भूगोल

भारत में खनिज तेल का वितरण | भारत में खनिज तेल का उत्पादन | एक शक्ति संसाधन के रूप में खनिज तेल के महत्व की व्याख्या

भारत में खनिज तेल का वितरण | भारत में खनिज तेल का उत्पादन | एक शक्ति संसाधन के रूप में खनिज तेल के महत्व की व्याख्या

भारत में खनिज तेल का वितरण

खनिज तेल शक्ति का एक महत्वपूर्ण साधन है। मोअर, वायुयान जैसी तीव्र गति से चलने वाले यानों को चलाने के लिये खनिज तेल की आवश्यकता होती है। यह खनिज तेल अवसादी शैलों में रेत प्रस्तर, चूना प्रस्तर तथा शैल छिद्रों में पाया जाता है। भूगर्भविदों के अनुसार अवसादी शैलों के मध्य निक्षेपित समुद्री जीव-जंतु एवं वनस्पतियाँ साधारण परिस्थितियों की भाँति सड़ती-गलती नहीं हैं, वरन् ये भूगर्भ की उष्णता एवं दबाव के कारण खनिज तेल के रूप में परिणित हो जाते हैं।

धरातल के भीतर से खनिज तेल को निकालने के लिये इसके ऊपर के धरातल में छिद्र करना होता है। जब यह धरातल के अंदर से बाहर निकाला जाता है तो इसमें बहुत से अनावश्यक पदार्थ जैसे जल एवं मिट्टी मिले रहते हैं जिसे वैज्ञानिक विधियों से खनिज तेल से अलग करके विभिन्न प्रकार के पदार्थ प्राप्त किए जाते हैं जैसे-मिट्टी का तेल, पेट्रोल, डीजल, मोबिल, लुब्रीकेटिंग आयल, मोम एवं गैसोलिन आदि। खनिज तेल का महत्व मुख्यरूप से चालक शक्ति के रूप में हैं। विशेषतया सामरिक दृष्टि खनिज तेल का महत्व बहुत अधिक है। क्योंकि ईंधन के भंडारण में तेल कोयले की अपेक्षा कम स्थान घेरता है और गति भी बढ़ा देता है। यही नहीं, प्रति इकाई ताप भी कोयले की अपेक्षा तेल से अधिक प्राप्त होता है।

वितरण-

खनिज तेल के भंडार भारत में प्रमुख रूप से असोभ एवं गुजरात में हैं। वैसे तेल क्षेत्रों की खोज अभी भी जारी है क्योंकि अभी हाल तक देश के संपूर्ण उत्पादन का लगभग 95 प्रतिशत असमक राज्य से ही प्राप्त होता था। वर्तमान अन्वेषणों के फलस्वरूप गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, पंजाब, हिमांचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश के अतिरिक्त अंडमान निकोबार द्वीपों, कारोमंडल, गुजरात एवं केरल के तटवर्ती भागों में खनिज तेल प्राप्त हुआ है।

आसाम- आयल एवं नेचुरल गैस कमीशन के नियंत्रण में असम के लगभग 60.00 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में खनिज तेल के भंडार बिखरे हैं। असोम के इस भाग में मुख्य रूप से चार तेल क्षेत्र हैं-

(i) डिगबोई क्षेत्र- इसका विस्तार लखीमपुर जनपद में 13 किलोमीटर लंबी एवं एक किलोमीटर चौड़ी पेटी में टीपम पहाड़ियों के पूर्व में है। इस क्षेत्र में डिगबोई, वधापुङ्ग एवं पानीटोला स्थानों से खनिज तेल निकाला जा रहा है। इस खनिज तेल क्षेत्र में 400-2000 मीटर की गहराई तक तेल पाया जाता है।

(ii) सूरमाघाटी क्षेत्र- इस क्षेत्र में बदरपुर, पथरिया एवं मसीम स्थानों से खनिज तेल निकाला जा रहा है।

(iii) नाहरकटिया- मोरान क्षेत्र- डिगबोई से 40 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में दिहिंग नदी के किनारे नाहरकटिया में 4000-5000 मीटर की गहराई तक खनिज तेल प्राप्त होता है। नाहरकटिया से 40 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में हुंगरीजन एवं मोरान में भी खनिज तेल निकाला जा रहा है।

(iv) रूद्रसागर एवं लकवा- ‘तेल एवं प्राकृतिक गैस कमीशन’ द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी की घाटी में असम का यह क्षेत्र खोजा गया है। इस क्षेत्र से सन् 1966 से प्रतिदिन 100 टन खनिज तेल निकाला जा रहा है।

गुजरात- असम के पश्चात् खनिज तेल की दृष्टि से दूसरा महत्वपूर्ण गुजरात है। इस राज्य में खंभात लुनेज तथा अंकलेश्वर से खनिज तेल प्राप्त हुआ है। खंभात के निकट बाड़मेर (बड़ौदा) एवं लुजेन (बड़ौदा से 60 किलोमीटर पश्चिम में) तेल क्षेत्र स्थित है। यहाँ पर सन् 1958 में तेल प्राप्ति का प्रयास किया गया।

