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आन्तरिक विश्लेषण से आशय | संगठन मूल्यांकन की प्रमुख तकनीकें

आन्तरिक विश्लेषण से आशय | संगठन मूल्यांकन की प्रमुख तकनीकें | Meaning of internal analysis in Hindi

आन्तरिक विश्लेषण से आशय-

किसी संस्था की आन्तरिक वातावरण, शक्तियों कमजोरियों का ज्ञान प्राप्त करने की विधि आन्तरिक विशेषण कहलाती है।

संगठन मूल्यांकन की प्रमुख तकनीकें

वर्तमान युग में संगठन मूल्यांकन की विभिन्न तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। इसमें से प्रमुख तकनीकें निम्नलिखित हैं-

  1. आन्तरिक विश्लेषण-

आन्तरिक विश्लेषण द्वारा किसी संसप्रमुख तकनीकें निम्नलिखित हैं का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। आन्तरिक विश्लेषण में निम्न दो प्रकार की विधियों का प्रयोग होता है-

(अ) मूल्यांकन श्रृंखला विश्लेषण- किसी संगठन द्वारा की गयी क्रियाओं का विश्लेषण कर हम उसकी शक्तियों तथा कमजोरियों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। मूल्य शृंखला विश्लेषण पद्धति को विकसित करने का श्रेय पोर्टर (Porter) को जाता है। मूल्य शृंखला किसी फर्म द्वारा किये गये कार्यों की कीमत से सम्बन्धित एक सूची होती है। पोर्टर ने मूल्य शृंखला को दो भागों में विभाजित किया है- प्राथमिक एवं समर्थन क्रियाएँ। सम्पत्ति सूची, गोदाम विपणन एवं विक्रय का सम्बन्ध प्राथमिक क्रियाओं से होता है ताकि समर्थन क्रियाओं का सम्बन्ध प्रौद्योगिकी विकास, मानव संसाधन विकास व अवस्थापना से होता है। संगठनात्मक मूल्यांकन इन सभी घटकों के शृंखलाबद्ध विश्लेषण से ही किया जाता है। प्राथमिक क्रियाएँ मूल रूप से उत्पाद के ग्राहकों तक पहुँचने से सम्बंधित होती है और इसमें निम्नलिखित क्रियाएँ शामिल होती है-

(1) माल को प्राप्त करना तथा उनका रख-रखाव, (2) कच्चे माल को तैयार माल में बदलना, (3) माल का वितरण, (4) तैयार माल का मूल्यांकन एवं उसकी बिक्री की व्यवस्था, (5) बिक्री पश्चात् सेवाएँ अर्थात् मरम्मत आदि।

सहायक क्रियाएँ प्राथमिक क्रियाओं को सहायता प्रदान करती है, इसमें आर्थिक, लेखांकन सामान्य प्रबन्ध तथा मानवीय उपायों का समावेश होता है।

(ब) परिमाणात्मक (Quantitative) विश्लेषण- परिमाणात्मक तकनीकों का प्रयोग भी संगठनात्मक निष्पादन मूल्यांकन करने हेतु किया जाता है। इसके अंतर्गत वित्तीय एवं गैर वित्तीय विश्लेषण को प्रमुख रूप से रखा जाता है।

(i) वित्तीय विश्लेषण- संगठन की विभिन्न क्रियाओं में विभिन्न Section Copy 98 स्थिति का पता लगाया जाता है। वित्तीय विश्लेषण के लिये तुलनात्मक वित्तीय विवरण भी तैयार किया जाता है। अनुपात विश्लेषण द्वारा लाभ देयता आदि का पता लगाया जाता है। इन्हीं अनुपातों के आधार पर संस्था की शक्तियों और कमजोरियों का हमें ज्ञान प्राप्त है। अनुपात विश्लेषण द्वारा बाह्य फर्म की तुलना के लिये सामग्री प्राप्त होती है तथा शक्तियों तथा कमजोरियों से सम्बन्धित घटकों की जानकारी प्राप्त किया जाता है। इसकी एक अन्य तकनीक है जिसे आर्थिक मूल्यवर्द्धन विश्लेषण कहते हैं। इसके द्वारा किसी कम्पनी की समृद्धि की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इसे पूंजी पर प्रत्याय के रूप में परिभाषित किया जाता है।

