इतिहास

अमेरिकी गृह-युद्ध के प्रमुख कारण | Major Causes of the American Civil War in Hindi

अमेरिकी गृह-युद्ध के प्रमुख कारण | Major Causes of the American Civil War in Hindi

अमेरिकी गृह-युद्ध के प्रमुख कारण

1860 तक उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका के बीच आपसी मनमुटाव इतना बढ़ चुका था कि समझौते की भावनाएँ धूमिल पड़ गयी थीं। दक्षिण ने संघ से अपना सम्बन्ध विच्छेद कर लिया। इसके परिणामस्वरूप 1861 में संयुक्त राज्य अमेरिका को ऐसे गृह युद्ध में उलझना पड़ा जिसे विश्व इतिहास का महानतम गृह-युद्ध माना जाता है।

गृह-युद्ध के कारण- अमेरिका के उत्तरी व दक्षिणी राज्यों में संघर्ष की परम्परा प्राचीन थी। 1787 में संघीय तथा गणतन्त्रीय वर्गों में मतभेद उत्पन्न हुआ था। उन्नीसवीं शताब्दी के आर्थिक मूल्यों ने भी इस मतभेद में बढ़ोत्तरी की । 1820 एवं 1830 तक संघीय राजनीति में मतभेद विशेष रूप से प्रभावशाली थे परन्तु 1848 के पश्चात् इनके आधार पर ही राजनीतिक दशा निर्धारित होने लगी। अतः यह संघर्ष अमेरिका में गृह युद्ध के रूप में सामने आया। इस गृह युद्ध के लिए बहुत से कारण जिम्मेदार थे।

आर्थिक असमानता

अमेरिका के उत्तरी तथा दक्षिणी राज्यों के बीच आरम्भ से ही आर्थिक असमानता विद्यमान थी। उत्तरी राज्य औद्योगिक थे और वहाँ बड़े उद्योगों का विकास तीव्र गति से हो रहा था। इसके विपरीत दक्षिण में बड़े-बड़े बागान थे जिसमें दास मजदूर के रूप में कार्य करते थे। दक्षिण का समाज पूर्ण रूप से दासों पर निर्भर था। इस मतभेद के कारण उत्तर तथा दक्षिण के आर्थिक स्वार्थ जुदा-जुदा थे। और उनके बीच 1830 से ही तटकरों व चुंगियों के मामले में संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो गयी थी। अपने-अपने स्वार्थों के कारण संघीय हस्तक्षेप को पसन्द नहीं करते थे। देश दो राजनैतिक दलों में विभक्त था। एक दल हर राज्य की प्रभुता का पक्षधर था तो दूसरा केन्द्रीय सरकार चाहता था। यूरोप के प्रवासी उत्तरी अमेरिका में अधिक लाभ को सम्भावनाएँ देखते थे। 1860 में केवल 13% विदेशी अप्रवासी दक्षिण राज्यों में निवास करते थे। 1860 तक समस्त अमेरिकी उद्योगों का केवल दस प्रतिशत भाग दक्षिण में था। यद्यपि दक्षिण में अन्य प्राकृतिक सम्पदा भी उपलब्ध थी परन्तु वह तब तक पूँजी निर्मित करने में असमर्थ थी जब तक कि कपास का साम्राज्य स्थापित था। इन परिस्थितियों के परिणामस्वरूप दक्षिणी राज्यों में अन्य व्यवसायों, मजदूर वर्गों, व्यापार आदि को प्रोत्साहन प्राप्त न हो सका तथा दक्षिणी सामाजिक संरचना में प्रमुखतया ग्रामीण एवं कृषक ही हो पाये। इस प्रकार आर्थिक विषमता के कारण उत्तरी तथा दक्षिणी शब्दों के अर्थ चक्र ‘जीवन दर्शन’ राजनीतिक विचारधारा सामाजिक स्तर में बहुत बड़ा मतभेद् था और इसी मतभेद् को समाप्त करने के लिए अब्राहम लिंकन ने गृह-युद्ध में भाग लेकर संघीय व्यवस्था को और मजबूत बनाने का कार्य शुरू किया।

