भारत में मैंगनीज का वितरण | भारत में मैंगनीज उत्पादन एवं निर्यात
भारत में मैंगनीज का वितरण (मैंगनीज)
मैंगनीज भूरे रंग की कड़ी धातु होती है और बड़ी कठिनाई से पिघलती है। लौह के साथ इसे मिलाकर इस्पात बनाया जाता है। इसी कारण उद्योग धंधों में इसका बहुत महत्व है। लौह- इस्पात कारखानों में विश्व का लगभग 90 प्रतिश मैंगनीज उपयोग किया जाता है। इसकी माँग रासायनिक, विद्युत, काँच आदि उद्योगों में भी बहुत अधिक है। रासायनिक उद्योगों में कपड़ा धोने के लिए ब्लीचिंग पाउडर, कीटाणुनाशक, पोटैशियम परमैंगनेट (लाल दवा) और शुष्क बैटरियाँ बनाने के लिए इसका उपयोग होता है। कांच के उद्योग में काँच और चीनी मिट्टी के बर्तनों पर रंग करने में इसका उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग गहनों की गढ़ाई में भी होता है। मैंगनीज के उत्पादन में विश्व में भारत अग्रणी देश है। भारतीय मैंगनीज की खदानों में लगभग 10 हजार श्रमिक कार्य करते हैं। यहाँ मैंगनीज निकालने का कार्य अधिकांशतया निर्यात- व्यापार पर निर्भर है क्योंकि मैंगनीज का उपयोग करने वाले लौह-इस्पात के कारखाने हमारे देश में अभी भी पर्याप्त नहीं हैं।
मैंगनीज धारवाड़ युग की शैलों में पाया जाता है। इसके कड़े प्रस्तर में 40 प्रतिशत से अधिक लौहांश होता है। इसका बहुमुखी उपयोग होता है। भारतीय मैंगनीज अयस्क में शुद्ध धातु का अंश 45-55 प्रतिशत उपयोग होता है जबकि रूस में शुद्ध धातु का अंश 50 प्रतिशत तथा ब्राजील में 40-50 प्रतिशत ही होता है। इस प्रकार भारतीय मैंगनीज सर्वोत्तम प्रकार का होता है। भारत में इस खनिज के निकालने का कार्य उन्नीसवीं सदी के अंत में प्रारंभ हुआ, परंतु इसका सर्वाधिक विकास वर्तमान सदी के उत्तरार्द्ध में हुआ।
वितरण- भारवतर्ष में मैंगनीज का अपरिमित भंडार बताया जाता है। यहाँ के संचित भंडार का अनुमान लगभग 19 करोड़ टन है। इसमें उच्च कोटि के मैंगनीज का अनुमान लगभग 10 करोड़ मीट्रिक टन है। इस उच्चकोटि के अयस्क में धातु का अंश लगभग 50 प्रतिशत तक होता है। भंडार एवं उत्पादन की दृष्टि से विश्व में भारत का स्थान रूस एवं घाना के पश्चात् तृतीय है। स्वतंत्रता के बाद के वर्षों में यहाँ मैंगनीज के उत्पादन में लगभग चार गुनी से कुछ ही कम वृद्धि हुई है जो कि निम्न तालिका से स्पष्ट है।
तालिका- भारत में मैंगनीज उत्पादन एवं निर्यात
(लाख टन)
वर्ष |
उत्पादन |
निर्यात |
1947-48 |
5.4 |
4.3 |
1955-56 |
10.2 |
9.1 |
1960-61 |
12.5 |
11.7 |
1965-66 |
17.1 |
13.5 |
1970-71 |
16.3 |
10.5 |
1975-76 |
18.4 |
7.9 |
1980-81 |
16.8 |
6.3 |
1985-86 |
15.5 |
5.2 |
1990-91 |
15.0 |
5.2 |
1993-94 |
18.1 |
7.3 |
भारतवर्ष में विश्व का लगभग 20 प्रतिशत मैंगनीज निकाला जा रहा है। यहाँ के मैंगनीज उत्पादक राज्यों में ओडिशा अग्रणी है। इसके पश्चात् कर्नाटक, गोवा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश एवं बिहार का स्थान है जो कि निम्न तालिका से स्पष्ट है-
राज्य |
उत्पादन (लाख टन) |
प्रतिशत |
ओडिशा |
695.4 |
35 |
कर्नाटक |
453.0 |
22.8 |
गोवा |
77.5 |
3.9 |
मध्य प्रदेश |
323.9 |
16.5 |
महाराष्ट्र |
298.0 |
15.0 |
आंध्र प्रदेश |
79.5 |
4.8 |
बिहार |
29.8 |
1.50 |
अन्य |
25.9 |
1.30 |
