डॉ० रामस्वरूप चतुर्वेदी की समीक्षा दृष्टि | डॉ० रामस्वरूप चतुर्वेदी की भाषिक समीक्षा सम्बन्धी मान्यता | डॉ० रामस्वरूप चतुर्वेदी की समीक्षा दृष्टि का अवलोकन

डॉ० रामस्वरूप चतुर्वेदी की समीक्षा दृष्टि

डॉ० रामस्वरूप चतुर्वेदी की समीक्षा दृष्टि | डॉ० रामस्वरूप चतुर्वेदी की भाषिक समीक्षा सम्बन्धी मान्यता | डॉ० रामस्वरूप चतुर्वेदी की समीक्षा दृष्टि का अवलोकन डॉ० रामस्वरूप चतुर्वेदी की समीक्षा दृष्टि हिन्दी आलोचना जगत में एक नव आलोचक के रूप में डॉ० रामस्वरूप चतुर्वेदी का महत्वपूर्ण योगदान है। डॉ० चतुर्वेदी आलोचना के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित … Read more

नयी समीक्षा | नई समीक्षा की आधारभूत मान्यताएं | नई समीक्षा के प्रकार

नयी समीक्षा

नयी समीक्षा | नई समीक्षा की आधारभूत मान्यताएं | नई समीक्षा के प्रकार नयी समीक्षा ब्रिटेन निवासी प्रसिद्ध आलोचक रिचर्डस एवं ईलियट नई समीक्षा के प्रवर्तक माने जाते हैं। भावुकता का विरोध करने के साथ ही ईलियट ने स्वच्छन्दता की आत्मपरता पर बल दिया। समीक्षा कवि और उसकी रचना पर केन्द्रित हो गई, पाठक और … Read more

रिचर्ड्स अनुसार भाषा प्रयोग | रिचर्ड्स द्वारा बताये गये भाषा के विविध प्रयोगों पर प्रकाश | आई०ए० रिचर्ड्स ने भाषा प्रयोग के सम्बन्ध में सुझाव

रिचर्ड्स अनुसार भाषा प्रयोग

रिचर्ड्स अनुसार भाषा प्रयोग | रिचर्ड्स द्वारा बताये गये भाषा के विविध प्रयोगों पर प्रकाश | आई०ए० रिचर्ड्स ने भाषा प्रयोग के सम्बन्ध में सुझाव रिचर्ड्स अनुसार भाषा प्रयोग रिचर्ड्स ने भाषा-विज्ञान तथा मनोविज्ञान के आधार पर काव्य-भाषा का वैशिष्ट्य स्पष्ट किया है। उनके अनुसार भाषा प्रयोग के दो रूप हैं- भाषा का वैज्ञानिक प्रयोग- … Read more

रस सम्प्रदाय सिद्धान्त | भरतमुनि और रस-सिद्धान्त | रस सम्प्रदाय का महत्त्व

रस सम्प्रदाय सिद्धान्त

रस सम्प्रदाय सिद्धान्त | भरतमुनि और रस-सिद्धान्त | रस सम्प्रदाय का महत्त्व रस सम्प्रदाय सिद्धान्त रस सिद्धान्त भारतीय काव्यशास्त्र का मूलाधार एवं महत्वपूर्ण सिद्धान्त है। इसके प्रवर्तन पर विवाद होते हुए भी अधिकांश विद्वान भरतमुनि को ही इसका प्रथम उदघोषक मानते हैं। उनके ‘नाट्यशास्त्र’ में इसका विवेचन हुआ है। डॉ० नगेन्द्र ने भी (रस-सिद्धान्त) ‘नाट्यशास्त्र’ … Read more

वक्रोक्ति | वक्रोक्ति के भेद | वक्रोक्ति की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना

वक्रोक्ति

वक्रोक्ति | वक्रोक्ति के भेद | वक्रोक्ति की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना वक्रोक्ति वक्रोक्ति शब्द का प्रयोग साहित्य और दैनिक व्यवहार में प्राचीन काल से होता आया है, पर इसे अलंकार के रूप में सबसे पहले अलंकारवादी आचार्य भामह ने स्वीकार किया है। दैनिक व्यवहार में इसका संधि-विच्छेद-वक्र + उक्ति था तथा इसका अर्थ उक्ति-वैचित्र्य … Read more

डॉ. नामवर सिंह | डॉ. नामवर सिंह का समीक्षा साहित्य | हिन्दी आलोचना के विकास में डॉ० नामवर सिंह के योगदान

डॉ. नामवर सिंह

डॉ. नामवर सिंह | डॉ. नामवर सिंह का समीक्षा साहित्य | हिन्दी आलोचना के विकास में डॉ० नामवर सिंह के योगदान डॉ. नामवर सिंह डॉ. नामवर सिंह की समीक्षा समाजवादी जीवन दृष्टि एवं नई कविता के भावमय समन्वय पर आधारित है। इसी कारण उन्हें एक ओर जहाँ प्रगतिवादी आलोचक के रूप में जाना जाता है, … Read more

रिचर्ड्स के मूल्य सिद्धान्त | रिचर्ड्स के मूल्य सिद्धान्त का विश्लेषण

रिचर्ड्स के मूल्य सिद्धान्त

रिचर्ड्स के मूल्य सिद्धान्त | रिचर्ड्स के मूल्य सिद्धान्त का विश्लेषण रिचर्ड्स के मूल्य सिद्धान्त आई० ए० रिचर्ड्स आधुनिक काव्य-शास्त्रीय परम्परा के प्रतिष्ठित विचारक हैं।  इन्होंने अपनी वैज्ञानिक एवं मनोवैज्ञानिक दृष्टि को साहित्य समीक्षा में प्रवाहित कर एक नई आभा को विकीर्ण किया है। ये मनोविज्ञान से साहित्य क्षेत्र में आए हैं, अतः इनकी समीक्षा-दृष्टि … Read more

डॉ० नगेन्द्र | डॉ० नगेन्द्र की समीक्षात्मक दृष्टि | डॉ० नगेन्द्र की समीक्षा सम्बन्धी मान्यता

डॉ० नगेन्द्र

डॉ० नगेन्द्र | डॉ० नगेन्द्र की समीक्षात्मक दृष्टि | डॉ० नगेन्द्र की समीक्षा सम्बन्धी मान्यता डॉ० नगेन्द्र डॉ० नगेन्द्र के साहित्यिक व्यक्तित्व का पाण्डित्य हमें अनेक रूपों में देखने को मिलता है— कवि, निबन्धकार एवं आलोचक के रूप में उनके व्यक्तित्व की प्रतिभा सम्पन्नता उनकी रचनाओं के माध्यम से स्वयं स्पष्ट होती है। आरम्भ में … Read more