दास प्रथा

18वीं शताब्दी के अन्त में अमेरिका के आमतौर पर दास व्यापार समाप्त कर दिया गया था। दास प्रथा उत्तर में पेन्सिलवानिया की दक्षिणी सीमा तक बन्द हो गयी थी। इस सीमा रेखा को मेसन डिक्सन सीमा कहा जाता है। एलीग्नीज के पश्चिम के नये प्रदेश में और ओहिया नदी के उत्तर में दास-प्रथा 1787 के अध्यादेश द्वारा बंद की जा चुकी थी। दक्षिणी अमेरिका में भी दास प्रथा धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही थी किन्तु दक्षिण में यह कार्य कानून द्वारा न होकर व्यक्तियों के हृदय परिवर्तन द्वारा पूरा हो रहा था। किन्तु इसी बीच उद्योगों की उन्नति के साथ दास व्यापार बहुत ही लाभप्रद हो गया और इसलिए अब कोई भी इस लाभप्रद व्यवसाय को छोड़ना नहीं चाहता था। धीरे-धीरे दास प्रथा अमेरिका की राजनीति में अत्यन्त जटिल प्रश्न बन कर रह गया।

स्वतन्त्रता की घोषणा के प्रारूप में एक धारा यह भी थी कि दास व्यापार जार्ज तृतीय का पाप था किन्तु, बाद में दक्षिणी कैरोलीन और जार्जिया की इच्छाओं के प्रति सम्मान रखने के लिए इस धारा को हटा दिया गया। 1787 के अध्यादेश ने ओहिया नदी के उतर के सारे प्रदेश में दास प्रथा को बन्द करा दिया था फिर भी यह छूट दे रखी थी कि जो दास भाग जाय उसको पुनः पकड़ा जा सकेगा। अमेरिका के संविधान निर्माताओं ने समय की आवश्यकता के अनुरूप दास प्रथा के प्रश्न पर समझौता कर लिया था। संविधान में यह स्वीकार कर लिया गया कि राज्यों के विधान मण्डलों के निर्वाचनों में हब्सी दासों को भाग मिलेगा किन्तु बंदिश यह रखी गयी थी कि हब्सी दासों की संख्या के 3/5 भाग को ही उक्त अधिकार प्रदान किया गया। इसके पश्चात् 1820 में मिसूरी समझौते के द्वारा दास व्यापार 30 वर्ष और चला। 1830 तक दासों की संख्या 32 लाख तक पहुंच चुकी थी। 1830 में भागे हुए दासों से सम्बन्धित कानून बनाया गया जिसका उत्तरी राज्यों ने विरोध किया। इसके चार वर्ष बाद केन्सास नेबास्का विधेयक द्वारा मिसूरी समझौता को रद्द करके दक्षिण ने महान् सफलता प्राप्त की। हनि

इस प्रकार उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका दासता के प्रश्न पर एकमत नहीं थे। उत्तरी अमेरिका इसको समाज के लिए कलंक समझता था वहीं दक्षिणी अमेरिका के लिए बुराई थी जिसे समाप्त नहीं किया जा सकता था। दोनों पक्षों में से कोई भी समझौते के लिए तैयार नहीं था। कुछ विचारकों का मानना है कि वास्तव में दास व्यापार के पीछे अमेरिका अपनी सीमायें पश्चिम ओर बढ़ाना चाहता था। इस कारण दास व्यापार के बारे में समझौते के सब प्रश्न विफल हो गये।

अब्राहम लिंकन का निर्वाचन

अमेरिका के इतिहास में अब्राहम लिंकन का महत्वपूर्ण स्थान है। लिंकन के राष्ट्रपति पद पर निर्वाचित होने से यह निश्चित था कि दास प्रथा अब अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकेगी। 1860 के निर्वाचन में डेमोक्रेटिक पार्टी की फूट के फलस्वरूप रिपब्लिक के उम्मीदवार लिंकन को विजय प्राप्त हुई थी। किन्तु रिपब्लिक पार्टी ने अपने चुनाव प्रचार में दासता की अपेक्षा दूसरे प्रश्नों को अधिक महत्व दिया था। लिकन ने एक बार कहा था कि “दासता जिस स्थिति में है वह उसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहता । यदि मुझे सारे नैतिक अधिकार व शक्तियाँ भी प्राप्त हो जाय तो में यह नहीं जानना चाहूंगा कि मुझे दास प्रथा की इस स्थिति का क्या उपयोग करना है।” वास्तव में लिंकन के भारी मतों से विजयी होने के कारण दक्षिणी राज्यों को यह चिन्ता हो गयी थी कि नई सरकार उनकी समस्याओं तथा विशिष्ट सभ्यता को नष्ट कर देगी। मिसी-सिप्पी राज्य के विचारानुसार उत्तरी जनता ने दक्षिणी राज्यों के प्रति एक बगावत की सी स्थिति उत्पन्न कर दी थी। इस भावना ने दक्षिण के अनेक राज्यों को संघ से अलग होने के लिए प्रेरित किया।