उत्तर प्रदेश- इस राज्य में चंदौसी, तिलहर, दंतगंज एवं देहरादून में तेल के कुँओं की खुदाई की जा रही है।

पंजाब, हिमाचल प्रदेश एवं जम्मू-कश्मीर के लगभग एक लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में खनिज तेल क्षेत्र का पता चला है। पंजाब के होशियारपुर, लुधियाना एवं दासूजा क्षेत्रों के अतिरिक्त हिमांचल प्रदेश में ज्वालामुखी, काँगड़ा एवं होशियारपुर में और जम्मू-कश्मीर के नौशेरा, धर्मपाल एवं रामनगर में खनिज तेल एवं गैस मिलने की संभावना प्रकट की गयी है।

संत्तित-कोष (Reserve)-

स्वतंत्रता अर्थात् 1947 के पूर्व भारतवर्ष में खनिज तेल के संचित भंडार का अनुमान मात्र 8 लाख टन था परंतु अंतर्राष्ट्रीय भूगर्भिक सम्मेलन के अनुसार, यह लगभग 60 अरब टन तक माना गया है जिसमें से 5 अरब टन असम में तथा इतना ही गुजरात में अनुमानित है। शेष भंडार देश के अन्य भागों में स्थित है। इसके अतिरिक्त प्राकृतिक गैस का अनुमानित भंडार असम में 11 अरब घन मीटर और गुजरात में 32 अरब घनमीटर है।

नवीन तेल क्षेत्रों के पता लगाने के पूर्व हमारे देश में खनिज तेल का वार्षिक उत्पादन केवल 4 लाख टन था। जिससे देश की कुल माँग का केवल 5 प्रतिशत ही पूरा होता था।

यद्यपि उत्पादन में बराबर प्रगति होती जा रही है तथापि देश की मांग भी बढ़ती जा रही है। सन् 1948 में देश्का में खनिज तेल की माँग 22 लाख 40 हजार टन थी जो कि अब बढ़कर लगभग 380 लाख टन हो चुकी है। देश की आवश्यकता की पूर्ति के लिए कच्चे तेल का आयात किया जाता है जिसका विवरण निम्न तालिका से स्पष्ट है-

शोधनशालाएँ (Refineries)-

देश के अंदर मिलने के अतिरिक्त विदेशों से भी कच्चा तेल आयात किया जाता है, जिसके शोधन के लिए देश के विभिन्न भागों में शोधनशालाएँ स्थापित की गयी हैं जिसका विवरण निम्न प्रकार है-

डिगबोई- इसकी स्थापना सन् 90 में व्यक्तिगत क्षेत्र में गयी थी। इसकी शोधन क्षमता वार्षिक 480 हजार टन थी जिसमें वृद्धि करके इसकी क्षमता को 526 हजार टन कर दिया गया है।

ट्राम्बे- यहाँ का तेल शोधक कारखाना सन् 1954 में संयुक्त राज्य अमेरिका की ‘स्टैण्डर्ड वैकुअम आयल कंपनी’ द्वारा स्थापित किया गया है। इसकी शोधन क्षमता 3480 हजार टन कच्चा खनिज तेल है। ट्राम्बे में ही एक दूसरा तेल शोधन कारखाना ब्रिटेन की बर्मा शेल कंपनी द्वारा सन् 1955 में स्थापित किया गया हैं इसकी शोधन क्षमता, 60,00,000 टन है।

विशाखापत्तनम् – यहाँ का तेल शोधक कारखाना कालटेक्स कंपनी के अधिकार में है। इसकी तेल शोधन क्षमता 4280 हजार टन है।

गोहाटी– यहाँ का तेल शोधक कारखाना रूमानिया के सहयोग से सन् 1962 में सार्वजनिक क्षेत्र मेंक स्थापित किया गया है। इसकी शोधन क्षमता 750 हजार टन है।

बरौनी- यहाँ का तेल शोधन क्षमता 33 लाख टन वार्षिक है।

कोयली- यहाँ का तेल शोधक कारखाना बड़ौदा के निकट कोयली नामक स्थान पर रूस के ही सहयोग से सार्वजनिक क्षेत्र में सन् 1965 में स्थापित किया गया है। इसकी तेल शोधन  क्षमता 73 लाख टन वार्षिक है।

कोचीन- यहाँ का तेल शोधक कारखाना सन् 1966 में संयुक्त अमेरिका के सहयोग से सार्वजनिक क्षेत्र में ही स्थापित किया गया है। इसकी तेल शोधन-क्षमता 45 लाख टन वार्षिक है।

अन्य शोधन केंद्रों में चेन्नई (क्षमता 56 लाख टन), हल्दिया (क्षमता 25 लाख टन) एवं जैसलमेर, उत्तर प्रदेश के मथुरा में भी स्थापना की गयी है।

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Pankaja Singh

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