अर्थशास्त्र

अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की परिभाषा | अन्तर्राष्ट्रीय एवं अन्तर्खेत्रीय व्यापार में तुलना | अन्तर्क्षेत्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के मध्य भेद

अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की परिभाषा | अन्तर्राष्ट्रीय एवं अन्तर्खेत्रीय व्यापार में तुलना | अन्तर्क्षेत्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के मध्य भेद

अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की परिभाषा

(Definition of International Trade)

प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों ने अन्तर्राष्ट्रीय और आन्तरिक व्यापारियों को दो भिन्न-भिन्न वर्गों में विभाजित किया है। इसके मतानुसार अन्तराष्ट्रीय या विदेशी व्यापार वह व्यापार है जो दो या दो से अधिक राष्ट्रों के बीच होता है। इसके विपरीत आन्तरिक व्यापार एक ही देश के निवासियों के बीच किया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार एक देश की राजनैतिक सीमा को पार कर जाता है जबकि आन्तरिक व्यापार में ऐसा नहीं होता। अन्य शब्दों में, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार एक देश (या क्षेत्र) और दूसरे देश (या क्षेत्र) के बीच होने वाला वस्तुओं और सेवाओं का विनिमय है। इसे ‘अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार’ (International trade) भी कहते हैं।

हैबरलर ने आधुनिक विश्व में विदेशी व्यापार की राजनैतिक धारणा निम्न प्रकार से प्रस्तुत की है, “देशी व्यापार का आशय उस क्षेत्र में होने वाले व्यापार से है जिसकी सम्पन्नता में सम्बन्धित सरकार को रुचि रहती है या जो उसके अधिकार क्षेत्र में है। घरेलू और विदेशी व्यापार में भेद की रेखा आजकल प्रायः राष्ट्रीय सीमान्तों के साथ सह-विस्तृत (Co-extensive with national frontiers) है और विदेशी व्यापार को विभिन्न देशों के मध्य का व्यापार कहा जाता है।”

संक्षेप में, एक राष्ट्र और दूसरे राष्ट्र के बीच का व्यापार अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार’ कहा जाता है और किसी राष्ट्र की राजनैतिक सीमाओं के भीतर होने वाला व्यापार ‘देशी व्यापार’ है।

अन्तर्राष्ट्रीय एवं अन्तर्खेत्रीय व्यापार में तुलना

(Comparison between International and International Trade)

प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों (Classical Economists) ने आन्तरिक या देशी व्यापार और विदेशी या अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को दी बिल्कुल भिन्न जातियाँ माना था और इस भिन्नता के सन्दर्भ में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के अस्तित्व और उसकी दिशा को समझाने हेतु एक पृथक् सिद्धान्त- तुलनात्मक लागत सिद्धान्त प्रस्तुत किया था। दूसरी ओर, ओहलिन (Onlin) ने कहा कि देशी और विदेशी व्यापार में कोई मौलिक अन्तर नहीं है और इसलिए अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को समझाने हेतु किसी पृथक सिद्धान्त की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि “अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार अन्तर- स्थानीय या अन्तर्खेत्रीय व्यापार की एक विशेष दशा मात्र है।” किसी सही निष्कर्ष पर पहुँचने के लिए यह आवश्यक है कि हम आन्तरिक (देशी) एवं विदेशी (अन्तर्राष्ट्रीय) व्यापार की सावधानी से तुलना करें।

समानतायें (Similarities)

अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय व्यापार के मध्य निम्नलिखित समानताएं हैं-

(1) वस्तुओं तथा सेवाओं का विनिमय- दोनों व्यापारों में वस्तुओं तथा सेवाओं का विनिमय होता है। मुद्रा विनिमय माध्यम का कार्य करती है जिससे विनिमय प्रक्रिया सुगम हो जाती है।

(ii) ऐच्छिक सौदा- आन्तरिक एवं अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की प्रकृति ऐच्छिक होती हैं। सरकारी नियमन एवं नियन्त्रण किसी भी व्यापारी को वस्तु खरीदने एवं बेचने के लिए विवश नहीं करते। विदेशी तथा देशी वस्तुओं का क्रय लोगों की इच्छा पर निर्भर हैं। दोनों ही व्यापार ऐच्छिक सौदों पर आधारित हैं।

(iii) द्विपक्षीय- अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय व्यापार में दो पक्षकारों का होना आवश्यक है। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में ये पक्षकार राष्ट्र होते हैं, जबकि राष्ट्रीय व्यापार में व्यक्ति होते हैं। जब सरकार आयात निर्यात करती है तो वह भी एक व्यापारी की भूमिका अदा करती है।

(iv) श्रम विभाजन एवं विशिष्टीकरण- आधुनिक समय में बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है और चाहे राष्ट्रीय व्यापार हो अथवा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार दोनों में ही श्रम विभाजन एवं विशिष्टीकरण अपनाया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में विशिष्टीकरण एवं श्रम विभाजन राष्ट्रीय स्तर पर होता है। प्रत्येक देश ऐसी वस्तु का उत्पादन करता है जो कि न्यूनतम लागत पर आधकतम उत्पादन कर सके । इसका अप.. आवश्यकताओं की पूर्ति करके निर्यात किया जाता है और इससे अर्जित विदेशी विनिमय द्वारा अन्य आवश्यक वस्तुओं का आयात करता है।

