अर्थशास्त्र

अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र का अर्थ | अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र की परिभाषा | अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र का क्षेत्र

अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र का अर्थ | अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र की परिभाषा | अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र का क्षेत्र

अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र का अर्थ

(Meaning of International Economics)

अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र, सामान्य अर्थशास्त्र का वह भाग है जिसके अन्तर्गत अन्तर्राष्ट्रीय पहलुओं की आर्थिक क्रियाओं में रुचि रखने वाले राष्ट्रों के बीच आर्थिक सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। समस्त आर्थिक क्रियाओं का आधार चाहे वे राष्ट्रीय हों अथवा अन्तर्राष्ट्रीय, मुख्यत: वस्तुओं तथा सेवाओं के बदले में वस्तुओं तथा सेवाओं का आदान-प्रदान करना है।

अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र की परिभाषा

अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र की कुछ विद्वानों ने परिभाषायें दी हैं वे निम्नलिखित हैं-

(1) प्रो० हैरड के मतानुसार, “अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र का सम्बन्ध उन सब आर्थिक लेन-देन से है जो देश की सीमा से बाहर किये जाते हैं। उनमें उत्प्रवासन एक राष्ट्र के नागरिकों द्वारा दूसरे राष्ट्र के नागरिकों के द्वारा ऋण का आदान-प्रदान और माल का क्रय-विक्रय शामिल है।”

(2) प्रो० वासरमैन एवं हल्टमैन ने अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र की एक विस्तृत परिभाषा दी है। इनके मतानुसार, “अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र का संबंध वस्तुओं, सेवाओं, उपहारों पूँजी एवं बहुमूल्य धातुओं के विनिमय से है, जिनमें इस मदों का स्वामित्व एक देश के निवासियों के पास से दूसरे देश के निवासियों के पास चला जाता है। यह इस विनिमय का तथा उन कानूनों, संस्थाओं व व्यवहारों का, जिनके अन्तर्गत यह व्यापार होता है, वर्णन का विश्लेषण करता है।”

इस प्रकार अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र, अर्थशास्त्र का वह अंग है जो कि अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से सम्बन्धित है। अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र के नियम अन्य आर्थिक नियमों से पृथक नहीं होते हैं, परन्तु इनको अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की विशिष्ट परिस्थितियों में लागू किया जा सकता है।

अत: अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र वह कला एवं विज्ञान है जिसमें राष्ट्रों के मध्य आर्थिक सम्बन्धों एवं उनसे उत्पन्न आर्थिक समस्याओं के कारणों एवं उनके निवारणों का अध्ययन किया जाता है जिससे कि विभिन्न देशों के आर्थिक सम्बन्धों का सुदृढ़ विकास हो सके।

द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् विभिन्न राष्ट्रों की विचारधाराओं के आधार पर भी गुटबन्दी का प्रारम्भ हुआ है। पूँजीवाद, समाजवाद एवं तटस्थ राष्ट्रों का प्रादुर्भाव इसी का परिणाम है। इनका ‘अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार पर भी प्रभाव पड़ा है। इससे राष्ट्रीय समस्या अन्तर्राष्ट्रीय समस्या के रूप में उभर कर सामने आई है।

प्रो० किण्डलबर्गर के अनुसार “अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र को अर्थशास्त्र के अध्ययन से पृथक रूप में देखना आवश्यक है क्योंकि वह आवण्टन और विनिमय की व्यष्टि विश्लेषण समस्याओं का मुद्रा, आय विनिमय दरों और भुगतान समायोजन सम्बन्धी समष्टि आर्थिक समस्याओं का संयोजन करती है।”

अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र का क्षेत्र (Scope of International Economics)

अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र के क्षेत्र तथा विषय सामग्री को निम्न चार्ट द्वारा दर्शाया जा सकता है-

(1) अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र की आवश्यकता और सिद्धान्त,

(2) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के मौद्रिक पहलू,

(3) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापारिक नीति,

(4) अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक एवं मौद्रिक सहयोग,

(5) विदेशी व्यापार की संरचना,

(6) विकासशील देशों की आर्थिक विकास की समस्यायें।

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Pankaja Singh

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