अधिशासी विकास का आशय एवं परिभाषाएँ | अधिशासी विकास कार्यक्रमों के प्रकार | Meaning and Definition of Executive Development in Hindi | Types of Executive Development Programme in Hindi
अधिशासी विकास का आशय एवं परिभाषाएँ
(Meaning and Definition of Executive Development)
अधिशासी विकास का आशय अधिशासियों की अधिशासी क्षमता में अभिवृद्धि करने से होता है। इसे प्रबन्धकीय विकास भी कहते हैं। इसका आशय अधिकारियों के विकास से होता है। अधिशासी विकास की आवश्यकता योग्य, कार्यकुशल तथ कार्यक्षम प्रबन्ध दल का निर्माण करने के साथ-साथ प्रबन्ध दल की योग्यता एवं उपादेयता को बनाये रखने तथा इसमें निरन्तर विकास करते रहने हेतु भी होती है। अधिशासी विकास संगठन में व्याप्त ऐसी व्यवस्था है जिसके द्वारा व्यक्ति प्रभावी प्रबन्ध हेतु ज्ञान एवं कौशल प्राप्त करते है तथा उसका उपयोग करते हैं। संगठन में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे प्रबन्धक संगठन में पदोनत होने के लिए अपने विकास के स्तर पा सके तथा उन गत्यात्मक स्थितियों से परिचित रहें जिनमें वे कार्य करते हैं।
अधिशासी विकास की परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-
विलार्ड ई. वैनेट के अनुसार, “प्रबन्धकीय विकास पेशेवर क्षमताओं वाले व्यक्तियों को जन्म देने की शैक्षणिक प्रक्रिया है।”
इस शैक्षणिक प्रक्रिया के परिणामस्वरूप एक ऐसे व्यक्ति का जन्म होता है जिसमें नेतृत्व एवं प्रबन्धकीय योग्यतायें विद्यमान हो, जो प्रवन्धकीय पेशे के सम्पूर्ण सिद्धान्तों का ज्ञाता हो तथा जो अपने प्रबन्धकीय ज्ञान का उपयोग व्यवहार में कुशलता पूर्वक कर सके।
कून्ट्ज एवं ओ’ डोनेल के अनुसार, “अधिशासी विकास से आशय प्रबन्धक द्वारा प्रबन्धकीय ज्ञान के विकास की प्रगति से है।”
मिचेल जे जूसियस के अनुसार, “अधिशासी विकास एक ऐसा कार्यक्रम है जिसके द्वारा वांछित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अधिशासी क्षमताओं में अभिवृद्धि की जाती है।”
इस प्रकार अधिशासी विकास एक व्यवस्थित प्रक्रिया है जिसके माध्य से एक अधिशासी किसी उपक्रम का कार्य सुचारू रूपे चलाने हेतु ज्ञान, चातुर्य, अन्तर्दृ तथा अभिवृत्ति अर्जित करता है।
अधिशासी विकास कार्यक्रमों के प्रकार
(Types of Executive Development Programme)
अधिशासी विकास के लिए प्रत्येक उपक्रम विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों को बनाता है तथा विभिन्न अवसरों को पदाधिकारियों के सामने पेश करता है। मुख्य रूप से निम्नलिखित विकास कार्यक्रमों को अपनाया जाता है।
- कार्य पर विकास (On the Job Development- कार्य पर विकास कार्यक्रम को नेतृत्व गुणों में विकास हेतु अच्छा माना जाता है। इसके अन्तर्गत अधिशासी विकास कार्य पर ही पूर्ण होते हैं। प्रशिक्षणार्थी कार्य को वास्तविक कार्य स्थितियों में सीखता है। वह अपने अधीनस्थों को तथा अधीनस्थ उसे जाँच सकते हैं। कार्य पर विकास की पद्धति अत्यन्त प्रभावी मानी जाती है क्योंकि कार्य पर प्राप्त अनुभव व्यक्ति को सही दिशा में सोचने एवं करने की योग्यता प्रदान करता है।
- बहुपद विकास (Multiple Development)- इस व्यवस्था द्वारा कनिष्ठ अधिशासी मण्डल के सदस्यों का विकास किया जाता है ताकि वे संचालकों में वरिष्ठ मण्डल तक पहुंच सके। इस कार्यक्रम की सफलता हेतु निम्नलिखित बातों पर प्रतिष्ठान के मुख्य अधिशासी को ध्यान देना होता है –