(v) दोनों पक्षों को लाभ-आन्तरिक एवं अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में दोनों ही पक्षों को लाभ होता है। अपने देश में आवश्यकता से अधिक उत्पादित वस्तु का निर्यात करके अन्य वस्तुओं का आयात अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के अन्तर्गत किया जाता है। राष्ट्रीय व्यापार में देशवासियों द्वारा अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती है।

(vi) सामाजिक एवं राजनीतिक संबंध- एक ही देश में विभिन्न क्षेत्रों के व्यापारी व्यापार करते हैं तो उनमें सामाजिक एवं सांस्कृतिक सम्बन्धों का विकास होता है। ऐसा ही अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में होता है। सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक सम्बन्ध बनते हैं। उदाहरणार्थ भारत और ताइवान का सम्बन्धी

असमानताएँ (Dissimilarities)-

आन्तरिक एवं अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में यद्यपि उपर्युक्त वर्णित समानताएं पाई जाती हैं लेकिन फिर भी इन दोनों में कुछ आधारभूत अन्तर भी है। प्रो० किण्डल बर्गर के मतानुसार आन्तरिक एवं अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में निम्न आधारों पर असमानताएं देखने को मिलती हैं-

(I) साधनों की गतिशीलता का अभाव (Lack of Factor Immobility)- परम्परावादी अर्थशास्त्रियों ने अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार हेतु पृथक सिद्धान्त का प्रतिपादन किया और इस बात पर जोर दिया कि उत्पादन साधनों की गतिशीलता अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर नहीं पाई जाती है। भाषा, धर्म, जाति, संस्कृति आदि के कारण विभिन्न राष्ट्रों के बीच साधनों की गतिशीलता नहीं पाई जाती है। उत्पादन के साधन एक देश में आसानी से गतिशील होते हैं और इसके परिणामस्वरूप इन साधनों की कीमतों में प्रतियोगिता के कारण अधिक असमानता नहीं पाई जाती है।

कुछ अर्थशास्त्रियों के मतानुसार साधनों की गतिशीलता और अगतिशीलता का अन्तर्राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तरों पर केवल जाति (Kind) का न होकर अंश (Degree) का ही है। अतः अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय व्यापार में साधनों की गतिशीलता के आधार पर मौलिक अन्तर नहीं किया जा सकता।

(II) भिन्न राष्ट्रीय नीति (Different National Policies)— प्रत्येक देश अपनी आन्तरिक व्यवस्था में दूसरे देश का हस्तक्षेप पसंद नहीं करता और अपने देश की घरेलू परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अपनी राष्ट्रीय नीतियाँ निर्धारित करता है। राष्ट्रीय नीतियों के क्षेत्र में राजकोषीय नीति, मौद्रिक नीति, सामाजिक बीमा, मजदूरी नीति आती है। एक राष्ट्र में इन नीतियों में समानता पाई जाती है लेकिन भिन्न राष्ट्रों में इनमें भिन्नता पाई जाती है। भिन्न-भिन्न देशों में उत्पादन सम्बन्धी सुविधाएं व अवस्थाएँ भिन्न होती हैं और वस्तुओं की उत्पादन लागत में भी भिन्नता आ जाती है, जिससे वस्तुएँ एक देश से दूसरे देश में जाकर बिकती हैं।

(III) भिन्न राजनीतिक इकाइयों (Different Political Units)- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के अन्तर्गत भिन्न-भिन्न देशों के बीच वस्तुओं का विनिमय होता है जिनकी राजनीतिक सीमाएं भिन्न-भिन्न होती हैं। प्रत्येक राष्ट्र अपने हितों की रक्षा हेतु विश्व के हितों की ओर अधिक ध्यान नहीं देता है। व्यापार सम्बन्धी नियमन एवं नियन्त्रण एक देश में सरूप होते हैं लेकिन भिन्न- भिन्न देशों में यह समरूपता देखने को नहीं मिलती हैं।

(iv) भिन्न मुद्रा इकाइयां (Different Monetary Units)- प्रत्येक देश की मुद्रा दूसरे देश की मुद्रा से भिन्न होती है। उसका मूल्य भी प्रत्येक देश में अलग-अलग होता है। आन्तरिक व्यापार केवल एक ही मुद्रा के माध्यम से सौदों का भुगतान किया जाता है, लेकिन अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सौदों का भुगतान करने हेतु कई मुद्राओं का उपयोग करना पड़ता है तथा देश की मुद्रा के साथ इसकी विनिमय दरें भी समान नहीं होती हैं।

(v) परिवहन की समस्या में अन्तर (Different Transport Problem)- आन्तरिक एवं अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में परिवहन की समस्या में अन्तर है। आन्तरिक या राष्ट्रीय व्यापार में कई प्रकार के यातायात के साधन काम में लाये जा सकते हैं जबकि अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में सामान्यत: वायु यातायात एवं जल यातायात का ही प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही लागत और जोखिम भी अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में अधिक होती है। राजनीतिक कारणों से परिवहन की समस्या और भी जटिल हो जाती है।

(vi) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की विशिष्ट समस्याएँ (Special Problems of International Trade)- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में राष्ट्रीय व्यापार की तुलना में कुछ विशिष्ट समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। उदाहरणार्थ, अन्तर्राष्ट्रीय तरलता, अन्तर्राष्ट्रीय पूँजी का आवागमन, यूरो-डालर आदि समस्याएं, सम्पूर्ण विश्व की समस्याएँ बन गई हैं।

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Pankaja Singh

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