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भारत में मुक्त विश्वविद्यालय की उपयोगिता | मुक्त शिक्षाभिकरणों की विशेषताएँ

भारत में मुक्त विश्वविद्यालय की उपयोगिता | मुक्त शिक्षाभिकरणों की विशेषताएँ | Utility of Open University in India in Hindi | Features of Open Educational Agencies in Hindi

भारत में मुक्त विश्वविद्यालय की उपयोगिता-

भारत एक बहुत जनसंख्या वाला  विकासशील देश है। जहाँ विकास की असीम इच्छायें और सीमित संसाधन हैं। इन दोनों में समन्वय रखते हुए शिक्षा को जन-जन तक पहुँचाना है। सीमित संसाधनों को देखते हुए मुक्त विश्वविद्यालय आर्थिक दृष्टि से और शिक्षा प्रसार की दृष्टि से वरदान सिद्ध हो सकते हैं। फिर भी मुक्त विश्वविद्यालयों की सफलता और उपयोगिता पर एक प्रश्न चिह्न लगा है कि भारत में यह कितना सफल होगा? फिर भी कुछ दृष्टियों से इनकी उपयोगिता साफ दिखाई पड़ती है।

  1. भारत में मुक्त विश्वविद्यालयों की स्थापना आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद है। यह व्यवस्था कम खर्चीली है।
  2. भारत की जनसंख्या 1 मार्च 2001 को 1027015247 हो गयी है। उच्च शिक्षा चाहने वाली की संख्या प्रति वर्ष बढ़ती जा रही हैं। सभी छात्रों को परम्परागत विश्वविद्यालयों में प्रवेश नहीं मिलता। कक्षाओं में छात्रों की संख्या कई गुना बढ़ गई है। इससे शिक्षा में अव्यवस्था पैदा हो गई है। इस दृष्टि से मुक्त विश्वविद्यालय उपयोगी हैं जहाँ सभी को प्रवेश मिल जाता है।
  3. भारत प्रमुखतः कृषि प्रधान देश है। कृषि प्रधान देशों में 10+2 स्तर की शिक्षा को ही उपयोगी व समाप्य समझा जाता है। यदि रोजी रोजगार में लगे लोग आगे उच्च शिक्षा पाने के लिये जिज्ञासु हो तो उनकी शिक्षा परम्परागत विश्वविद्यालयों में न होकर मुक्त विश्वविद्यालयों में होनी चाहिए। केवल प्रतिभाशाली छात्र ही परम्परागत विश्वविद्यालयों में प्रवेश लें।
  4. आर्थिक और व्याबसायिक दृष्टि से भी मुक्त विश्वविद्यालयों की उपयोगिता कुछ कम नहीं है, क्योंकि नवयुवक अपना काम-धन्धा करते हुए राष्ट्रीय उत्पादन में योगदान करते रहेंगे और साथ ही अपने व्यवसाय में आगे बढ़ने के उद्देश्य से यदि आवश्यक समझेंगे तो पढ़ते भी रहेंगे।
  5. सीमित संसाधन और शिक्षा पर बढ़ते हुए व्यय को देखते हुए भी मुक्त विश्वविद्यालयों की शिक्षा सस्ती होगी। इनमें प्रति छात्र खर्चा परम्परागत विश्वविद्यालयों से कम होगा। विकासशील भारत के लिये यह एक उपयोगी प्रयास होगा।
  6. परम्परागत विश्वविद्यालयों में छात्रों की भीड़ बढ़ने से जो प्रवेश की समस्या उत्पन्न हो गई है। मुक्त विश्वविद्यालयों की स्थापना से प्रवेश की समस्या सुलझ जायेगी।
  7. 15 से 35 या इससे अधिक आयु के लोग जो किन्हीं कारणों से परम्परागत विश्वविद्यालयों से स्नातक उपाधि नहीं प्राप्त कर सके ऐसे प्रौढ़ों को मुक्त विश्वविद्यालय के द्वारा स्नातक उपाधि लेने में कठिनाई नहीं होगी।
  8. कृषि, व्यापार या अन्य उद्योगों में लगे कार्मिकों को यदि अपने व्यवसाय से सम्बन्धित शिक्षा की आवश्यकता होगी तो मुक्त विश्वविद्यालय इस प्रकार की पाठ्यचर्याओं का आयोजन कर सकेगा। इससे एक ओर राष्ट्रीय उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ेगी और दूसरी ओर जीवनोपयोगी व्यावहारिक शिक्षा का विकास होगा।
  9. भारत में सामाजिक-आर्थिक सुधार लाने एवं पिछड़े क्षेत्रों व पिछड़े वर्गों के लोगों तक उच्च शिक्षा के अवसर सुलभ कराने में मुक्त विश्वविद्यालयों की भूमिका सराहनीय होगी।

श्री सी.बी. पद्मनाभन ने मुक्त विश्वविद्यालय की खुली वकालत की है। उनका विश्वास है कि भारत जैसे विकासशील राष्ट्र के लिये मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना एक अच्छा विचार है। डॉ. कोठारी ने भी मुक्त विश्वविद्यालयों की स्थापना को आवश्यक बताया है।

मुक्त शिक्षाभिकरणों की विशेषताएँ-

मुक्त शिक्षा अभिकरणों या मुक्त विद्यालय/मुक्त विश्वविद्यालय निम्नलिखित विशेषताओं से युक्त होता है-

