राजनीति विज्ञान

बेन्थम की राजनीतिक चिन्तन में देन | बेन्थम का राजनीतिक चिन्तन में महत्त्व

बेन्थम की राजनीतिक चिन्तन में देन | बेन्थम का राजनीतिक चिन्तन में महत्त्व

बेन्थम की राजनीतिक चिन्तन में देन और महत्त्व

बेन्थम की विचारधारा में उपर्युक्त दोषों के होते हुए भी राजनीतिक चिन्तन के इतिहास में उसे अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। उसके दर्शन में मौलिकता का भले ही अभा हो इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि उसने अपनी यतार्थवादिता और क्रियात्मक सुधारवादिता के आधार पर व्यावहारिक राजनीति को एक नवीन दिशा प्रदान की। उसक महत्त्वपूर्ण देन निम्नलिखित है-

उपयोगितावाद का प्रतिपादन-

बेन्थम की सर्वप्रथम देन एक दार्शनिक सम्प्रदाय के रूप में उपयोगितावाद की स्थापना और उसे वैज्ञानिक रूप प्रदान करना है। यद्यपि बेन्थम के पूर् डेविड हूम, प्रीस्टले, हचसन, पैले, हालबैकक और हैलेविटियस जैसे विचारकों द्वारा प्रकट या अप्रकट रूप में उपयोगिता के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया जा चुका था, किन्तु इस पुराने सिद्दान्त को शास्त्रीय और व्यवस्थित रूप देने तथा इसे लोकप्रिय एवं शक्तिशाली विचारधारा बनाने का श्रेय बेन्थम को ही प्राप्त है। मैक्सी के शब्दों में, “उपयोगिता का विचार बहुत पुराना और सुपरिचित था। बेन्थम ने इसकी खोज नहीं की…..किन्तु उसने तथा उसके अनुयायियों ने इसे विज्ञान के उपकरणों से सुसज्जित किया और इसे उपयोगिता का विलक्षण वेग प्रदान किया।”

राज्य के कार्य और उद्देश्य के सम्बन्ध में. यथार्थवादी धारणा-

उसकी दूसरी देन राज्य के कार्य और उद्देश्य के सम्बन्ध में एक नवीन सिद्धान्त का विचार था। बेन्थम के पूर्व राज्य और उसके कार्यों के सम्बन्ध में आदर्शवादी दृष्टिकोण से विचार किया जाता था। किन्तु बेन्थम ने इस कल्पनात्मक राजनीतिक सिद्धान्त की जड़ को हिला दिया और राज्य के कार्यों के मापदण्ड हेतु ‘अधिकतम व्यक्तियों के अधिकतम सुख’ का एक व्यावहारिक आधार प्रदान किया। मैक्सी ने यह सत्य ही लिखा है कि “उपयोगितावाद की बेन्थम द्वारा प्रतिपादित सुख दुख की कसौटी को अस्वीकार करने वाले तथा उसकी खिल्ली उड़ाने वाले व्यक्ति भी उसके इस सिद्धान्त की अपेक्षा नहीं कर सकते हैं कि सरकार तथा उसके अधिकारों का औचित्य इसी बात से निश्चित होता है कि वह प्रजा को कितना निष्पक्ष और स्पष्ट सुख पहुँचा रही है और उसकी कितनी सेवा कर रही है।“

कानून और न्याय व्यवस्था में सुधार-

बेन्थम की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण देने कानून और न्याय व्यवस्था के क्षेत्र में है। इस क्षेत्र में उसने जितना कार्य किया, सम्भवतया उतना अन्य किसी व्यक्ति ने नहीं। उसके प्रयत्न से कानून में सरलता और स्पष्टता आयी और न्याय प्रशासन में बहुत सुधार हुआ। उसके द्वारा कानून के संहिताकरण पर बल दिए जाने के कारण 19वीं सदी में अनेक देशों में कानूनी संहिताएं बनीं और उसके प्रयत्नों से ही 1832 में पार्लियामेण्ट का प्रथम सुधार कानून पारित हुआ। ब्रिटिश संसद में सुधार के लिए आन्दोलन करने वाले सभी व्यक्ति उससे प्रेरणा प्राप्त करते रहे और प्रतियोगिता परीक्षा द्वारा सरकारी पदों पर नियुक्ति, निर्धन कानून तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य और सफाई से सम्बन्धित अनेक सुधार कानूनों को उसी प्रेरणा का परिणाम कहा जा सकता है। वैधानिक तथा न्यायिक क्षेत्र में उसके इस पथ-प्रदर्शन के कारण वैधानिक तथा न्यायिक सुधार के इतिहास में उसका एक अत्यन्त उच्च स्थान सुरक्षित हो गया है।

