आधुनिकीकरण का तात्पर्य | आधुनिकीकरण और शिक्षा | आधुनिकीकरण का शिक्षा पर प्रभाव | आधुनिकीकरण पर शिक्षा का प्रभाव | भारतीय समाज के आधुनिकीकरण में शिक्षा का सहयोग
आधुनिकीकरण का तात्पर्य
नगरीकरण सामाजिक परिवर्तन की वह प्रक्रिया है जिसका सम्बन्ध नगर के विशेष स्थान से होता है। इस प्रकार से सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया का सम्बन्ध समय एवं उसकी गतिविधियों से भी होता है। जब इस प्रक्रिया का सम्बन्ध आधुनिक समय एवं उसकी गतिविधियों से होता है तो उस प्रक्रिया को एक नया नाम दिया जाता है। वह नया नाम “आधुनिकीकरण’ है। आधुनिकीकरण की प्रक्रिया का सम्बन्ध शिक्षा की प्रक्रिया से एवं शिक्षा की विषय-वस्तु से भी होता है। अतएव आधुनिकीकरण तथा शिक्षा में कैसा सम्बन्ध होता है यहाँ पर इस प्रसंग पर विचार करना जरूरी है।
आधुनिकीकरण के लिये अंग्रेजी में Modernization शब्द प्रयोग किया जाता है। इस अंग्रेजी शब्द का अर्थ होता है ‘वर्तमान समाज के साथ अनुकूलन।’ इस आधार पर हम कह सकते हैं कि “आधुनिकीकरण वह सामाजिक प्रक्रिया है जिसमें मनुष्य वर्तमान समय की गतिविधियों के साथ अनुकूलन करता है।”
आधुनिकीकरण के सम्बन्ध में बताते हुये डॉ० लर्नर ने लिखा है कि आधुनिकता वह सामाजिक प्रक्रिया है जिसके पाँच लक्षण होते हैं-“पहला बढ़ता हुआ नगरीकरण , दूसरी बढ़ती हुई साक्षरता, तीसरा साक्षरता में वृद्धि के साथ समाचार-पत्र, पुस्तकें, रेडियो इत्यादि सन्देशवाहन के भिन्न-भिन्न साधनों के द्वारा पढ़े-लिखे का परस्पर अर्थपूर्ण विचार-विमर्श तथा चौथा इससे कौशलों में वृद्धि और मानवीय शक्ति का निर्माण जिस पर कि किसी देश का आर्थिक विकास और प्रति व्यक्ति आय की वृद्धि निर्भर होती है, पाँचवाँ इससे राजनैतिक विकास होता है।” इस कथन के आधार पर आधुनिकीकरण का तात्पर्य समझा जा सकता है।
आधुनिकीकरण एक प्रकार से पहले से चलती हुई व्यवस्था, संरचना, संस्कृति, उद्योग, मूल्य एवं मान्यता की वर्तमान काल के परिप्रेक्ष्य में बदलने की प्रक्रिया होती है। इसी आधार पर कुछ समाजशास्त्रियों के विचारानुसार आधुनिकीकरण सामाजिक परिवर्तन का दूसरा नाम है। आधुनिकीकरण का तात्पर्य इस प्रकार सभ्यता, साक्षरता और नागरिकता की एक उच्चस्तरीय प्रक्रिया से होता है। अतएव प्रगति के विचार से आधुनिकीकरण सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं नैतिक परिस्थितियों के साथ वर्तमान काल में अनुकूलन करने की प्रक्रिया होती हैं।
कोठारी कमीशन के विचार से आधुनिकीकरण का सम्बन्ध देश में विज्ञान, तकनीकी और आणुविक प्रगति से है। इसीलिए इस कमीशन ने शिक्षा में विज्ञान और तकनीकी पर विशेष बल दिया है। आधुनिकीकरण का तात्पर्य इस प्रकार शिक्षाओं को पुराने तरीकों के बजाय नए तरीकों से देना है, उसमें नए विषयों का समावेश करना है और शिक्षा के द्वारा नया दृष्टिकोण प्रदान करना है।
आधुनिकीकरण और शिक्षा
शिक्षा मानव की ज्ञान-अनुभव लेन-देने की प्रक्रिया है। मनुष्य अपने अनुभव-ज्ञान के आधार पर वर्तमान काल की परिस्थितियों के साथ सफल समायोजन कर सकता है और प्रगति करने में समर्थ होता है। इसलिए तो सभी देश में मनुष्य की सफलता प्रगति एवं उन्नति का साधन शिक्षा होती है। अतः आधुनिकीकरण और शिक्षा में घनिष्ठ सम्बन्ध पाया जाता है और दोनों एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। इसका कुछ विस्तार से अध्ययन करना चाहिये।