राजनैतिक प्रचार द्वारा भय का वातावरण

दास-प्रथा विरोधियों ने दक्षिणी राज्यों में यह भय उत्पन्न कर रखा था कि उत्तर द्वारा दक्षिण की श्रम प्रणाली को नष्ट कर दिया जायेगा। उत्तरी नेताओं द्वारा दक्षिणवासियों की जो आलोचनाएं की गयीं उनमें से अधिकांश स्वार्थपूर्ण, अव्यावहारिक और अपमानजनक थीं। फलतः दक्षिणवासियों में आशंका, भय, घृणा और रोप का वातावरण पैदा हुआ। दूसरी ओर दक्षिणवासियों द्वारा दास प्रथा को फैलाने के लिए जो प्रयास किये जा रहे थे उनके कारण उत्तर में लिंकन जैसों को भी भय हुआ कि कहीं समस्त देश में दास-प्रथा न फैल  जाय। 1857 के आरम्भ में सर्वोच्च न्यायाधीश रोजरटेनी और सर्वोच्च न्यायालय के बहुमत ने ड्रेड स्टाक अभियोग में घोषणा की कि कांग्रेस को प्रदेशों से दास प्रथा को हटाने का कोई अधिकार नहीं है। संविधान का ऐसा अर्थ करना बुरा था। इस प्रश्न पर अमेरिका में काफी वाद विवाद हुआ। अबाहम लिंकन तथा स्टीफन डगलस में राजनैतिक रूप में दास प्रथा को लेकर वाक युद्ध हुए। डगलस ने नैतकता के प्रश्न का विषयान्तर कर फ्रीफोर्ट सिद्धान्त को मान्यता दी जिसके अनुसार दासता का प्रश्न प्रान्तीय संविधान के अन्तर्गत था । उपरोक्त सिद्धान्त ने दक्षिण में आलोचना का वातावरण उत्पन्न किया। इस प्रकार भय के वातावरण ने गृह युद्ध को आवश्यक बना दिया। रूई राज्यों का संघ से पृथक होना, अब्राहमम की जीत का समाचार दक्षिण के राज्यों पर बज़ की भाँति गिरा। अनेक दक्षिणी नेताओं ने चुनाव से पूर्व ही तय कर लिया था कि वह रिपब्लिकन राष्ट्रपति के अधीन संघ में नहीं रहेंगे। इस देशों में पहला कदम कैरोलिना द्वारा उठाया गया। उसने 20 दिसम्बर 1860 को संघ से अलग होने की घोषणा कर दी। उसने घोषणापत्र में लिखा था कि उत्तर के 13 राज्यों ने जो व्यक्तिगत स्वतन्त्रता कानून पास किये हैं वे संविधान के विरुद्ध है साथ ही उत्तरी राज्यों के दास विरोधी आन्दोलन ने इस व्यक्तिगत सम्पत्ति को असुरक्षित बना दिया। 4 मार्च 1861 को जब लिक्न ने राष्ट्रपति पद ग्रहण किया उस समय तक दक्षिण के सात राज्य संघ से अलग हो चुके थे। इन राज्यों ने मिलकर 4 फरवरी 1861 को एक दक्षिण परिसंघ बनाया। इस परिसंघ ने जेफरसन डेविड को अपना राष्ट्रपति चुना। उन्होंने संयुक्त राज्य के संविधान के समान अपना संविधान बनाया। किन्तु उन्होंने उक्त परिसंघ के एककों की पूर्ण प्रभुसत्ता को स्वीकार किया जिसमें एकक राज्यों के परिसंघ से अलग होने के अधिकार को स्पष्टतः स्वीकार किया गया। इस प्रकार ज्वालामुखी का विस्फोट सन्निकट था किन्तु लिंकन कृतसंकल्प था कि संघ को किसी भी कीमत पर बचाना होगा। इस प्रकार गृह-युद्ध के लिए दो स्पष्ट पक्ष आमने-सामने मैदान में डट गये।

गृह-युद्ध का आरम्भ

12 अप्रैल 1861 को जब दक्षिणी कैरोलिना ने सुम्टर के किले पर बम फेंक कर संघ के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया तो लिंकन के लिए यह आवश्यक था कि सशस्त्र हस्तक्षेप द्वारा विष्टित संघ की रक्षा करें। 15 अप्रैल 1861 को उसने 75 हजार नागरिकों की सेना को संघ के कानून को लागू करने के लिए तैनात किया और परिसंघु के तटों को नाकेबन्दी का आदेश दे दिया। राज्य संघ की राजधानी माँटगुमरी से रिचमॉन्ड में स्थानान्तरित की गई। युह वाशिंगटन से 100 मील की दूरी थी। उत्तरौ और दक्षिणी अमेरिका का यह युद्ध 12 अप्रैल 1861 को आरम्भ होकर 26 मई, 1865 को समाप्त हुआ।

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Pankaja Singh

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