कबीर की निर्गुण भक्ति भावना का मूल्यांकन | Evaluation of Kabir’s Nirguna Bhakti spirit in Hindi

कबीर की निर्गुण भक्ति भावना का मूल्यांकन | Evaluation of Kabir’s Nirguna Bhakti spirit in Hindi कबीर की निर्गुण भक्ति भावना का मूल्यांकन आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने हिन्दी साहित्य का आरम्भ संवत् 1050 से मानकर उसे चार भागों में बाँटा है। उसके दूसरे काल को उन्होंने भक्तिकाल नाम दिया है। भक्ति का विभाजन शुक्लजी ने … Read more

कबीर की भाषा शैली | कबीर की भाषा सम्बन्धी विशेषताएँ

कबीर की भाषा शैली | कबीर की भाषा सम्बन्धी विशेषताएँ कबीर की भाषा शैली कबीर की भाषा विविध-रूपात्मक है – कबीर की भाषा पर दो दृष्टियों से विचार करना चाहिए – (1) उसकी विविधरूपता पर और (2) उसके भदेसपन पर। कबीर का युग वह युग था, जब पंजाबी, फारसी, पिंगल, हिंदवी, ब्रज, अवधी, भोजपुरी आदि … Read more

मीराबाई के पद्यांशों की व्याख्या | मीराबाई के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या

मीराबाई के पद्यांशों की व्याख्या | मीराबाई के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या मीराबाई के पद्यांशों की व्याख्या फागुन के दिन चार रे, होरी खेल मना रे। बिनि करताल पखाबज बाजै, अणहद की झणकार रे। बिन सुर राग छतीसूं गावै, रोम रोम रंग सार रे। सील संतोख की केसर घोली, प्रेम प्रीति पिचकार रे। उड़त … Read more

जायसी नागमती के पद्यांशों की व्याख्या | जायसी नागमती के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या | सन्देश खण्ड के पद्यांशों की व्याख्या | सन्देश खण्ड के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या

जायसी नागमती के पद्यांशों की व्याख्या | जायसी नागमती के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या | सन्देश खण्ड के पद्यांशों की व्याख्या | सन्देश खण्ड के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या जायसी नागमती – सन्देश खण्ड (जायसी नागमती के पद्यांशों की व्याख्या) 1. फिर फिरि रोई कोइ न बोला। आधी रात विहंगम बोला। तैं फिरि … Read more

सूरदास के पद्यांशों की व्याख्या | सूरदास के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या

सूरदास के पद्यांशों की व्याख्या | सूरदास के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या सूरदास के पद्यांशों की व्याख्या कहति कहा ऊधौ सो बौरी। जाको सुनत रहे हरि के ढिंग स्यामसखा यह सो री। हमको जोग सिखावन आयो, यह तेरे मन आवत? काह कहत री ! मैं पत्थात री नहीं सुनी कहनावत। करनी भली भलेई जानैं, … Read more

कबीरदास के पद्यांशों की व्याख्या | कबीरदास के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या

कबीरदास के पद्यांशों की व्याख्या

कबीरदास के पद्यांशों की व्याख्या | कबीरदास के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या कबीरदास के पद्यांशों की व्याख्या संतौ भाई आई ग्यान की आँधी रे। भ्रम की टाटी सभै उड़ांनी माया रहे न बांधी रे।। दुचिते की दोइ थंनि गिरानी मोह बलेंडा टूटा। त्रिसनां छानि परी घर ऊपर दुरमति भांडा फूटा।। आंधी पाछै जो जल … Read more