आधुनिकीकरण का शिक्षा पर प्रभाव-
आधुनिकीकरण की प्रक्रिया से शिक्षा का स्वरूप, उद्देश्य, पाठ्यक्रम, शिक्षक, शिक्षार्थी, शिक्षालय, शिक्षण-विधि में आधुनिकता एवं प्रगतिशीलता आती है। परम्परावादी विशेषताएँ दूर हो जाती हैं और वर्तमान काल की विशेषताएँ उनके स्थान पर अपना प्रभुत्व जमा लेती हैं। इन तत्वों पर गहराई से विचार करना जरूरी है।
(i) शिक्षा के स्वरूप पर प्रभाव- आधुनिकीकरण विदेशों की देन है अतः हमारे देश में इसका विदेशी प्रभाव मिलता है। आधुनिक समय में शिक्षा का स्वरूप प्रक्रियात्मक होता है और शिक्षाविद् इसे विकास एवं प्रगति की प्रक्रिया, समायोजन एवं अनुकूलन की प्रक्रिया, दोमुखी या त्रिमुखी प्रक्रिया मानते हैं। आधुनिकीकरण के कारण ही ऐसी स्थिति हुई है। दूसरी ओर शिक्षा एक शास या अनुशासन हो गई है और ऐसे तकनीकों से अध्ययन हो रहा है कि यह विज्ञान की कोटि का विषय हो गया है। इसे सामाजिक विज्ञान कहा जाता है क्योंकि आजकल प्रायः सभी अध्ययन विषय वैज्ञानिक होते जा रहे हैं। इससे शिक्षा देने में एक कारण-परिणाम का सम्बन्ध रखा गया है। ऐसा दृष्टिकोण भारत में भी पाया जाता है।
(ii) शिक्षा के उद्देश्य पर प्रभाव- आधुनिकीकरण का प्रभाव शिक्षा के उद्देश्य पर पड़ा है जिसके कारण शिक्षा का उद्देश्य औद्योगिक विकास, नगरीकरण का विकास, तकनीकी एवं वैज्ञानिकी ज्ञान और कौशल का विकास हो गया है जो हम डॉ० लर्नर के विचारों में पाते हैं, भारत में भी आज शिक्षा का उद्देश्य उत्पादन में वृद्धि, औद्योगिक प्रगति एवं सांस्कृतिक उन्नति भी है। शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य को सभ्य एवं उत्पादक व्यक्ति बनाना ही आधुनिकीकरण का प्रभाव माना जाता है।
(iii) शिक्षा के पाठ्यक्रम पर प्रभाव- आधुनिकीकरण का शिक्षा के पाठ्यक्रम पर भी प्रभाव पड़ा है। अमरीका जैसे देश में तो आधुनिकतम ज्ञान-विज्ञान, कला-साहित्य का ज्ञान पाठ्यक्रम में रख दिया गया है। भारत के पाठ्यक्रम से तुलना करने पर ज्ञात होता है कि अमरीका, इंग्लैण्ड, जर्मनी, रूस जादि देश इतने आधुनिक एवं आगे बढ़े हैं कि वहाँ की शिक्षा का पाठ्यक्रम हमें विलक्षण मालूम होता है। पाठ्यक्रम में नई सामग्री जुड़ती जा रही है। विज्ञान पाठ्यक्रम में केन्द्रीय विषय बन गया है। विज्ञान के साथ तकनीकी और औद्योगिक विषय भी सहगामी बने हैं।
(iv) शिक्षा की विधि पर प्रभाव- आधुनिकीकरण ने शिक्षा की वैज्ञानिक विधि पर बल दिया है। इसके फलस्वरूप प्रयोग, परीक्षण, एवं क्रिया-विधियों को प्रधानता दी जाती है। इससे प्रत्यक्ष एवं व्यावहारिक शिक्षा मिलती है। परम्परागत शाब्दिक विधियों को अब दूर हटा दिया गया। पूर्वायोजित अधिगम, शिक्षण मशीन, संगणक और यन्त्रों से शिक्षा देने की विधियों के लिए जोर दिया जा रहा है। अब स्पष्ट है कि किस प्रकार आधुनिकीकरण ने शिक्षा की विधि बदल दी है।
(v) शिक्षक, शिक्षार्थी एवं शिक्षालय पर प्रभाव- आधुनिकीकरण के फलस्वरूप अध्यापक अब एक निरीक्षक होता है और सभी तकनीकों में प्रशिक्षित होता है जिससे कि वह छात्रों को सही मार्ग पर ले जाने में समर्थ होता है। आधुनिकीकरण के विचार से आज प्रयोगशाला एवं औद्योगिक केन्द्रों में अध्यापक शिक्षा देने लगे हैं। अध्यापक स्वयं कुछ न करके छात्रों को स्वान्वेषण एवं स्वोपक्रम के लिये प्रोत्साहित करने वाले होते हैं न कि कुछ सिद्धान्तों में व्याख्याता।