मध्य प्रदेश में बालाघाट, छिंदवाड़ा, जबलपुर जनपदों तथा महाराष्ट्र में भंडारा एवं नागपुर जनपदों में मैंगनीज का महत्वपूर्ण भंडार है। इस पेटी की लंबाई 205 किलोमीटर तथा चौड़ाई 15 किलोमीटर है। मध्य प्रदेश में मैंगनीज भिवानी एवं झबुआ जनपदों में भी पाया जाता है। महाराष्ट्र के उपर्युक्त क्षेत्रों के अतिरिक्त रत्नागिरि जनपद में भी मैंगनीज पाया जाता है।
ओडिशा के गंगपुर, तालचिर, बोनाय, कोरापुट तथा कालाहाण्डी में मैंगनीज का विशाल भंडार पाया जाता है। कर्नाटक के बेलारी, वेलगाँव, शिमोगा, तुमकुर, चीतलदुर्ग, धारवाड़ एवं उत्तरी कनारा जनपदों में मैंगनीज के भंडार बिखरे पड़े हैं। आंध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम एवं कर्नूल जनपदों में मैंगनीज पाया जाता है। यहाँ के श्रीकाकुलम क्षेत्र का विस्तार 480 मीटर लंबा एवं 56 मीटर चौड़ा है। बिहार के सिंहभूमि जनपद में चायबासा, गुजरात में पंचमहल, राजस्थान में जयपुर एवं बांसवाड़ा आदि जनपदों में मैंगनीज के विस्तृत क्षेत्र हैं।
संचित कोष (Reserve)- भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग के अनुसार कुल मैंगनीज का सुरक्षित भंडार 1828 लाख टन है। महाराष्ट्र के नागपुर एवं भंडारा और मध्यप्रदेश के बालाघाट एवं छिंदवाड़ा जिलों में कुल सुरक्षित भंडार 1401 लाख टन है।
उत्पादन- वर्तमान समय में भारत विश्व के मैंगनीज उत्पादकों में तय स्थान पर है। वैसे सन् 1921 तक इसे विश्व में प्रथम स्थान प्राप्त था। किंतु वर्तमान समय में मैंगनीज के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में रूस एवं घाना आगे बढ़ गये अतः भारत का स्थान तृतीय हो गया। वस्तुतः मैंगनीज का उत्पादन विदेशी माँग के अनुसार घटता-बढ़ता रहता है और मैंगनीज को माँग लौह व्यवसाय की प्रगति पर निर्भर है क्योंकि मैंगनीज की खपत लौह-इस्पात उद्योग में अधिक होती हैं। भारतीय मैंगनीज व्यवसाय का सबसे बड़ा दोष यह है कि उत्पादन का अधिकांश कच्ची धातु के रूप में ही निर्यात कर दिया जाता है। यदि इस कच्ची को (Fero Managenese) के रूप में परिवर्तित करके निर्यात किया जाये तो देश को अधिक आर्थिक लाभ हो सकता है। वर्तमान समय में सार्वजनिक क्षेत्र में केवल एक फेरों मंगनीज बनाने का कारखाना कर्नाटक राज्य के भद्रावती नगर में है शेष कारखाने व्यक्त क्षेत्र में विवरण निम्न प्रकार है-
महाराष्ट्र- 2
ओडिशा- 2
आंध्रप्रदेश- 2
कर्नाटक- 1
फेरो मैंगनीज का उत्पादन 1971 में लगभग 16.3 लाख टन था जो कि 1993-94 में बढ़कर 18.12 लाख टन हो गया।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार- दी गयी तासिका से ज्ञात होता है कि के निर्यात निरंतर हास्य होता जा रहा है।
विश्व बाजार में भारत मंगनीज का प्रमुख निर्यातक देश है। भारतीय मैंगनीज के प्रमुख ग्राहक देश जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका, बेल्जियम, चेकोस्लोवाकिया, जर्मनी तथा ग्रेट ब्रिटेन है। यहाँ के कुल निर्यात का लगभग 53 प्रतिशत जापान को जाता है। वर्तमान समय में केवल निम्न कोटि का मैंगनीज अयस्क ही निर्यात किया जाता रहा है। उत्तम कोटि के अयस्क का निर्यात बिल्कुल बंद कर दिया गया है। मैगनीज का निर्यात विशाखापट्टनम, कोलकाता तथा मुंबई बंदरगाहों से किया जा रहा है।
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