क्रम वाचक एवं गणना वाचक उपयोगिता की तुलना | Comparison of serial reader and computation utility in Hindi
क्रम वाचक एवं गणना वाचक उपयोगिता की तुलना
(1) गणनात्मक दृष्टिकोण–
इस्मत के प्रतिपादक प्रोफ़ेसर मार्शल हैं, वैसे उपयोगिता एक मनोवैज्ञानिक तत्व है अर्थात इसका संबंध मन की भावना से होती है, जिसे अनुभव किया जा सकता है। इसका कोई मूर्त रूप वह आकार नहीं होता है जिसे स्पर्श कर सके। आप को मापने का कोई पैमाना या यंत्र भी नहीं है, परंतु प्रोफ़ेसर मार्शल उपयोगिता को द्रव्य के माध्यम से मापने की बात कहते हैं। उनका मानना है कि उपयोगिता को मापने का दृष्टिकोण गुणवाचक है क्योंकि इसमें उपयोगिता की गणना 1,2,3,4,5,6 आदमी की जाती है। इन संख्याओं से यह पता चलता है कि 6 संख्या 1 से 6 गुना बड़ी है। इस संदर्भ में प्रोफ़ेसर मार्शल का मत है कि “किसी वास्तु की इकाई के उपभोग से वंचित रहने की अपेक्षा उस वस्तु की काई के लिए कितना मूल्य देने की सत्यता रहती है,वही वस्तु से प्राप्त होने वाली उपयोगिता की मौद्रिक माफ है।”
(2) कर्मवाचक दृष्टिकोण-
इस दृष्टिकोण के समर्थक हिक्स, ऐलन व पैरेटो हैं। यह सभी विद्वान प्रोफ़ेसर मार्शल के उपयोगिता की माप के लिए गणना वाचक विचार पर सहमत नहीं है। इसके अनुसार,उपयोगिता मापनी नहीं है। इसके लिए मार्शल के विचार से असहमतिव्यक्त करते हुए इन्होंने निम्नांकित तर्क प्रस्तुत किए हैं-
(1)उपयोगिता एक मनोवैज्ञानिक धारणा है जिसे किसी मापदंड से मापा जाना संभव नहीं है।
(2) प्रोफ़ेसर मार्शल ने उपयोगिता को मापने के लिए द्रव के पैमाने को स्वीकार किया है किंतु यह कोई प्रामाणिक पैमाना नहीं है।
(3) उपयोगिता भिन्न-भिन्न व्यक्तियों के बारे में भिन्न-भिन्न नहीं होती वरना यह तो एक व्यक्ति के संबंध में भिन्न होती है। चुकी उपयोगिता बदलती रहती है अतः बदलने वाले तत्व का मापन संभव नहीं है।
उपयोगिता का मापन किया जा सकता है–
चुकी उपयोगिता विषय गतधारणा है अतः इसका प्रत्यक्ष माफ करना संभव नहीं है तथा पीस का परोक्ष मापने में दो रूपों में किया जा सकता है-
- उपयोगिता का माप इकाई रूप में या तुलनीयता से- एक वस्तु की अपेक्षा दूसरी वस्तु कितनी अधिक उपयोगी हो सकती है इसका माप उस इकाई के बदले मिलने वाली इकाइयों से किया जा सकता है। उदाहरणार्थ एक पुस्तक के बदले में 2 मीटर कपड़ा लेना। यह उदाहरण उसकी पारस्परिक माफ को बतलाता है।
- उपयोगिता का माप द्रव्य इकाइयों के रूप में– एक वस्तु की आवश्यकता जितनी अधिक तीव्र होगी,उतना ही अधिक मूल्य हम उसको देना चाहेंगे। यही तीव्रता उपयोगिता की मुद्रा इकाइयों में माफ होगी। इसे संख्या में भी व्यक्त किया जा सकता है अतः इसे संख्यावाचक दृष्टिकोण भी कहा जा सकता है। इस विचार का प्रतिपादन प्रोफ़ेसर मार्शल ने किया है। उसके मतानुसार उपयोगिता को ना केवल संख्या के रूप में मापा जा सकता है अपितु इसका योग भी किया जा सकता है। इसे उन्होंने कुल उपयोगिता के रूप में संबोधित किया है।
कौन सा विश्लेषण श्रेष्ठ है?
आधुनिक अर्थशास्त्रियों में विशेष रुप से पैरेटो जे.आर हिक्स तथा ऐलन, आदि का कहना है कि उपयोगिता की सही माफ करना संभव नहीं है। इन लोगों ने मार्शल के गणनात्मक दृष्टिकोण की निम्न आधारों पर कड़ी आलोचना की है-
- तुष्टिगुण एक न मनोवैज्ञानिक विषय है जिसे किसी वस्तु गत पैमाने से नहीं मापा जा सकता है।
- प्रतीक मनुरूप की रुचियों, अभिरूचियों तथा स्वभाव में अंतर पाया जाता है इसलिए किसी ‘एक ही वस्तु’से मिलने वाली उपयोगिता उनके लिए अलग अलग हुआ करती है। जैसे-शराब पीने वाले व्यक्ति के लिए शराब में उपयोगिता है लेकिन न पीने वालों के लिए वह एक व्यर्थ की वस्तु है।
अतः प्रोफ़ेसर पीगू का मत है कि “द्रव्य से केवल इच्छा की तीव्रता को मापा जा सकता है लेकिन उपयोगिता को नहीं।” उपयोगिता की माप कि इस कठिनाई को देखते हुए आधुनिक अर्थशास्त्रियों ने उदासीनता वक्र पद्धति का प्रयोग करना शुरू कर दिया है। यह उपयोगिता की अपेक्षाकृत एक अच्छी माफ है।
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