शिक्षार्थी का दृष्टिकोण भी शिक्षक के समान बदल गया है। विदेशों में शिक्षार्थी का दृष्टिकोण व्यापक एवं व्यावसायिक अधिक हो गया है। जीवन के लिये शिक्षा का लक्ष्य रखकर शिक्षार्थी अध्ययन करता है। देश-विदेश के शिक्षार्थी परस्पर सम्पर्क स्थापित करने लगे हैं। शिक्षार्थी के विचार-विमर्श मानवशक्ति के सदुपयोग के लिये भावना पाई जाती है। शिक्षार्थी उद्यमी एवं परिश्रमी होते हैं यद्यपि भारत में अपेक्षाकृत यह स्थिति नहीं पाई जाती है।
शिक्षालय की स्थिति आधुनिकीकरण के प्रभाव से बदल गई है और शिक्षालय चतुर्दिक विकास के अभिकरण होते हैं। इनका सम्बंध जीवन की शिक्षा देने से होता है। ऐसी स्थिति में विद्यालय उद्योग केन्द्र बने हैं अथवा उद्योगों से जुड़े होते हैं। सामान्य शिक्षा के विद्यालयों का उतना महत्व विदेशों में नहीं होता है जितना कि तकनीकी, औद्योगिक एवं व्यावसायिक विद्यालयों का है क्योंकि आधुनिक सभ्यता और संस्कृति भौतिकवादी हो गयी है। आधुनिक काल के यत्रों एवं साधनों से विद्यालय सज्जित भी किये जा रहे हैं। इस प्रकार से समाज का वर्तमानकालिक वातावरण से विद्यालय प्रभावित पाये जाते हैं।
आधुनिकीकरण पर शिक्षा का प्रभाव-
आधुनिकीकरण के सम्बन्ध में समाजशास्त्रियों के जो विचार दिये गये हैं उनसे हमें उसकी विशेषताएँ मालूम होती हैं। ये विशेषताएँ है-
(i) औद्योगीकरण
(ii) सांस्कृतिक क्रान्ति
(iii) भौगोलिक गतिशीलता
(iv) सामाजिक गुणों का विकास
(v) साक्षरता का विकास
(vi) उच्च नागरिकता का विकास।
(vii) बहुतत्ववादी धारणा का होना
(viii) लौकिकता एवं आर्थिक भावना का विकास।
(ix) विद्वानों की प्रगति।
(x) नवजीवन, मूल्यों, दृष्टिकोणों, आदतों, कौशलों को अपनाना।
उपर्युक्त सभी पर शिक्षा का प्रभाव पड़ा दिखाई देता है। इस सम्बन्ध में कोठारी- कमीशन की रिपोर्ट में लिखा गया है कि “आधुनिकीकरण की प्रगाते इसलिये शैक्षिक उन्नति के कदम से नीचे सम्बन्धित होगी और शीघ्र आधुनिकीकरण करने का एक निश्चित तरीका है शिक्षा का विस्तार करना, शिक्षित और कुशल नागरिक उत्पन्न करना, और पर्याप्त एवं योग्य बुद्धिमान वर्ग को प्रशिक्षित करना।” यह कथन आधुनिकीकरण पर शिक्षा के प्रभाव को स्पष्ट करता है।
आधुनिकीकरण की एक विशेषता समाज की तीव्रगति से प्रगति होना है। “एक आधुनिक समाज में परिवर्तन इतना तीव्र होता है कि विद्यालय को हमेशा सतर्क रहना चाहिए यदि वह सार्थक परिवर्तनों के सामने खड़ा रहना चाहता है।” ऐसी स्थिति अपने देश में तथा विदेशों में भी पाई जाती है। वर्तमान समाज विज्ञान केन्द्रित तकनीकी को अपनाये हुये है। यदि ध्यान से देखा जावे तो मालूम होगा कि शिक्षा के द्वारा ही समाज की यह स्थिति हुई है और यह इस प्रकार सत्य है कि शिक्षा का प्रभाव आधुनिकीकरण पर पड़ता है।
आधुनिकीकरण पर शिक्षा के प्रभाव को बताते हुये एक शिक्षाविद ने लिखा है कि-“आधुनिकीकरण प्रभावकारी ढंग से शिक्षा द्वारा लाया जा सकता है। शिक्षा आधुनिकीकरण का साधन उसी समय ही बन सकता है जब वह स्वयं आधुनिकीकृत हो जाती है। शिक्षा में आधुनिकीकरण का तात्पर्य है शिक्षा को समाज में नये विकासों तथा शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले नये शोधों के साथ लगातार सम्बन्ध रखना।”