  1. मुक्त शिक्षा अभिकरण शिक्षा में नवाचार है। ये वर्तमान युग में शिक्षा की बढ़ती हुई मांग को पूर्ण करने के नवीन साधन है।
  2. खुले विद्यालयों/विश्वविद्यालयों में शिक्षा के सभी तत्व यथा- पाठ्यक्रम, शिक्षण और मूल्यांकन तीनों सम्मिलित रहते हैं, फिर भी ये परम्परागत शिक्षण संस्थाओं से भिन्न होते हैं। इनकी पाठ्य विषय संप्रेषण विधि, शिक्षण तकनीक और मूल्यांकन पद्धति रूढ़िवादी, कठोर और परम्परावादी न होकर लचीली तथा विज्ञान और तकनीकी पर आधारित होती है। मुक्त शिक्षाभिकरण के माध्यम से नये-नये पाठ्यक्रमों का शिक्षण दूरसंचार माध्यमों से किया जाता है। मूल्यांकन भी सतत् और स्वमूल्यांकन के रूप में होता है।
  3. खुली शिक्षा पद्धति में छात्रों को किसी विद्यालय में जाकर पढ़ना नहीं होता है, अर्थात् इसमें स्थान की बाध्यता नहीं होती है। हजारों-लाखों लोग अपने-अपने घर में रहकर शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
  4. इनमें समय और समय-सारिणी का भी बंधन नहीं होता है। विद्यार्थी अपनी इच्छा और सुविधानुसार पढ़ते और सीखते हैं।
  5. खुले विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने के लिये प्रायः प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने या निर्धारित न्यूनतम योग्यता रखने का कोई प्रतिबंध नहीं है। यह एक चुनाव-विहीन और प्रतियोगिता विहीन प्रणाली है। वास्तव में मुक्त शिक्षाभिकरण सभी को शिक्षा प्राप्त करने के लिये समान अवसर प्रदान करते हैं। इन संस्थाओं में प्रवेश के लिये अभ्यर्थी को केवल रजिस्ट्रेशन कराना होता है। कहने का तात्पर्य यह है कि पहले से कोई डिग्री या प्रमाण-पत्र न होने पर भी अभ्यर्थी अपनी क्षमता के अनुसार किसी कोर्स में अपना रजिस्ट्रेशन करा सकता है। इनमें प्रवेश पाने के लिये आयु का प्रतिबन्ध भी नहीं होता है।
  6. शिक्षा की मुक्त पद्धति में विद्यार्थी को एक बार में सभी विषयों/प्रश्नपत्रों में परीक्षा देने की बाध्यता नहीं होती है। इन नवीन प्रणाली में शिक्षार्थी को अपनी गति से अध्ययन करने के लिये तथा एक-एक या दो-दो प्रश्नपत्र उत्तीर्ण करने की छूट होती है।
  7. खुले विद्यालय और खुले विश्वविद्यालय शिक्षण परिसर विहीन होते हैं। इनमें पत्राचार, दूरदर्शन, रेडियो, वीडियो कैसेट्स आदि के द्वारा शिक्षण कार्य होता है। शिक्षण में नवीन शिक्षण तकनीकी और संचार माध्यमों का भरपूर प्रयोग होता है।
  8. खुले विद्यालयों/ विश्वविद्यालयों का परिक्षेत्र सीमित नहीं होता है। इनमें देश के किसी भी कोने में रहने वाला, यहाँ तक कि विदेशी लोग भी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
  9. खुले शिक्षाभिकरण, औपचारिक, निरौपचारिक, अनौपचारिक सभी प्रकार की शिक्षा प्रदान करते हैं। उदाहरणस्वरूप कुछ लोग इनके माध्यम से पढ़कर औपचारिक डिग्री प्राप्त करते हैं, जैसे- बी.ए., एम. एम. आदि। कुछ लोग इन साधनों के द्वारा अपने ज्ञान और कौशल को नवीन जानकारियों के द्वारा आधुनिक और अद्यतन बनाते हैं। साधारण जनता इन साधनों के द्वारा पर्यावरण, जनसंख्या, स्वास्थ्य और चिकित्सा आदि के बारे में अनौपचारिक रूप से ज्ञान प्राप्त करते हैं। इस प्रकार खुले अभिकरण सतत् रूप से अनौपचारिक शिक्षा के द्वारा सुशिक्षित मन का निर्माण करते हैं। ये समाज की तात्कालिक आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायता करते हैं और सामाजिक समस्याओं के समाधान में सहायक होते हैं।
  10. शिक्षा के मुक्त अभिकरण शैक्षिक नवाचारों का भरपूर प्रयोग करते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे नवीन प्रयोगों, नवीन पाठ्यक्रमों और नवीन तकनीक के प्रति सजग रहते हैं। इनमें समन्वित अन्तःशाखीय पाठ्यक्रम भी चलाये जाते हैं।
  11. खुले विश्वविद्यालय अपनी कार्यक्षमता बढ़ाने के लिये क्षेत्रीय कार्यालय और परामर्श केन्द्र स्थापित करते हैं।

मुक्त शिक्षा अभिकरण अपनी उक्त विशेषताओं के द्वारा लोकतंत्रीय समाज में सबको शिक्षा सुलभ कराये जाने की अवधारणा को चरितार्थ करते हैं। वास्तव में ये सभी वंचितों की शिक्षा प्रदान करने के अद्वितीय आधुनिक माध्यम हैं।

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Pankaja Singh

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