(i) मानवीय सम्बन्धों के प्रधान अधिशासी का एक ट्रस्टी के रूप में अपने व्यक्तियों हेतु उत्तरदायित्व को ग्रहण करना आवश्यक है।
(ii) प्रधान अधिशासी को निम्न एवं मध्यम स्तरीय प्रबन्धकों में से विचारकों का पता लगाना चाहिए।
यह कार्यक्रम अत्यन्त स्वस्थ, सुदृढ, स्पष्ट तथा प्रतिस्पर्द्धा व्यक्तियों की निर्माण करने की होती है। यह कनिष्ठ अधिशासियों में आत्म विश्वास बढ़ाती है।
- दूसरों के स्थान पर कार्य करने की योजनाएँ (Understudy Plans) – अधि- अध्ययन कार्यक्रम के अन्तर्गत अधीनस्थ पदाधिकारी का अपने नित्य-कार्य के अलावा अपने उच्चाधिकारी के कार्यों, उत्तरदायित्वों, अधिकारों एवं कार्य-विधियों को सीखने एवं जानने का कर्त्तव्य सौंपा जाता है। जब कभी उच्चाधिकारी वाहर जाते हैं तब वह अधीनस्थ अधिकारी उच्चाधिकारी के स्थान पर कार्य करता है।
एक अधिशासी के लिए यह विधि बहुत अच्छे अवसर उपलब्ध कराती है जिससे कि उसकी पदोन्नति के रास्ते खुल जाते हैं।
- अल्पकालीन पाठ्यक्रम (Short-term Courses) – अल्पकालीन पाठ्यक्रम योजनाएं भी अधिशासी विकास हेतु अपनायी जाती है। यह विधि गहन-स्कूल कार्यक्रम की भाँति होती है। इसके अन्तर्गत विषयों का पहले से ही चयन कर लिया जाता है। ऐसे पाठ्यक्रमों का उद्देश्य पदाधिकारियों को पुनः प्रशिक्षित करना होता है। इन पाठ्यक्रमों में मन्त्रणा, परीक्षण, कार्य-मूल्यांकन रखे जाते हैं।
- पद हेर-फेर योजना (Position Rotation Plan) – अधिशासी विकास हेतु पद हेर-फेर योजना को आवश्यक प्रशिक्षण कार्यक्रम के रूप में स्वीकार किया गया है। इसके अन्तर्गत प्रत्येक पदाधिकारी, उसके उच्चाधिकारी तथा उसके अधीनस्थ पदाधिकारी आदि सभी एक क्रम के अनुसार उच्च पदों पर कार्य करते हैं। इसलिए इसे पद हेर-फेर योजना कहा है। इस विधि के लाभ निम्नलिखित होते हैं।
(i) अधिशासी को प्रत्येक कार्य के सम्बन्ध में जानकारी एवं प्रशिक्षण प्राप्त हो जाना,
(ii) अनावश्यक प्रबन्धकीय व्यवहारों पद्धतियों एवं क्रियाओं से संगठन को मुक्ति मिलना।
(iii) संगठन के कार्य संचालन में सुधार होना,
(iv) अधिशासी के जान-पहचान क्षेत्र में पर्याप्त वृद्धि होना आदि।
- समस्या निवारक सम्मेलन (Problem solving Conference) – समस्या निवारक सम्मेलन इस मान्यता पर आधारित होता है कि आधुनिक व्यवसाय की जटिल प्रक्रियायें एवं समस्यायें प्रभावी समूह कार्यवाही की अपेक्षा करती है। इस समस्या के समाधान हेतु आयोजित सम्मेलन में प्रवन्धकगण समस्या को अपने-अपने दृष्टिकोण से सुलझाने हेतु विचार व्यक्त करते हैं। यह कार्यक्रम अधिशासी विकास व समस्या समाधान में तभी सहयोग दे सकता है जब सभी भाग लेने वाले अधिशासी समस्या को जाने, उसका विश्लेषण करें, निराकरण पर विचार करें तथा समाधान हेतु वाँछित कार्यवाही करें।
- अन्य विधियाँ तथा कार्यक्रम (Other Methods and Programmes) – उपरोक्त कार्यक्रमों के अलावा कुछ अन्य कार्यक्रम को भी अधिशासी विकास हेतु अपनाया जाता है- (i) उद्योग में प्रशिक्षण, (ii) दत्तकार्य विधियाँ, (iii) प्रतिष्ठान में समय-समय पर आयोजित सम्मेलन एवं सेमिनारें, (iv) प्रबन्धकीय संस्थानों द्वारा आयोजित सम्मेलन एवं सेमिनारे, विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित विशिष्ट प्रबन्ध विकास कार्यक्रम, (v) विश्वविद्यालयों तथा कालेजों द्वारा संचालित नियमित विस्तार पाठ्यक्रम, (vi) व्यावसायिक एवं वाणिज्यिक संस्थाओं के कार्यों में भाग लेना आदि।
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