अनुसंधान क्रियाविधि

अनुसंधान या शोध की अवधारणा | अनुसंधान या शोध की परिभाषाएं | शोध के उद्देश्य | उद्देश्य के आधार पर शोध के प्रकार

अनुसंधान या शोध की अवधारणा | अनुसंधान या शोध की परिभाषाएं | शोध के उद्देश्य | उद्देश्य के आधार पर शोध के प्रकार | Research or research concept in Hindi | Definitions of research or research in Hindi | Research Objectives in Hindi | Types of research based on purpose in Hindi

अनुसंधान या शोध की अवधारणा | अनुसंधान या शोध की परिभाषाएं

(Concept and Definitions of Research)

शोध, खोज, अन्वेषण, अनुसंधान वास्तव में एक ही वैज्ञानिक प्रक्रिया के पर्यायवाची हैं। इतिहास में शोध की प्रक्रिया के जनक प्रो. जे.बी. ब्यूरी थे। उनका मत था कि, “इतिहास एकाकी विज्ञान है न कम और न अधिक।” ब्यूरी के बाद, नेवूहर एवं राके (जर्मनी), ऐक्टन (ब्रिटेन), कार्ल बेकर (अमेरिका), रैने (फ्रांस) आदि ने भी इसका समर्थन किया और इतिहास में शोध की आधारशिला रखी। इन्होंने ऐतिहासिक शोध की आधुनिक विधाओं और आलोचना पद्धति की विधि प्रतिपादित की हैं।

19वीं शताब्दी में ऐतिहासिक शोध की वैज्ञानिक प्रणाली को परिपक्वता एवं प्रौढ़ता प्राप्त हुई। बर्नहॉम, आंग्लाय तथा सेनावास ने ऐतिहासिक अध्ययन की वैज्ञानिक प्रणाली के माध्यम से अतीत के अनेक मौलिक तथ्यों को अपने समसामयिक समाज के सम्मुख उद्घाटित किया।

कार्ल बेकर ने 1931 में अमेरिकन इतिहास परिषद के अपने अध्यक्षीय भाषण में इसकी व्याख्या करते हुए कहा था, “ऐतिहासिक शोध वह वैज्ञानिक विधा है जिसमें एक इतिहासकार केवल उन तथ्यों का चयन करता है जिसे उसका समाज महत्वपूर्ण बताता है और केवल उन प्रतिमानों को पाने का प्रयास करता है जिन्हें पाने के लिये उसका समाज निर्देशित करता है।”

लेकिन कार्ल बेकर के उक्त मत का खण्डन करते हुए बर्नहीम ने लिखा है, “शोध स्वयंमेव इतिहास नहीं, अपितु इतिहासकार द्वारा अपने लक्ष्य तक पहुँचने का एक साधन तथा प्रक्रिया है। अतएव शोध का अभिप्राय केवल समाज -निर्दिष्ट अतीत के अंतर्निहित प्रतिमानों को खोजना ही नहीं, अपितु इसके अतिरिक्त कुछ और भी है।”

शेकअली के अनुसार, ” शोध एक प्रक्रिया है जिसका अभिप्राय अतीत सम्बन्धी नीवन तथ्यों को प्रकाश में लाना तथा ज्ञान की सीमा को विस्तृत करता है।”

रेनियर के अनुसार, “शोधकर्ता का उद्देश्य नवीन तथ्यों की खोज करना, उपलब्ध तथ्यों का संशोधन करना तथा नवीन साक्ष्यों के आधार पर अतीत की घटना का यथार्थ एवं परिकल्पनात्मक प्रस्तुतिकरण होता है।”

एच.सी. हॉकेट का कहना है, “शोध का अभिप्राय अतीतकालिक घटना के सम्बन्ध में नवीन सूचना तथा विचार का प्रस्तुतिकरण होता है।”

शोध के उद्देश्य (शोध के उद्देश्यों का वर्णन)

(Objectives of Research)

शोध के तीन प्रमुख उद्देश्य हैं- (1) सैद्धान्तिक उद्देश्य, (2) व्यावहारिक उद्देश्य तथा (3) व्यक्तिगत उद्देश्य |

(1) सैद्धान्तिक उद्देश्य- शोध मूल रूप से ज्ञान की वृद्धि का साधक है। इस दृष्टि से शोध का सैद्धान्तिक उद्देश्य तथ्यों, घटनाओं अथवा समस्याओं के विषय में ज्ञान प्राप्त करना है जिससे पुराने तथ्यों का सत्यापन, नये तथ्यों की खोज, नये सिद्धान्तों का निर्माण तथा परीक्षण किया जाता है। इस प्रकार शोध के निम्नलिखित सैद्धान्तिक उद्देश्य हो सकते हैं-

(i) शोध का उद्देश्य प्रयोगों द्वारा सिद्ध तथ्यों के आधार पर अवधारणाओं की रचना करना है।

(ii) शोध द्वारा पुराने तथ्यों की जाँच एवं नवीन तथ्यों की जानकारी की जाती है।

(iii) शोध का उद्देश्य पूर्व स्थापित सिद्धान्तों की जाँच तथा परीक्षण करना है।

(iv) शोध का उद्देश्य घटना एवं तथ्यों के मध्य कार्य, कारण, सम्बन्ध को खोजना भी है।