लोकतन्त्र को शक्ति प्रदान करना-

बेन्थम ने प्रेस की स्वतन्त्रता, गुप्त मतदान, वयस्क मदाधिकार, आदि का समर्थन करते हुए जनतन्त्र को बल प्रदान किया है। उसने लॉर्ड सभा एवं वंशानुगत अधिकारों का विरोध किया है। बेन्थम ने इस सिद्धान्त पर बल दिया कि शासन के द्वारा अपनी दिन-प्रतिदिन की नीति एवं आचरण को जनमत के सामने उचित सिद्ध किया जाना चाहिए। बेन्थम का यह दृढ़ मत था कि राज्य मुट्ठी भर लोगों की स्वार्थसिद्धि का साधन नहीं होना चाहिए, उसे सामान्य जनहित तथा सार्वजनिक कल्याण को साधन, बनाया जाना चाहिए।

ब्रिटिश राजनीतिक जीवन में स्थिरता उत्पन्न करना

व्यावहारिक राजनीतिक की दृष्टि से बेन्थम की एक महत्त्वपूर्ण देन ब्रिटिश राजनीतिक जीवन में स्थिरता को बनाए रखना है। फ्रेंच राज्य-क्रान्ति के बाद से समस्त यूरोप में क्रान्तियों की बाढ़-सी आयी हुई थी और ब्रिटिश कामन्स सभा में भी कोलाहलपूर्ण दृश्य रोज की बात हो गए थे। ग्लैडस्टन जैसे व्यक्ति भी यह कहने लगे थे कि कोई भी महान् उद्देश्य भावावेश के बिना पूरा नहीं हो सकता। ऐसी स्थिति में बेन्थम इस बात पर जोर दिया कि सुधार क्रान्तियों से अधिक वांछनीय है और इस प्रकार ब्रिटिश राजनीति को क्रान्ति से सुरक्षित रखा। बेन्थम द्वारा प्रस्तवित सुधार के कारण अंग्रेज यह समझ गए कि सभी विवादपूर्ण प्रश्नों का समाधान शान्तिपूर्ण ढंग से किया जाना चाहिए और सिरों को तोड़ने की अपेक्षा उन्हें गिनने का ढंग ही उत्तम है।

राजनीति के क्षेत्र में अनुसन्धान और गवेषणा को महत्व-

बेन्थम की एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण देन राजनीति और राजनीतिशास्त्र के क्षेत्र में परीक्षा, अनुसन्धान और गवेषणा की प्रवृत्ति का प्रतिपादन करना और उन्हें महत्त्वपूर्ण बनाना है। बेन्थम के समय तक ऐसा माना जाता था कि श्रेष्ठ शासन पुरानी परम्परा, सामान्य बुद्धि और अन्तःप्रेरणा के आधार पर किया जा सकता है। किन्तु बेन्थम ने इस बात पर जोर दिया कि राजनीति में किस नवीन नीति या संस्था को अपनाने के पूर्व सभी सम्बद्ध क्षेत्रों से तथ्य एकत्रित किए जाने चाहिए और विवादपूर्ण प्रश्नों की जाँच के लिए समितियाँ और आयोग स्थापित किए जाने चाहिए और विवादपूर्ण प्रश्नों जाँच- पड़ताल के बाद ही कोई कदम उठाया जाना चाहिए। इस प्रकार बेन्थम ने राजनीतिक जीवन में प्रयोगवादी, अनुभववादी और आलोचनात्मक दृष्टिकोण का श्रीगणेश किया और बेन्थम के बाद इस दृष्टिकोण को सभी देशों और पक्षों द्वारा स्वीकार कर लिया गया है।

अपने समय के बौद्धिक वर्ग पर भी उसका गहरा प्रभाव पड़ा) जेम्स मिल, जॉन ऑस्टिन; जॉन स्टुअर्ट मिल, आदि उसकी ही देन हैं। न केवल इंगलैण्ड, वरन् रूस, पुर्तगाल, स्पेन, मैक्सिको और दक्षिण अमरीका के विभिन्न देश भी उसकी प्रतिभा से अत्यधिक प्रभावित थे और अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में उसको अत्यधिक सम्मान प्राप्त था। हैजलिट (Hazlitt) का कथन बहुत कुछ सीमा तक सत्य है कि “उसका नाम इंग्लैण्ड में कम, यूरोप में अधिकतर तथा चिली के मैदान और मैक्सिको की खानों में अधिकतम ख्यातिपूर्ण है। उसने नवीन विश्व को संविधान तथा भविष्य के लिए कानून प्रदान किए हैं।”

बेन्थम की उपर्युक्त देनों को दृष्टि में रखते हुए ही मिल ने लिखा है कि “उसे मानव जाति के सर्वाधिक बुद्धिमान और महान् शिक्षकों में स्थान दिया जाना चाहिए क्योंकि उसने मानव को शाश्वत मूल्य के विचार प्रदान किए हैं।”

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Pankaja Singh

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