स्थैतिक तथा प्रावैगिक अर्थशास्त्र में अंतर | स्थैतिक तथा प्रावैगिक के बीच अंतर
स्थैतिक तथा प्रावैगिक अर्थशास्त्र में अंतर-
अंतर का आधार | स्थैतिक अर्थशास्त्र(Static Economies) | प्रावैगिक अर्थशास्त्र(Dynamic Economies) |
1. समय– | स्थैतिक विश्लेषण मैं अधिक चर मूल्यों के बीच जो संबंधत स्थापित किया जाता है, वह एक ही समय से संबंधित होता है। | प्रावैगिकआर्थिक विश्लेषण में आर्थिक चर मूल्यों के बीच जो संबंध स्थापित किया जाता है, वह विभिन्न समयावधियों से संबंधित होता है। |
2. गति- | स्थैतिक विश्लेषण में परिवर्तन नियमित, समान एवं स्थिर गति से होते हैं। | प्रावैगिक विश्लेषण में परिवर्तन नियमित, समान एवं स्थिर गति से नहीं होते हैं। |
3. मान्यताएं– | स्थैतिक विश्लेषण में अन्य सभी तत्व स्थिर मानकर एक निश्चित बिंदु का अध्ययन किया जाता है। | प्रावैगिक विश्लेषण में सभी तत्वों के परिवर्तन का एक साथ अध्ययन किया जाता है। |
4. संतुलन– | स्थैतिक विश्लेषण के अंतर्गत साम्य की केवल एक ही अवधारणा का अध्ययन किया जाता है। | प्रावैगिक आर्थिक विश्लेषण के अंतर्गत एक साम्य से दूसरे साम्य में पहुंचने वाले संपूर्ण रास्ते का अध्ययन किया जाता है। |
5. तिथि निर्धारण– | एक स्थैतिक सिद्धांत में सभी चरएक ही अवधि से संबंधित होते हैं। इसलिए उनकी तिथि का निर्धारण आवश्यक नहीं है। | प्रावैगिक आर्थिक विश्लेषण में तिथि करण का बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है। |
6. गणित का प्रयोग– | स्थैतिक आर्थिक विश्लेषण सरल विश्लेषण है क्योंकि इस अध्ययन में गणित की सहायता नहीं ली जाती है। | प्रावैगिकआर्थिक विश्लेषण एक जटिल आर्थिक विश्लेषण है क्योंकि इसमें गणित का प्रयोग किया जाता है। |
7. क्षेत्र- | स्थैतिक विश्लेषण का प्रमुख क्षेत्र सीमांत विश्लेषण है। | इस विश्लेषण का प्रमुख क्षेत्र विकास मॉडल है। |
8. सीमाएं– | यह विश्लेषण उन मान्यताओं पर आधारित है जो अवास्तविक है, जैसे-पूर्ण प्रतियोगिता व पूर्ण ज्ञान आदि। | यह विश्लेषण वास्तविक मान्यताओं पर आधारित है। |
9. बामोल का विचार– | बामोल के अनुसार स्थैतिक विश्लेषण का संबंध केवल वर्तमान से है। | प्रावैगिक विश्लेषण का संबंध भूत एवं भविष्य काल से ही है। |
10. शेपीरो के अनुसार- | स्थैतिक विश्लेषण में उन आर्थिक समस्याओं का अध्ययन किया जाता है जो असंतुलन में हों। | प्रावैगिक विश्लेषण में उन आर्थिक समस्याओं का संतुलन अध्ययन किया जाता है। |
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