लेखकों ने इस पर संदेह प्रकट किया है, परन्तु अशोक के लेखों से भी पता चलता है कि काबुल की घाटी मौर्य साम्राज्य के अंग थे। दोनों में विवाह सम्बन्ध भी स्थापित हुआ। आम धारणा यह है कि चन्द्रगुप्त ने सेल्युकस की कन्या से शादी की थी परन्तु कुछ लोगों के अनुसार चन्द्रगुप्त की शादी जिस लड़की से हुई वह सेल्युकस की लड़की न होकर उसके किसी निकट सम्बन्धी की लड़की थी। इसके बाद इन दोनों राजघरानों में दौत्यू-सम्बन्ध भी स्थापित हुए। सेल्यूकस ने मेगस्थनीज नामक अपना दूत मगध की राजधानी पाटलिपुत्र में भेजा । बदले में चन्द्रगुप्त से सेल्यूकस को ५०० हाथी प्राप्त हुए थे। एथेनेओर के अनुसार चन्द्रगुप्त ने सीरियाई नरेश के पास उपहार में कई कामोद्दीपक सामग्री भी भेजी थी। दोनों राजघरानों में यह सम्बन्ध बाद की पीढ़ियों में भी चलता रहा।

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