हिन्दी नाटक का उद्भव | हिन्दी नाटक का विकास | हिन्दी नाटक के विकास में भारतेन्दु अथवा प्रसाद के योगदान
हिन्दी नाटक का उद्भव | हिन्दी नाटक का विकास | हिन्दी नाटक के विकास में भारतेन्दु अथवा प्रसाद के योगदान हिन्दी नाटक का उद्भव एवं विकास सामान्यतः निबन्ध के लिए ‘लेख’ एवं ‘प्रबन्ध’ दो शब्दों का प्रयोग किया जाता है। निबन्ध एवं प्रबन्ध दोनों ही शब्द संस्कृत वाङ्मय के हैं और इनका प्रयोग काव्य के … Read more