बिहारी के काव्य में गागर में सागर | बिहारी रीतिकाल के श्रेष्ठ श्रृंगारिक कवि है

बिहारी के काव्य में गागर में सागर | बिहारी रीतिकाल के श्रेष्ठ श्रृंगारिक कवि है बिहारी के काव्य में गागर में सागर गागर में सागर भरने का तात्पर्य थोड़े में बहुत कहने से है। गागर बहुत छोटी होती है और सागर उसकी अपेक्षा लाखों-करोड़ों गुने से भी अधिक विशाल होता है। गागर में सागर कभी … Read more