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बेंथम के दण्ड व्यवस्था और जेल सुधार सम्बन्धी विचार | बेंथम का दण्ड व्यवस्था | बेंथम का जेल सुधार सम्बन्धी विचार

बेंथम के दण्ड व्यवस्था और जेल सुधार सम्बन्धी विचार | बेंथम का दण्ड व्यवस्था | बेंथम का जेल सुधार सम्बन्धी विचार

बेंथम के दण्ड व्यवस्था और जेल सुधार सम्बन्धी विचार

बेंथम के समय की दण्ड व्यवस्था बढ़ी अमानुषिक और कठोर थी। चोरी, जालसाजी, आदि छोटे-छोटे अपराधों के लिए भी प्राणदण्ड दिया जाता था। अतः बेन्थम ने इस दण्ड व्यवस्था की आलोचना करते हुए इसमें सुधार की आवश्यकता पर बल दिया बेन्थम का विचार था कि दण्ड का उद्देश्य अपराध की रोकथाम होना चाहिए और इसलिए दण्ड की प्रकृति तथा मात्रा अपराध की गुरुता के अनुपात में ही होनी चाहिए, उससे कम अथवा ज्यादा नहीं। अधिक दण्ड देने से लाभ के बदले हानि की आशंका ही अधिक रहती है। बेन्थम का एक विचार यह है कि नए अपराधी को पुराने अपराधी से कम दण्ड दिया जाना चाहिए, क्योंकि नए अपराधी के सुधार की अधिक आशा रहती है।

दण्ड निर्धारित करने में चार बातों का ध्यान अवश्य ही रखा जाना चाहिए (1) अपराध किस प्रकार का है छोटा या बड़ा। (2) वे परिस्थितियाँ, जिनमें अपराध किया गया; उदाहरणार्थ, भूखा लड़का यदि एक रोटी चुरा ले, तो वह दया का पात्र है। (3) अपराधी का उद्देश्य, और (4) अपराध से किस प्रकार के व्यक्ति को हानि पहुँचती है। डेविडसन के अनुसार, “बेन्थम का विचार है कि दण्ड देने में भावना और दुर्भावना से काम नहीं लिया जाना चाहिए।”

दण्ड ऐसा हो कि वह अन्य अपराधियों के लिए चेतावनीस्वरूप हो और इस दृष्टि की कठोरता के स्थान पर दण्ड की निश्चितता होनी चाहिए। इसी उद्देश्य से दण्ड प्रकट और सार्वजनिक रूप से दिया जाना चाहिए।

बेन्थम के समय में जेल का प्रशासन भी नितान्त असन्तोषजनक था और जेल में कैदियों के साथ पशुवत् व्यवहार किया जाता था। बेन्थम ने इस बात पर बल दिया कि जेलें ऐसी होनी चाहिए कि यातनागृह के स्थान पर सुधारगृहों के रूप में कार्य कर सकें। जेल में अपराधियों को लाभदायक काम या शिल्प सिखाया जाना चाहिए जिससे कि बाहर आकर वे अपनी रोटी कमा सके। अवकाश के समय में कैदियों को लिखने-पढ़ने तथा नैतिक और धार्मिक शिक्षा की सुविधा दी जानी चाहिए। उसका विश्वास था कि उचित शिक्षा और व्यवहार से प्रत्येक कैदी का जीवन सुधारा जा सकता है।

बेन्थम के समय में हावर्ड फास्ट जेल की व्यवस्था सुधारने के लिए आन्दोलन कर रहा था। बेन्थम को इस आन्दोलन से बड़ी सहानुभूति थी। उसने एक आदर्श जेल का नमूना भी तैयार किया था और इसका नाम उसने ‘पेन आप्टिकन’ (Pan-Optican) रखा था। इस जेल की इमारत चक्राकार होती और उसके बीच जेल के गवर्नर के रहने का स्थान होता। चारों तरफ बन्दियों की कोठरियां होती और गवर्नर अपने शीशे के केबिन में बैठा-बैठा कैदियों की दिनचर्या देखता रहता और जिस बन्दी को सुधारने के लिए जैसे उपचार की आवश्यकता होती वैसी ही व्यवस्था करता। बेन्थम की इच्छा थी कि ऐसी पहली जेल का गवर्नर वही बने, परन्तु उसकी यह इच्छा पूरी न हो सकी।

बेन्थम ने शिक्षा और धर्म के क्षेत्र में अनेक महत्त्वपूर्ण सुधारों की योजनाएँ रखीं। सम्भवतः जीवन का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं था, जो उसकी दृष्टि से अछूता रहा हो।

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Pankaja Singh

1 Comment

  • बेन्थम की राजनीति अच्छे विचारों से प्रभावित किया है क्योंकि बेन्थम व्यक्तिगत विचार से स्वतंत्र है।

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