(2) व्यावहारिक उद्देश्य- यद्यपि शोध का प्राथमिक उद्देश्य सैद्धान्तिक ज्ञान में अभिवृद्धि करना होता है तथापि उस ज्ञान का व्यावहारिक धरातल पर उपयोग न होने पर ऐसा शोध अर्थहीन हो जाता है। अतः शोध के व्यावहारिक उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

(i) शोध के द्वारा सर्वोत्कृष्ट विकल्प की खोज की जाती है।

(ii) शोध के द्वारा भविष्य के लिये योजनाओं के निर्माण में सहायता मिलती है।

(iii) शोध का व्यावहारिक उद्देश्य सामाजिक एवं आर्थिक समस्याओं का समाधान करने में सहायक होना भी है।

(iv) शोध के द्वारा किसी घटना के स्वरूप व कारणों के बारे में गहन जाँच कर उस समस्या को नियन्त्रित करने में सहायता मिलती है।

(v) शोध के द्वारा विभिन्न चरों (Variables) में परस्पर सम्बन्ध स्थापित कर परिकल्पनाओं (Hypothesis) को स्वीकृत अथवा अस्वीकृत किया जाता है।

(vi) शोध राजकीय तथा आर्थिक नीतियों का आधार प्रदान करता है।

(vii) शोध व्यवसाय तथा उद्योग की क्रियात्मक तथा नियोजन सम्बन्धी समस्याओं का समाधान करने में सहायक होता है।

(viii) शोध के द्वारा सामाजिक सम्बन्धों तथा समस्याओं का समाधान ढूँढने की सहायता मिलती है।

(3) व्यक्तिगत उद्देश्य- यहाँ प्रश्न यह उठता है कि एक व्यक्ति अन्ततः शोध करने के लिये क्यों अभिप्रेरित होता है? इस प्रश्न के उत्तर में शोध के व्यक्तिगत उद्देश्य निम्नलिखित हो सकते हैं-

(i) शोध के आधार पर रोजगार तथा उन्नति प्राप्त, हो सकती है क्योंकि बहुत से ऐसे व्यवसाय हैं जिनमें प्रवेश करने के लिये एक व्यक्ति को शोध करना आवश्यक होता है।

(ii) एक व्यक्ति समाज सेवा की दृष्टि से भी शोध एवं अनुसन्धान कर सकता है।

(iii) शोध करने का व्यक्तिगत उद्देश्य समाज में सम्मान प्राप्त करना भी हो सकता है।

(iv) कुछ व्यक्ति रचनात्मक कार्य करने में आनन्द का अनुभव प्राप्त करते हैं।

(v) इसी प्रकार एक शोधकर्ता ऐसी समस्याओं का समाधान करने सम्बन्धी चुनौती स्वीकार करना उचित समझता है जिनका वर्तमान में कोई समाधान नहीं है।

(vi) सरकारी निर्देशों के आधार पर भी शोध करना अनिवार्य हो सकता है।

उद्देश्य के आधार पर शोध के प्रकार

उद्देश्य के आधार पर- उद्देश्य के आधार पर शोध निम्न प्रकार का हो सकता है-

(1) मौलिक सैद्धान्तिक शोध (Fundamental, Pure or Basic, Research)- नये सिद्धान्तों का सूत्रपात अथवा पुराने सिद्धान्तों की समीक्षा तथा संशोधन मौलिक शोध का विषय है। इसमें ज्ञान प्राप्ति का उद्देश्य सामान्यीकरण के द्वारा सिद्धान्तों की व्याख्या करना होता है। मौलिक अनुसन्धान में यह भी देखा जाता है कि क्या परिवर्तित परिस्थितियों में पुराने सिद्धान्त उचित हैं अथवा नहीं। यदि पुराने सिद्धान्त वर्तमान सन्दर्भ में ठीक न हों तो उन्हें अस्वीकृत कर नये सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया जाता है। वास्तव में मौलिक अनुसन्धान का उद्देश्य उपलब्ध ज्ञान में अभिवृद्धि कर उसे समष्टि (Universe) में प्रयुक्त करने योग्य बनाया है।

(2) व्यावहारिक शोध (Applid Research)- व्यावहारिक शोध में मौलिक शोध से प्राप्त परिणामों को वास्तविक घटनाओं तथा परिस्थितियों पर लागू कर प्राप्त परिणामों के आधार पर निष्कर्ष ज्ञात किये जाते हैं। पी०वी० यंग के अनुसार, “ज्ञान की खेज का निश्चित सम्बन्ध लोगों की प्राथमिक आवश्यकताओं एवं कल्याण से होता है। वैज्ञानिक की मान्यता यह होती है कि समस्त ज्ञान मूलभूत रूप से इस अर्थ में उपयोग होता है कि वह इस सिद्धान्त के निर्माण में या एक कला को व्यवहार में लाने में सहायक होता है, सिद्धान्त और व्यवहार आगे जाकर एक- दूसरे में मिल जाते हैं।” इस प्रकार व्यावहारिक अनुसन्धान की संज्ञा उसे दी जाती है जिसमें ज्ञानक्षप्राप्ति मानवीय भाग्य के सुधार में सहायता प्रदान कर सके।

(3) क्रिया शोध (Action Research)- एक ऐसा शोध क्रिया शोध कहलाता है जो किसी समस्या अथवा घटना के क्रिया पक्ष पर बल देता है। विकास की गति को बढ़ाने के लिए तथा अपूर्ण आवश्यकताओं की प्रभावपूर्ति के लिए क्रिया शोध आवश्यक है।

अनुसंधान क्रियाविधि – महत्वपूर्ण लिंक

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Pankaja Singh

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