आधुनिकीकरण के कई क्षेत्र हैं जैसे नियोजन, जनसंख्या परिवर्तन, सामाजिक संरचना, आर्थिक वृद्धि, औद्योगिक प्रगति । शिक्षा इन सभी को प्रभावित करता है और इस दृष्टि से आधुनिकीकरण पर शिक्षा का प्रभाव पड़ना कहा जा सकता है।
भारतीय समाज के आधुनिकीकरण में शिक्षा का सहयोग
आधुनिकीकरण समाज की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। यदि समाज जीवित रहना चाहता है और समय के साथ चलना चाहता है तो निश्चित ही आधुनिकीकरण को अपनावेगा। भारतीय समाज ने वर्तमान काल के साथ अनुकूलन का भरसक प्रयत्न किया है यह उसकी शिक्षा के द्वारा हुआ है और यह तथ्य हमें स्वतन्त्रता के पूर्व 1944 ई० की सार्जेन्ट योजना स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद 1948 की राधाकृष्णन कमीशन की रिपोर्ट, 1952 ई० की मुदालियर कमीशन की रिपोर्ट तथा 1964-66 की कोठारी कमीशन की रिपोर्ट से स्पष्ट ज्ञात होता है। कोठारी कमीशन की रिपोर्ट को ध्यान से देखने पर ज्ञात होता है। भारत की नई शिक्षा व्यवस्था समयानुकूल बना दी गई है अथवा आधुनिकीकृत कर दी गई है।
कुछ विशिष्ट बातों को देखने से भारतीय समाज को आधुनिक बनाने में शिक्षा की सहायता दिखाई देती है जो निम्नलिखित है-
(i) भारतीय समाज में तीव्र परिवर्तन होना, विज्ञान की प्रगति से धार्मिक परम्परा को छोड़ कर लौकिकता की धारणा स्वीकार करना, लोगों में जनतांत्रिक भावना एवं अन्तर्राष्ट्रीय अवबोधन उत्पन्न करना।
(ii) विज्ञान, प्रौद्योगिकी को भारतीय संस्कृति और शिक्षा का केन्द्र बनाना तथा समाज से अन्धविश्वासों को दूर करना, विवेकपूर्ण जीवन व्यतीत करना।
(iii) भारतीय समाज में बहुमुखी एवं व्यापक ज्ञान का विस्फोट करना ताकि सभी नागरिकों में आधुनिकता के प्रति उचित अभिवृत्ति विकसित हो सके।
(iv) भारतीय समाज में आधुनिक भाषा, विचार, दर्शन, मूल्य का प्रसार एवं प्रचार करना जिससे वर्तमान जीवन के साथ अनुकूलन सम्भव हो सके।
(v) भारतीय समाज में शिक्षा संरचना, प्रशासन, अर्थव्यवस्था, विभागों की क्रियाशीलता आदि को आधुनिक बनाना ताकि भारतीय समाज की आर्थिक, राजनैतिक एवं सांस्कृतिक प्रगति हो सके।
निष्कर्ष
ऊपर के विचारों से स्पष्ट हो जाता है कि हरेक देश में आधुनिकीकरण एक आवश्यकता है। आधुनिकीकरण से समाज की संस्कृति एवं व्यवस्था में शीघ्र परिवर्तन होता है। इसका सबसे उत्तम साधन शिक्षा होती है। भारतीय समाज को आधुनिकीकृत करने में शिक्षा का सहयोग लिया गया है। वास्तव में इतिहास इसका साक्षी है कि भारतीय समाज में जितने भी सुधार हुए हैं वे शिक्षित व्यक्तियों के द्वारा हुये हैं और उस समय हुये जब समाज के सदस्य शिक्षित बन गये और उनमें सामाजिक चेतना आई कि वे समय के अनुकूल अपने को बना लेवें तभी वे आगे बढ़ सकेंगे। ऐसा तथ्य हमें कोठारी कमीशन की रिपोर्ट में व्यक्त मिलता है। अब हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि आधुनिकीकरण के लिये शिक्षा का विकास अवश्य होना चाहिये और शिक्षा के द्वारा आधुनिकीकरण के लिये तैयारी की जानी चाहिये।
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