मीराबाई के पद्यांशों की व्याख्या | मीराबाई के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या
मीराबाई के पद्यांशों की व्याख्या | मीराबाई के निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या मीराबाई के पद्यांशों की व्याख्या फागुन के दिन चार रे, होरी खेल मना रे। बिनि करताल पखाबज बाजै, अणहद की झणकार रे। बिन सुर राग छतीसूं गावै, रोम रोम रंग सार रे। सील संतोख की केसर घोली, प्रेम प्रीति पिचकार रे। उड़त … Read more