बाबर का चरित्र एवं व्यक्तित्व | विजेता और शासक के रूप में बाबर का मूल्यांकन
बाबर का चरित्र एवं व्यक्तित्व
मुगल शासकों में बाबर का उत्कृष्ट चरित्र था। वह न केवल मुगल वंश का संस्थापक था वरन् उसने मध्यकालीन भारत में राज्य व्यवस्था सम्बन्धी गुणों का भी अद्भुत प्रदर्शन किया। अबुल फजल के अनुसार बाबर में अनेक विलक्षणताएँ थी, जैसे-
(1) उत्कृष्ट भाग्य, (2) बुलन्द हिम्मत, (3) संसार विजय करने की शक्ति (4) राज्य व्यवस्था, (5) नगरों को आबाद करने की योग्यता, (6) लोगों के कल्याण हेतु संलग्न रहना, (7) सैनिकों को प्रसन्न रखना, (8) विनाश में उनकी रक्षा।
बाबर की मृत्यु केवल 48 वर्ष की आयु में हो गई। उसका इतिहास में स्थान भारत की विजय के कारण है। उसने ऐसे वंश की स्थापना की जो कि अगले तीन सौ वर्षों तक भारत में राज्य करता रहा।
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सेनानायकत्व-
बाबर एक प्रतिभाशाली सेनानायक था। उसने भारत में सैनिक तन्त्र स्थापित किया। उसको शासन व्यवस्था ठीक करने का अवसर नहीं मिला। वह सामरिक विजयें प्राप्त करता रहा। उसने जो राज्य स्थापित किया वह निरंकुश होकर एक ऐसा राज्य था जो कि आगामी दो सौ वर्षों तक बना रहा । उसने मध्य एशिया के क्षेत्रों को जोड़ कर ऐसा सम्पर्क स्थापित किया कि आगरा और काबुल का राजनीतिक सम्बन्ध मध्य एशिया से बना रहा। कन्धार मार्ग से भारत का व्यापार मध्य एशिया तक होता रहा। ईरान, तुर्क, मंगोल युद्ध पद्धति का भारत पर प्रभाव पड़ा । ईरानी शिष्टाचार व सभ्यता भारत में आयी।
बाबर के चरित्र तथा व्यक्तित्व की मध्यकालीन और आधुनिक इतिहासकारों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की है। तारीके रशीदी में मिरजा हैदर ने लिखा है कि “उसे अत्यधिक गुण प्राप्त थे, जिनमें वीरता और मानवता प्रमुख थे। वास्तव में उसके पूर्व उसके परिवार में ऐसा व्यक्ति नहीं हुआ जिसमें इतने अधिक गुण हों,न ही उसकी जाति में किसी व्यक्ति ने इतने साहसपूर्ण कार्य किये।”
- डॉ. ईश्वरीप्रसाद के अनुसार, “बाबर समस्त मध्यकालीन इतिहास में योग्य तथा प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक है, योद्धा तथा विद्वान् के रूप में मध्यकालीन सुल्तानों में वह उच्च पद प्राप्त करने के योग्य है।”
(i) उच्च चरित्र- बाबर एक उच्च चरित्र का व्यक्ति था । वह स्त्रियों का आदर करता था। वह ईश्वर और सन्तों में विश्वास करता था।
(ii) धार्मिक विचार- बाबर पक्का सुन्नी मुसलमान था। उसमें धार्मिक कट्टरता का अभाव था।
(iii) वीर पुरुष- बाबर वीर पुरुष था। वह दो आदमियों को बगल में दबा सकता था। वह सुन्दर भी था।
डॉ० रामप्रसाद त्रिपाठी लिखते हैं कि, “हमें यह कहीं प्रमाण नहीं मिलता कि धार्मिक अत्याचार बाबर की नीति का अंग रहा या बाबर को उसका सर्मथन प्राप्त हो सका।” फिर भी राजनीतिक व सैनिक युद्धों में धर्मोन्माद का रंग देना, बाबर की बड़ी कमजोरी व उसके चरित्र का कलंक है।” एर्सकाइन के शब्दों में, “एक शासक के अन्तर्गत छोटे राज्यों के समूह को उसने एकत्र मात्र कर दिया था न कि एक सुव्यवस्थित और नियमित रूप से शासित किया। बाबर ने शासन के मामलों में साधारण व्यक्ति जैसा कार्य किया। उसने न्याय एवं कानूनी व्यवस्था के लिए अधिक कार्य नहीं किया।”
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व्यक्ति के रूप में-
बाबर की आकृति सुन्दर थी। उसका शरीर हृष्ट-पुष्ट था। जीवन की कठिनाइयों ने उसको धैर्यवान व साहसी बना दिया। वह काफी बलबान था। अपने सगे-सम्बन्धियों से उसे काफी प्रेम था। बाबरनामा से ऐसा पता चलता है कि बाबर के चरित्र ने उसे अधिक महान् बनाया । बाबर एक ईश्वर विश्वासी व्यक्ति था । इस्लाम में उसे आस्था थी। वह मौलवियों, मुजाहिदों का आदर करता था। डॉ० रामप्रसाद त्रिपाठी लिखते हैं कि, “वह राजनीतिक क्षेत्र में उनसे सलाह नहीं लेता था परन्तु उसने आगरा में जिहाद की भावनाएं जागृत की तथा खानवा के युद्ध में फतहनामा प्रसारित किया। वह इस मत का खण्डन करता है।”
