व्यूहरचनात्मक प्रबंधन

भारत में कार्यरत जो बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ | रणनीतिक प्रबन्ध में वैश्विक मुद्दे

भारत में कार्यरत जो बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ | रणनीतिक प्रबन्ध में वैश्विक मुद्दे | Multinational companies operating in India in Hindi | Global Issues in Strategic Management in Hindi

भारत में कार्यरत जो बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ

भारत में कार्यरत बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के नाम निम्न लिखित हैं-

(1) डॉo रेड्डी (दवा निर्माता कम्पनी),

(2) रनवैक्सी (दवा निर्माता कम्पनी),

(3) पारले प्रोडक्ट्स (बिस्कुट कम्पनी),

(4) कोलगेट पामोलिव लिo (प्रसाधन निर्माता),

(5) हिन्दुस्तान लीवर्स लिo (प्रसाधन निर्माता),

(6) बाटा शूo क० (जूते),

(7) ग्लेक्सो (फार्मास्स्युटिकल),

(8) नेशले (खाद्य पदार्थ),

(9) पार्क डेविस (दवा निर्माता),

(10) नीविया (प्रसाधन),

(11) एलेटीन (प्रसाधन),

(12) फिलिप्स इण्डिया लि० (इलेक्ट्रॉनिक्स),

(13) सैमसंग कम्पनी (इलेक्ट्रॉनिक्स),

(14) एल-जी (इलेक्ट्रानिक),

(15) मरफी (रेडियो),

(16) फ्यूजी फिल्मस लिo (कैमरा आदि),

(17) विप्रो (कम्प्यूटर),

(18) नोकिया,

(19) हच आदि।

वैश्विक ढाँचा- वैश्विक स्तर तक पहुँचने के लिए एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी लाइसेंस या निर्यात विभाग के माध्यम से विदेशी बाजार में उत्पादों को प्रवाहित करती है। इसके बाद अन्तर्राष्ट्रीय कम्पनी द्वारा विदेश में अपना स्थानीय कार्यालय खोला जाता है। अपना विकास करते हुए संगठन परिपक्वता की अवस्था में आता है। परिपक्वता की अवस्था में संगठन द्वारा क्षेत्रीय प्रबन्ध संगठनों से प्रचालनों को एकीकृत किया जाता है। संयुक्त उपक्रम, विलीनीकरण आदि पर ध्यान दिया जाता है।

वैश्विक संगठन में कार्यात्मक प्ररचना की भौगोलिक एवं कार्यात्मक संरचना के आधार पर परचना की जाती है। वैश्विक संगठन संरचना पहले भौगोलिक संरचना पर आधारित होने के  साथ ही संगठनात्मक संरचना भी होती हैं इसमें अन्तर्राष्ट्रीय विनियोग अधिक तथा व्यापक होता है और व्यावसायिक गतिविधियाँ विविकृत होती हैं।

वैश्विक संगठन संरचना के भौगोलिक क्षेत्रों, उत्पाद रेखाओं, कार्यों या कुछ संयोगों के आधार पर बनाया जाता है इसमें विश्वव्यापी संगठन होता है।

रणनीतिक प्रबन्ध में वैश्विक मुद्दे-

रणनीतिक प्रबन्ध में निम्नलिखित वैश्विक मुद्दे होते हैं –

  1. वैश्विक रणनीति की स्थापना- वैश्विक व्यूह रचना की स्थापना हेतु व्यूह रचना का परिचय कराया जाता है। इस सम्बन्ध में मुख्य अधिकारी की भूमिका विशेष महत्वपूर्ण होती है।
  2. वैश्विक योजनाएँ तथा कार्यक्रम- वैश्विक व्यूह रचना की जानकारी के बाद सम्बन्धित वैश्विक योजनाएं एवं कार्यक्रम बनाये जाते हैं। इसमें बड़ी मात्रा में गतिविधियों के समूह शामिल किये जाते हैं।
  3. उद्देश्यों का निर्धारण- वैश्विक व्यूह रचना हेतु उद्देश्यों को निर्धारित करना आवश्यक होता है। ऐसा निर्धारण सार्थक एवं मूर्त रूप में किया जाता है।
  4. अन्तर्राष्ट्रीय फर्म एवं संगठनात्मक विश्लेषण- अन्तर्राष्ट्रीय फर्म के संगठनात्मक विश्लेषण हेतु संगठनात्मक संरचना का विश्लेषण, विपणन का विश्लेषण, उत्पादन का विलेषण, वित्तीय घटकों का विश्लेषण तथा मानवीय संसाधनों का विश्लेषण करना आवश्यक होता है।
  5. वैकल्पिक व्यूह रचनाओं का निर्माण- अन्तर्राष्ट्रीय व्यवसाय हेतु कारपोरेट वैकल्पिक रणीनतियों का का निर्माण राष्ट्रीय व्यावसायिक संगठन की तुलना में अलग होता है। एक अन्तर्राष्ट्रीय फर्म पहले देश का निर्धारण करती है। तत्पश्चात् रणनीतियों का निर्माण करती है। इन व्यूह रचनाओं को निम्नलिखित दो वर्गों में विभक्त किया जाता है- (1) निगम स्तरीय व्यूह रचनाएँ तथा (2) व्यवसाय स्तरीय व्यूह रचनाएँ।
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Pankaja Singh

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