(ii) गैर-वित्तीय विश्लेषण- वित्तीय विश्लेषणों की यह विशेषता होती है कि प्रत्येक परिणाम मुद्रा के रूप में व्यक्त किया जाता है। परन्तु कुछ ऐसी शक्तियाँ या कमजोरियाँ होती हैं जिनका मूल्यांकन मुद्रा के रूप में नहीं किया जा सकता है। संस्था की ख्याति तथा कर्मचारियों की ईमानदारी का मूल्यांकन इसी श्रेणी में आते हैं। इनका मूल्य मुद्रा के रूप में नहीं आँका जा सकता परन्तु संगठन के लाभ को बढ़ाने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसके अन्तर्गत कर्मचारियों का अनुपस्थिति बाजार श्रेणी अंकन, विज्ञापन स्मरण की दर, उत्पादन का समय चक्र आदि आते हैं।

(स) गुणात्मक विश्लेषण- प्राथमिक तौर पर संगठन विश्लेषण परिमाणात्मक विश्लेषण पर ही आधारित हैं परन्तु संगठन की समस्त शक्तियों एवं कमजोरियों का विश्लेषण परिमाणात्मक ही नहीं होता। कुछ ऐसी भी शक्तियाँ होती हैं जिनका विश्लेषण कर्मचारियों के गुणों के आधार भी किया जाता है इनका अपना कोई बाह्य स्वरूप नहीं होता है। गुणात्मक विश्लेषण परिमाणात्मक विश्लेषण में सहायक का कार्य करता है। संगठनात्मक मूल्यांकन करते समय कर्मचारियों के चरित्र आदि का मूल्यांकन कर संस्था के भविष्य का मूल्यांकन किया जा सकता है।

  1. तुलनात्मक विश्लेषण-

तुलनात्मक विश्लेषण में संगठन की क्षमता व अक्षमता का ज्ञान अन्य प्रतिस्पर्द्धा संगठनों की क्षमता तथा अक्षमता से तुलना करके प्राप्त किया जाता है। इस प्रणाली में अपने संगठन के कार्यों की तुलना अन्य संगठनों के कार्यों से की जाती है। यह विश्लेषण करने की निम्न विधियाँ हैं-

ऐतिहासिक विश्लेषण- इस पद्धति के अनुसार एक निश्चित अवधि की अपने संगठन की गतिविधियों का मिलान किसी अन्य संगठन की उसी अवधि की गतिविधियों से किया जाता है और तुलनात्मक अध्ययन द्वारा अपने संगठन की शक्तियों तथा अक्षमताओं का पता लगाया जाता है। ऐतिहासिक विश्लेषण द्वारा इस बात का पता चलता है कि संगठन कितना अच्छा या बुरा कार्य कर रहा है। कभी-कभी कम्पनियाँ अपने ही दो वर्षों की आर्थिक स्थितियों का तुलनात्मक अध्ययन कर वर्तमान स्थिति का ज्ञान करती हैं। इसकी दो अन्य विधियाँ भी हैं बेसमार्किंग तथा इण्डस्ट्री नार्म।

  1. विस्तृत विश्लेषण-

संगठनात्मक मूल्यांकन की इस विधि के अन्तर्गत विभिन्न प्रमुख बिन्दुओं के अंतर्गत व्यवसाय संसाधन एवं उपभोक्ता नवाचार आदि को दृष्टिगत करते हुए विस्तृत रूप से संगठनात्मक मूल्यांकन किया जाता है। इसके माध्यम से निष्पादन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में संगठन की शक्तियाँ व कमजोरियो प्राप्त हो जाती है। इस प्रकार के विश्लेषण एवं मूल्यांकन परिमाणात्मक एवं गुणात्मक दोनों प्रकार के होते हैं।

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Pankaja Singh

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