बाबर सैनिक और सेनापति के रूप में सबसे ऊंचा था। उसका जीवन युद्धों में गुजरा। उसने मध्य एशिया की युद्ध कला का भारत में प्रयोग किया। युद्ध क्षेत्र में साहसी, घुमक्कड़ी और वीर जातियों से सम्बन्ध स्थापित करके उसने अनुभव प्राप्त किये।
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बाबर शासक और प्रबन्धक के रूप में-
उसमें शासन प्रबन्धक की प्रतिभा उच्चकोटि की थी। उसने पुरानी संस्थाओं को नहीं बदला । उसने अपने राज्य को सामंतों और जागीरदारों में बांटा।
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साहित्य में रुचि-
बाबर अध्ययनशीलं व्यक्ति था। वह साहित्यकार भी उच्चकोटि का था। उसने गद्य और पद्य दोनों में रचना की। उसकी तुर्की कविता उच्चकोटि की थी। उसका तुर्की भाषा का दीवान बड़ा ही अलंकारिक और मधुर भाषा में लिखा गया है। उसकी ‘मुदीन’ नामक मसनबी तथा ‘बलिदिया’ नामक पुस्तक की काव्य में रचना उत्कृष्ट है। उसकी बड़ी प्रशंसा की गई है। उसने अपने राज्य काल का वर्णन अलंकारपूर्ण तथा रोचक भाषा में किया है। यह बाबरनामा या तुजके बाबरी के नाम से प्रसिद्ध है। इसमें तत्कालीन भारत की सामाजिक, राजनीतिक तथा सामरिक स्थिति का सुन्दर वर्णन है। भारतवर्ष की प्रकृति, भूगोल, वनस्पति, नदी, झील, इमारतों का विवरण है। बाबर संगीत में भी दक्ष था। वह फारसी में सुन्दर कविता लिखता था। गीत लिखता था व स्वयं गाता था।
बाबर के चरित्र में अनेक दोष भी थे। फिर भी बाबर एशिया के बुद्धिमान शासकों में एक था। फरिश्ता लिखता है कि, “वह आकर्षक तथा स्वभाव का मिलनसार व्यक्ति था।” डॉ० त्रिपाठी लिखते हैं कि, “उसके व्यक्तित्व में तुर्की फुर्ती, मुगल रहन-सहन, शक्ति और ईरानी वीरता के गुण समन्वित थे।”
हिन्दुस्तान पर आक्रमण के समय विवेचन करते हुए बाबर ने लिखा है कि काबुल एक गरीब देश था तथा वहाँ के कबीलों व जत्थों को जीवन निर्वाह की समस्या सदा बनी रहती थी। बाबर के शब्दों में काबुल एक छोटा सा देश है। यह तलवार का देश नहीं, लेखनी का नहीं। अतः भारत अभियान का उद्देश्य इन कबीलों को धन तथा खाद्य सामग्री उपलब्ध कराना भी था।
तोपखाना- बाबर ने तोपखाने की उन्नति में विशेष रुचि ली। तोप से पत्थर के गोले दागे जाते थे। प्रस्तर कास्टिक बनाने से बारूद कास्टिक बनाना सरल था। यह आगे चलकर मुगल सेना का अंग बना।
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बाबर और अमीर-
बाबर को शत्रु तथा मित्र की अच्छी पहचान थी। वह अफगानों को अविश्वसनीय समझता था। उसने अपने पुत्र को सुधारने का प्रयत्न किया। हुमायूँ को फटकारा और लिखा था कि, “बादशाही के बन्धन से बड़ा कोई बन्धन नहीं, एकांतवास राज्य के लिए उचित नहीं।”
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आदर्श व्यक्ति-
वह मदिरापान का निषेध करना चाहता था। उसने स्वयं उसे त्याग कर आदर्श उपस्थित किया। वह परामर्श लेने में कभी संकोच नहीं करता था। मुख्य अभियानों के पूर्व परामर्श गोष्ठियाँ करता था। निःसन्देह वह उच्चकोटि का व्यक्ति था। वह एक छोटे से प्रदेश, फरगना के शासक से उठकर भारत में मुगल राज्य का संस्थापक बन गया।
हेवेज का मत है- “उसके आकर्षक व्यक्तित्व,कलात्मक स्वभाव,रोचक और आश्चर्यजनक जीवन के कारण उसका स्थान इतिहास को सबसे चित्ताकर्षक व्यक्तियों में है।”
डा० लेनपूल- वह भाग्यशाली सैनिक था परन्तु साम्राज्य निर्माता नहीं।
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